संस्कृत भाषा और संस्कृत दिवस 2024 का महत्व जानिए

शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखे गए है. संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है

Apr 27, 2024 - 16:53
Sep 4, 2024 - 12:24
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संस्कृत भाषा और संस्कृत दिवस 2024 का महत्व जानिए

संस्कृत भाषा और  संस्कृत दिवस 2020 का महत्व 

anskrit Language Day , Sanskrit Diwas Date in hindi


संस्कृत भाषा या संस्कृत दिवस 2020 का महत्व ( Sanskrit Language Day , Sanskrit Diwas Date in hindi)
संस्कृत भाषा भारत देश की सबसे प्राचीन भाषा है, इसी से देश में दूसरी भाषाएँ निकली है. सबसे पहले भारत में संस्कृत ही बोली गई थी. आज इसे भारत के 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. उत्तराखंड राज्य की यह एक आधिकारिक भाषा है. भारत देश के प्राचीन ग्रन्थ, वेद आदि की रचना संस्कृत में ही हुई थी. यह भाषा बहुत सी भाषा की जननी है, इसके बहुत से शब्दों के द्वारा अंग्रेजी के शब्द बने है. महाभारत काल में वैदिक संस्कृत का प्रयोग होता है. संस्कृत आज देश की कम बोले जानी वाली भाषा बन गई है, लेकिन इस भाषा की महत्ता को हम सब जानते है, इसके द्वारा ही हमें दूसरी भाषा सीखने बोलने में मदद मिली, इसकी सहायता से बाकि भाषा की व्याकरण समझ में आई.

विश्व संस्कृत दिवस 2024: इतिहास, थीम और महत्व

विश्व संस्कृत दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत दिवस के नाम से भी जाना जाता है, हर साल हिंदू कैलेंडर के श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष, यह विशेष दिन 19 अगस्त, 2024 को आएगा। इसका मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके महत्व को उजागर करना है। संस्कृत, जो साहित्य, दर्शन, गणित और विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शास्त्रीय ग्रंथों का आधार है, को मनाने का यह अवसर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव के रूप में माना जाता है।

विश्व संस्कृत दिवस 2024 की थीम इस बार 'वैदिक विरासत और परंपरा' है। इस अवसर पर, पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश 19 से 25 अगस्त, 2024 तक संस्कृत भाषा पर एक सप्ताह का उत्सव आयोजित कर रहा है। यह थीम संस्कृत की प्राचीन वैदिक परंपराओं और विरासत को मान्यता देने और प्रचारित करने का प्रयास करती है।

विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास 1969 से शुरू होता है, जब भारत सरकार ने संस्कृत व्याकरणविद पाणिनि की 2500वीं जयंती के उपलक्ष्य में 19 अगस्त को संस्कृत दिवस के रूप में घोषित किया था। पाणिनि को संस्कृत व्याकरण का जनक माना जाता है और उनकी रचना 'अष्टाध्यायी' आज भी उपयोग की जाती है। पहला संस्कृत दिवस "संस्कृत: ज्ञान की भाषा" विषय के तहत नई दिल्ली में मनाया गया था, जिसमें दुनिया भर के विद्वानों ने भाग लिया था।

इस दिन संस्कृत की सुंदरता और समृद्धि का जश्न मनाने के साथ-साथ इसका अध्ययन और प्रयोग बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है। 2019 में, यूनेस्को ने 19 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत दिवस के रूप में मान्यता दी, जिससे वैश्विक स्तर पर भाषा की महत्वता को बढ़ावा मिला।

19 अगस्त 2024 का यह विशेष दिन संस्कृत के ज्ञान और परंपराओं को सम्मानित करने और स्थानीय भाषाओं को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन संस्कृत के योगदान को उजागर करते हुए संस्कृतियों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प भी दर्शाता है।

Sanskrit day 2023



संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है (Sanskrit Day Date 2020) –

भारतीय कैलेंडर के अनुसार संस्कृत दिवस सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. संस्कृत दिवस की शुरुआत 1969 में हुई थी. इस बार संस्कृत दिवस 3 अगस्त 2020, को है. रक्षाबंधन का त्यौहार भी सावन माह की पूर्णिमा को आता है, इसका मतलब राखी और संस्कृत दिवस एक ही दिन आता है.

संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य (Purpose of Celebrate Sanskrit Diwas) –

संस्कृत दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इसके मनाने का उद्देश्य यही है कि इस भाषा को और अधिक बढ़ावा मिले. इसे आम जनता के सामने लाया जाये, हमारी नयी पीढ़ी इस भाषा के बारे में जाने, और इसके बारे में ज्ञान प्राप्त करे. आजकल के लोगों को लगता है, संस्कृत भाषा पुराने ज़माने की भाषा है, जो समय के साथ पुरानी हो गई, इसे बोलने व पढने में भी लोगों को शर्म आती है. लोगों की इसी सोच को बदलने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाया जाता है.

Sanskrit Language Day
संस्कृत भाषा का महत्व (Sanskrit Language Mahatv and information in hindi) –

संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है. संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है. यह ऐसी कुंजी है, जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में और हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं के असंख्य रहस्यों को जानने में मदद करती है. भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखे गए है. संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है, और ये प्राचीन सभ्यता को रोशन करने के लिए भी सक्षम है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है कि संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.

आधुनिक युग मे संस्कृत की महत्ता (Importance of Sanskrit Language in modern world)

हम दुनिया में विदेशियों के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण मानते है, क्यूंकि इन्ही के द्वारा संस्कृत भाषा में निहित साहित्य की जानकारी पूरी दुनिया के सामने आ पाई है. सब 1783 में सर विलियम जॉन ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कलकत्ता आये थे. वे अंग्रेजी भाषाविद, संस्कृत में विद्वान और एशियाई सोसायटी के संस्थापक थे. उन्होंने कालिदास द्वारा संस्कृत में रचित कहानी ‘अभिज्नना शकुंतला’ एवं ‘रितु संहार’ को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया था. इसके अलावा कवि जयदेव द्वारा रचित ‘गीता गोविंदा’ व मनु के कानून ‘मनुस्मृति’ को भी इंग्लिश भाषा में परिवर्तित किया. सन 1785 में एक अन्य विद्वान सर चार्ल्स विल्किंस ने ‘श्रीमद भगवत गीता’ को अंग्रेजी में लिखा. श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन यहाँ पढ़ें.



हितोपदेश भारतीय दंतकथाओं के संग्रह को एक जर्मन भाषाविद मैक्स मुलर ने संस्कृत से जर्मनी भाषा में ट्रांसलेट किया था. उन्होंने अपना नाम भी संस्कृत में बदल कर ‘मोक्ष मुलर भट’ कर लिया था. अपना नाम बदलना उनका संस्कृत के प्रति लगाव और उसकी पूजा करने का तरीका था. इसके द्वारा उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया था. कालिदास द्वारा रचित ‘मेघदूत’ को इन्होने जर्मनी में लिखा और उसे ‘दी फेटल रिंग’ नाम दिया. इसके अलावा भी मैक्स मुलर ने बहुत सी प्राचीन धार्मिक रचना का संपादन कर, उसे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में 1879 से 1884 के दौरान प्रकाशित किया.

वेद और उपनिषद बस संस्कृत में नहीं लिखे गए थे, इसके अलावा भी संस्कृत को नौ ग्रहों, राहू, केतु धूमकेतु का ज्ञान था. संस्कृत में आयुर्वेद चिकत्सा, विमान का भी रहस्य छुपा हुआ था. वेद में सभी नौ गृह, महीने, दिन, मौसम के बारे में जानकारी थी, इससे प्रकृति की रचना के बारे में, मौसम के बारे में समझने में आसानी हुई.

संस्कृत दिवस मनाने का तरीका (Sanskrit Day Celebrated) –

सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए अपने इस कार्यक्रम से स्कूल, कॉलेज को भी जोड़ती है. स्कूल कॉलेज में अलग अलग कार्यक्रम होते है. शहर के सभी स्कूलों के बीच संस्कृत भाषा में निबंध, श्लोक, वाद-विवाद, गायन, पेंटिंग की प्रतियोगिता होती है. कुछ सामाजिक संसथान व मंदिरों के द्वारा भी इस दिन कार्यक्रम कराये जाते है. संस्कृत की रचना, श्लोक, पुस्तक लोगों में बाँटें जाते है. सरकार के द्वारा संस्कृत की भाषा को बढ़ाने के लिए किसी नई योजना की घोषणा होती है.

आज के समय में संस्कृत भाषा की स्थिति (Importance of sanskrit language in today’s world) –

आज के समय संस्कृत भाषा की परिस्थति ख़राब ही है. बहुत से पाठ्यक्रम से इसे हटा दिया गया है. संस्कृत भाषा का अध्ययन भारत देश में अनिवार्य नहीं है, जिससे अलग अलग राज्य अपने पाठ्यक्रम में अपनी इच्छा अनुसार, अपने राज्य की कोई भाषा पाठ्यक्रम से जोड़ लेते है. वैसे अब सरकार ने ये रुल निकाला है कि कक्षा छठवी से आठवी तक संस्कृत अनिवार्य है. केन्द्रीय विद्यालय ने भी ये रुल अपनाया है, और अपने पाठ्यक्रम में संस्कृत जोड़ा है. केन्द्रीय विद्यालय ने 2014 से हर साल ‘संस्कृत सप्ताह’ मनाने का भी तय किया है. इस दौरान सीबीएसई के सभी स्कूलों में संस्कृत सप्ताह मनाया जायेगा और संस्कृत भाषा से जुड़े कार्यक्रम होंगें. संस्कृत श्लोक एवं उसके हिंदी अर्थ यहाँ पढ़ें.

भारत के अलावा विदेश में भी संस्कृत भाषा प्रसिद्ध है, वहां के कॉलेज स्कूल में एक फोरेन भाषा के तौर पर संस्कृत को मान्यता प्राप्त है, जिसे छात्र अपनी इच्छा अनुसार चुन सकते है. जर्मनी, अमेरिका, लन्दन में ये ज्यादा प्रचलित है.

भारत में मौजूद संस्कृत यूनिवर्सिटी (List of sanskrit university in India) –

भारत में अभी भी बहुत से ऐसे लोग है, जो संस्कृत भाषा में अध्ययन करते है. भारत में पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी 1791 में वाराणसी में खुली थी.

क्रमांक यूनिवर्सिटी का नाम सन जगह
1. सम्पूर्ण आनंद संस्कृत यूनिवर्सिटी 1791 वाराणसी
2. सद्विद्या पाठशाला 1876 मैसूर
3. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी 1961 दरभंगा
4. राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ 1962 तिरुपति
5. श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ 1962 नई दिल्ली
6. राष्ट्रीय संस्कृत संसथान 1970 नई दिल्ली
7. श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी 1981 पूरी, उड़ीसा
8. नेपाल संस्कृत यूनिवर्सिटी 1986 नेपाल
9. श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ़ संस्कृत 1993 कलादी, केरल
10. कविकुलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी 1997 रामटेक
11. जगद्गुरु रामानंदचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी 2001 जयपुर
12. श्री सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी 2005 सोमनाथ, गुजरात
13. महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय 2008 उज्जैन
14. कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी 2011 बैंग्लोर
इसके अलावा देश-विदेश के बहुत से कॉलेजों में संस्कृत पाठ्यक्रम के लिए अलग से डिपार्टमेंट होता है. बहुत से लोग यहाँ से ग्रेजुएशन के साथ साथ पोस्ट ग्रेजुएशन भी करते है.

संस्कृत भाषा भारत देश का गौरव है, जिसे बढ़ावा और उसका हक़ मिलना ही चाहिए.

सद्भावना दिवस क्यों मनाया जाता है - Deepawali
सद्भावना दिवस क्यों मनाया जाता है ( Sadbhavana Diwas Importance, Celebration, Pledge 2020 In Hindi)
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के जन्म दिवस को सद्भावना दिवस के रूप में हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है. सद्भावना मतलब एक दुसरे के प्रति अच्छी भावना रखना. राजीव गाँधी भारत देश के एक युवा नेता एवं प्रधानमंत्री थे. इन्होने भारत देश के विकास के लिए अनेकों कार्य किये, इनकी सरकार का एक ही उद्देश्य था, कि देश के सभी जाति धर्म के लोग एक दुसरे से प्यार करे, एक दुसरे के प्रति अच्छी भावना रखें.

Sadbhavana Diwas
सद्भावना दिवस प्रतिज्ञा (Sadbhavana Diwas Pledge) –

सद्भावना दिवस के मौके पर सभी देशवासी प्रतिज्ञा लेते है. यह प्रतिज्ञा कांग्रेस पार्टी के समारोह में ली जाती है. इस प्रतिज्ञा में बोला जाता है कि देश का हर एक नागरिक जाति, धर्म, क्षेत्र एवं भाषा को न देखते हुए, इंसानियत को सबसे उपर रखेगा और एक दुसरे से अपने समान प्यार करेगा. साथ ही भारत के संविधान की रक्षा करते हुए, सभी धर्मों के बीच की दूरियों को कम करने में प्रयासरत रहेगा.

सद्भावना दिवस में कब है? (Sadbhavana Diwas Date) –

इस साल सद्भावना दिवस 20 अगस्त को मनाया जायेगा. यह श्री राजीव गाँधी के जन्म दिन दिवस पर मनाया जाता है, इस बार उनकी 75 वीं वर्षगांठ है.

सद्भावना दिवस समारोह (Sadbhavana diwas meaning) –

सद्भावना दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के द्वारा विशेष आयोजन होता है. देश भर में पार्टी सदस्य अपने पूर्व नेता राजीव गांधी को श्रधांजलि देते है, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते है. उनकी फोटो पर माल्यार्पण किया जाता है, दीपक जलाकर उन्हें याद किया जाता है. दिल्ली में स्थित राजीव गाँधी के समाधी स्थल वीरभूमि में राजीव गाँधी का पूरा परिवार, करीबी मित्र, रिश्तेदार और कांग्रेस पार्टी के मुख्य लोग इक्कठे होते है, इसके अलावा देश के और भी दूसरी पार्टी के प्रमुख नेता भी राजीव गाँधी को श्रधांजलि देने के लिए वहां जाते है.

सद्भावना दिवस के द्वारा राजीव गाँधी के द्वारा किये गए अविस्मरणीय प्रयास, राष्ट्र की प्रगति के कार्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में उनके अभूतपूर्व योगदान को याद किया जाता है. यह दिन राष्ट्रीय प्रगति के उनके जुनून को पूरा करने के लिए मनाया जाता है.

राजीव गाँधी चाहते थे, भारत देश एक विकसित देश बन जाये. भारत को एक विकसित देश बनाने की उनकी दृष्टि स्पष्ट रूप से, देश के लिए किये गए आर्थिक और सामाजिक कार्यों की संख्या को देखकर समझा जा सकता था. उनके उत्साही और प्रेरणादायक शब्द, देश के विकास में उनके भाषण के दौरान सुनने को मिलते थे, जिसे अभी भी उनकी जयंती पर याद किया जाता है. उनके द्वारा कही हुई बातें, बहुत प्रेरणादायक है, जो भारत का नेतृत्व करने के लिए देश के युवाओं को प्रेरित करती हैं. राजीव गाँधी एक युवा नेता थे, उन्होंने देश के विकास के लिए युवा शक्ति को सबसे उपर रखा था. राजीव गाँधी के कार्य, उनकी छवि से आज भी देश की युवा पीढ़ी प्रेरणा प्राप्त करती है. राजीव गाँधी द्वारा कही गई एक बात –

“भारत एक पुराना देश है, लेकिन यह एक नया राष्ट्र है. जैसे युवा अपने जीवन में नया कार्य करने के लिए, बैचेन रहते है, वैसे ही भारत देश है, जो तेजी से जल्दी विकास चाहता है. मैं एक जवान हूँ, और मेरा भी एक सपना है. मैं चाहता हूँ भारत देश आत्मनिर्भर बने, उसे किसी पर निर्भर न होना पड़े, वह एक शक्तिशाली, स्वतंत्र देश बनकर सामने आये. मानवता में भारत देश सबसे आगे रहे.”

सद्भावना दिवस सेलिब्रेशन (Sadbhavana Diwas Celebration) –

सद्भावना दिवस के दिन देश के अलग अलग हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किये जाते है. इस दिन सभी को गो ग्रीन का पाठ सिखाया जाता है, जो इस दिन अधिक अधिक वृक्षारोपण करते है, कार्यक्रम में हरियाली थीम पर अधिक ध्यान दिया जाता है. प्रकति को साफ़ सुथरा रखने, प्रदुषण को दूर करने पर भाषण दिए जाते है. बच्चों द्वारा इस विषय पर नाटक, पेंटिंग, वाद विवाद, गायन की प्रतियोगिता होती है.

सद्भावना दिवस रैली –

हर साल इस दिन कुछ करने का प्रयास किया जाता है. राजीव गाँधी के 69वीं वर्षगांठ पर उड़ीसा के भुवनेश्वर में सद्भावना साइकिल रैली निकाली गई थी. जिसका मोर्चा कांग्रेस नेता लोकनाथ मराठी ने संभाला था. कांग्रेस पार्टी के प्रख्यात सदस्यों ने रैली और दिन के अन्य कार्यों में भाग लिया था.

कई स्कूल, कॉलेजों द्वारा जिला स्तर पर रैली निकाली जाती है, साथ ही अन्य कार्यक्रम आयोजन होता है. यह भारत के लिए मुख्य दिन होता है, लेकिन इस दिन नेशनल हॉलिडे नहीं होता है.

राजीव गाँधी नेशनल सद्भावना अवार्ड (Rajiv Gandhi Sadbhavana Award) –

एक भारतीय पुरस्कार है, जो सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता और शांति को बढ़ावा देने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है. यह पुरस्कार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अखिल भारतीय कांग्रेस समिति द्वारा शुरू किया गया था, 1992 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा दिए गए योगदान को स्थाई बनाने के लिए इस पुरुस्कार की शुरुवात हुई थी, सबसे पहले पुरुस्कार के तौर पर 5 लाख की राशी वितरित की गई थी. तब से अब तक हर साल सद्भावना दिवस के मौके पर सद्भावना अवार्ड का फंक्शन रखा जाता है. यह अवार्ड अब इन लोगों को मिल चूका है –

क्रमांक नाम
1. मदर टेरेसा (मदर टेरेसा जीवनी को यहाँ पढ़ें)
2. सुनील दत्त
3. लता मंगेशकर (लता मंगेशकर जीवनी यहाँ पढ़ें)
4. उस्ताद बिस्मिलाह खान
5. के आर नारायण
6. जगन नाथ कॉल
7. दिलीप कुमार (दिलीप कुमार जीवनी यहाँ पढ़ें)
8. मौलाना वहिद्दुनी खान
9. कपिला वात्स्यानन
10. मोहम्मद युनुस
11. हितेश्वर सैकिया और सुभद्रा जोशी (संयुक्त रूप में)
12. निर्मला देशपांडे
13. तीस्ता सीतलवाड़ और हर्ष मंडेर (संयुक्त रूप में)
14. एस एन सुब्बाराव, स्वामी अग्निवेश और मदारी मोईदीन (संयुक्त रूप में)
15. एन राधाकृष्णन
16. डी.आर.मेहता
17. हेम दत्ता
18. मुजफ्फर अली (भारत के नामी फ़िल्मकार)
19. स्पिक मैके
20. गौतम भाई
21. अमजद अली खान

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