पंजाब : मुस्लिम पर्सनल ला के तहत नाबालिग से की शादी, हाई कोर्ट ने कहा- लागू हो पाक्सो

सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि स्कूल रिकार्ड के अनुसार, लड़की का जन्म मार्च 2008 में हुआ था

Apr 21, 2024 - 20:16
Apr 22, 2024 - 07:48
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पंजाब : मुस्लिम पर्सनल ला के तहत नाबालिग से की शादी, हाई कोर्ट ने कहा- लागू हो पाक्सो

मुस्लिम पर्सनल ला के तहत नाबालिग से की शादी, हाई कोर्ट ने कहा- लागू हो पाक्सो

नहीं मिली राहत, आरोपित की अग्रिम जमानत की मांग खारिज

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नाबालिग से शादी करने वाले व्यक्ति को राहत देने से इन्कार कर दिया है। जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन ने उस व्यक्ति की इस दलील खारिज कर दिया कि उसने मुस्लिम पर्सनल ला के अनुसार, लड़की से शादी की थी और यह एक कानूनी निकाह था, क्योंकि लड़की युवावस्था की उम्र प्राप्त कर चुकी थी।


याची ने दलील दी कि उसने लड़की की सहमति से निकाह किया है, लेकिन सहमति की वैधता अभी तक सुनिश्चित नहीं की गई है, जो विशेष अदालत द्वारा की जाने वाली जांच के निर्णय के अधीन होगी। उसने हाई कोर्ट के पहले के फैसलों का हवाला देकर बताया, जिसमें अदालत ने फैसला सुनाया था कि एक मुस्लिम लड़की जिसने युवावस्था प्राप्त कर ली है, वह अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है। हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण  आयोग द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है कि अगले आदेशों तक हाई कोर्ट के फैसले को किसी अन्य मामले में एक मिसाल के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा।

मुस्लिम लड़कियां 16 साल की उम्र में शादी कर सकती हैं: पंजाब और हरियाणा HC  ने नाबालिग शादी को सही ठहराया - इंडिया टुडे

मेवात पुलिस ने पिछले साल नाबालिग लड़की के पिता की शिकायत पर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जब पीड़िता का उसके घर से कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था। इस वर्ष फरवरी में लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए बयान में कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती। इस पर उसकी उम्र को देखते हुए उसे बाल गृह में भेज दिया गया। गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करते हुए आरोपित ने दावा किया कि इस वर्ष जनवरी में एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा किए गए ओसिफिकेशन टेस्ट के अनुसार, लड़की बालिग थी।


हालांकि, सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि स्कूल रिकार्ड के अनुसार, लड़की का जन्म मार्च 2008 में हुआ था और इसकी उम्र लगभग 15 वर्ष और नौ महीने है। तथ्यों और प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, हाई कोर्ट ने कहा कि वह लड़की की उम्र के संबंध में जांच नहीं करेगा, क्योंकि इसका निर्धारण पाक्सो अधिनियम के तहत विशेष अदालत द्वारा किया जाना है। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि लड़की प्रथम दृष्टया नाबालिग थी और आरोपित की यह दलील कि वह बालिग है, विशेष अदालत की जांच का विषय है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने आरोपित की अग्रिम जमानत की मांग खारिज कर दी।

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