कौन थे महाराजा अग्रसेन, जिन पर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम रखने की मांग?

Who was Maharaja Agrasen: पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन को महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन की करने की मांग की गई. यह मांग दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से की है. अब फैसला केंद्र सरकार के हाथ में है. जानिए, कौन थे महाराजा अग्रसेन?

Jul 2, 2025 - 17:42
 0
कौन थे महाराजा अग्रसेन, जिन पर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम रखने की मांग?
कौन थे महाराजा अग्रसेन, जिन पर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम रखने की मांग?

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने रेल मंत्री अश्विन वैष्णव को पत्र लिखकर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम महराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन करने की मांग की है. जैसे ही उनका पत्र जनता के बीच आया, वायरल हो गया. विपक्ष ने जहां नाम बदलने को राजनीतिक हथियार घोषित कर दिया तो सत्ता पक्ष ने इसकी सराहना की है. अब यह फैसला केंद्र सरकार के हाथ में है कि वह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम मांग के अनुरूप रखे या न रखे.

माना जा रहा है कि सीएम ने व्यापारियों को पार्टी की ओर आकर्षित करने के इरादे से यह स्टेप लिया है. पुरानी दिल्ली यूं भी व्यापार का बहुत पुराना केंद्र है. हर गली में व्यापारी और व्यापार रहता-बसता है. ऐसे में रेल मंत्री अगर दिल्ली सीएम की मांग पर विचार करते हैं तो यह उनकी पार्टी के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.

महाराजा अग्रसेन के नाम पर पूरे देश में स्कूल-कॉलेज, धर्मशालाएं बनी हुई हैं तो उनकी प्रतिमा भी अक्सर शहरों में चौराहे-तिराहे पर लगी मिलती हैं. व्यापारी समुदाय, खास तौर से अग्रवाल समाज के लोग उनकी जयंती पूरे देश में उल्लास से मनाते हैं. सीएम रेखा गुप्ता की इसी मांग के बहाने आइए जानते हैं कि आखिर महाराजा अग्रसेन कौन थे? वे कहां के राजा थे? उनका शासन कैसा था? उनका समाज की तरक्की में क्या योगदान था. प्रजा के प्रति उनकी सोच-समझ क्या थी? शासन करने का उनका क्या तरीका था?

कौन थे महाराजा अग्रसेन?

भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक परंपरा में महाराजा अग्रसेन एक महान, आदर्श और लोकप्रिय शासक माने जाते हैं. वे अग्रवाल समाज के आदि पुरुष माने जाते हैं, जिनका नाम आज भी व्यापार, धर्म, सामाजिक समरसता और लोककल्याण की भावना के लिए श्रद्धा से लिया जाता है. हालांकि, उनका जन्म क्षत्रिय कुल में हुआ था.

माना जाता है कि वे भगवान राम के वंशज थे. उनका जन्म पांच हजार साल से भी पहले हुआ था. वे आज की दिल्ली, वल्लभगढ़ और आगरा के राजा थे. उनके पिता वल्लभ सेन एवं मां भगवती देवी थी. पिता के बाद ही वे गद्दी पर बैठे.

Old Delhi Railway Station

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन.

सूर्यवंशी राजा जो व्यापारी समाज के अग्रणी के रूप में पूजे जा रहे

महराजा अग्रसेन सूर्यवंशी थे. वर्तमान में हरियाणा राज्य के हिसार जिले के पास अग्रोहा उनकी राजधानी हुआ करती थी. उन्होंने ही अग्रोहा नगर की स्थापना की, जो कालांतर में व्यापार, शांति, समानता, और सामाजिक न्याय का प्रतीक बनकर उभरा. कुछ ही समय बाद अग्रोहा समृद्धि और व्यापार के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरकर पूरे देश के सामने आया.

वे न्यायप्रिय शासन व्यवस्था के तो हिमायती थे ही, अहिंसा और सहयोग आधारित शासन को उन्होंने आगे बढ़ाया. यह अपने आप में आंख खोलने वाला तथ्य है कि कोई राजा युद्ध का समर्थक न हो. अहिंसा का पुजारी हो. सबको समान भाव से देखता हो. महाराजा अग्रसेन के राज में जाति, धर्म के आधार पर कुछ भी नहीं तय होता था.

नए व्यक्ति को शहर के हर परिवार से एक ईंट, एक रुपया

उन्होंने समाजवाद और समानता की एक नई परिभाषा गढ़ी. जब अग्रोहा या राज्य में कोई नया व्यक्ति इस इरादे से आता कि वह यहीं रुककर व्यापार करेगा तो उसकी मदद में राजा तो खड़े ही थे, नगर की जनता भी मदद को सामने आती. हर घर से एक ईंट और एक रुपया उसे दिया जाता, जो उस जमाने में किसी भी आदमी को स्थापित होने में बहुत मददगार साबित होता.

महाराजा अग्रसेन का मानना था कि इस मदद से कोई भी व्यक्ति अपना घर-व्यापार जमा सकेगा और न तो राज्य पर बाद बोझ पड़ेगा और न ही जनता पर. सब मिल जुलकर एक-दूसरे की मदद का भाव रखते थे. इसी में सबकी भलाई छिपी हुई थी. यह एक तरह का प्राचीन सामाजिक सुरक्षा और समान अवसर का मॉडल था, जो महाराजा की लोकप्रियता में इजाफा करता गया.

व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

महाराजा अग्रसेन ने समाज को मेहनत, नैतिकता और उद्यमिता की ओर प्रेरित किया. इसलिए अग्रवाल समाज आज भी व्यापार के क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं और उन्हें देवता की तरह पूजते हैं. क्योंकि सूर्यवंशी राजा होने के बावजूद उनकी विनम्रता, उद्यमिता, व्यापार की नीति उन्हें अन्य समकालीन राजाओं से अलग करती है. इसीलिए अनेक राजा इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गए हैं तो महाराजा अग्रसेन आज भी हजारों साल बाद जन-जन की जुबान पर हैं. शासन-व्यवस्था की उनकी खूबियां उन्हें आज तक लोकप्रिय बनाए हुए है.

धार्मिक सहिष्णुता और धार्मिक पुनर्निर्माण

महाराजा अग्रसेन पहले शैव मार्ग पर चलते थे, लेकिन बाद में महर्षि गर्ग की प्रेरणा से उन्होंने वैष्णव धर्म को अपनाया. उन्होंने अहिंसा का पालन किया. उसे ही बढ़ावा दिया. यज्ञ-पूजा में बलि परंपराओं का विरोध भी उन्होंने आजीवन किया. यही कुछ ऐसे कारण है कि अग्रवाल और अग्रसेनी समाज उन्हें पूज्य पुरुष मानते हैं. हरियाणा के अग्रोहा धाम में आज भी उनका भव्य मंदिर है. दिल्ली में अग्रसेन की बावली, उनके नाम पर है, जो एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में पहचान रखता है. वे सर्वे भवन्तु सुखिन: के सिद्धांत को मानते थे. उद्यम को सफलता की कुंजी भी. मेहनत और ईमानदारी से सफलता की राह उनकी नजर में जीवन को आसान बनाती.

यह भी पढ़ें: कैसे मिलिट्री सैटेलाइट्स दुश्मन की खुफिया जानकारी देंगे?

सह सम्पादक भारतीय न्यूज़ भारतीय न्यूज़, ताजा खबरें, इंडिया न्यूज़, हिंदी समाचार, आज की खबर, राजनीति, खेल, मनोरंजन, देश दुनिया की खबरें news letter हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, Associate Editor, Bharatiya News , विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें। Bharatiya News पर पढ़ें भारत और दुनिया से जुड़ी ताज़ा खबरें, राजनीति, खेल, मनोरंजन, तकनीक और अन्य विषयों पर विश्वसनीय समाचार