बोकारो गांव में गोबर गैस प्लांट से बड़ा बदलाव: महिलाओं को राहत, खेतों को खाद और पशुपालन को बढ़ावा

झारखंड के बोकारो जिले के जराडीह गांव में गोबर गैस प्लांट ने ग्रामीणों की जिंदगी बदल दी है। महिलाओं को धुएं-घुटन से मुक्ति मिली, खेतों को प्राकृतिक खाद और पशुपालन को नया सहारा मिला।

Aug 20, 2025 - 14:38
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बोकारो गांव में गोबर गैस प्लांट से बड़ा बदलाव: महिलाओं को राहत, खेतों को खाद और पशुपालन को बढ़ावा
बोकारो गांव में गोबर गैस प्लांट से बड़ा बदलाव: महिलाओं को राहत, खेतों को खाद और पशुपालन को बढ़ावा

गोबर बना इस गांव के लिए वरदान: महिलाओं को मिली धुएं-घुटन से मुक्ति, खेतों को मिली खाद, पशुपालन पर फिर उपजा विश्वास

बोकारो, झारखंड।
जहां कभी रसोई में धुएं और घुटन का माहौल हुआ करता था, वहीं अब बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड के जराडीह गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। यहां लगा गोबर गैस प्लांट गांव की महिलाओं, किसानों और पशुपालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रहा।


अब नहीं जाना पड़ता जंगल

पहले गांव की महिलाओं को जलावन के लिए दूर जंगलों से लकड़ी लानी पड़ती थी। सिलेंडर भरवाना भी बड़ी चुनौती थी। लेकिन अब घर पर ही गोबर गैस की सुविधा से बिना धुएं और झंझट के खाना आसानी से पक रहा है।
महिलाएं न केवल सुरक्षित और स्वच्छ माहौल में खाना बना रही हैं, बल्कि समय और पैसे की भी बचत कर रही हैं।


एक चीज़, कई फायदे

यह बदलाव “गो ग्रीन फ्लेक्सी बायोगैस परियोजना” के तहत संभव हुआ है। मेधा डेरी की इस पहल से जराडीह, सदमा कला, बांगा, लेपो समेत कई गांवों के 72 किसानों को लाभ मिल रहा है।
इससे ग्रामीणों को दोगुना फायदा हो रहा है—

  • रसोई के लिए गैस

  • और खेतों के लिए उपजाऊ खाद (स्लरी)

पहले लोग गोबर से केवल गोयठा बनाते थे, लेकिन अब उसी गोबर से ऊर्जा और खाद दोनों मिल रही है।


महिलाओं की जिंदगी आसान

गांव की महिला नीतू देवी बताती हैं कि गोबर गैस से उनकी जिंदगी काफी आसान हो गई है।

“पहले लकड़ी और कोयले के चूल्हे पर खाना बनाना बहुत मुश्किल था। अब सिर्फ 30-40 किलो गोबर से सात-आठ लोगों का खाना आराम से बन जाता है।”

वहीं सुनीता देवी ने कहा कि अब बच्चों को धुएं की घुटन नहीं झेलनी पड़ती और रसोई भी साफ-सुथरी रहती है।


किसानों और पशुपालन को मिला सहारा

गांव के किसान योगेंद्र महतो के अनुसार, गोबर गैस प्लांट ने पशुपालन को बढ़ावा दिया है। अब लोग गोबर के महत्व को समझ रहे हैं और पशुधन की संख्या बढ़ा रहे हैं।
इससे खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद भी आसानी से उपलब्ध हो रही है।


आत्मनिर्भरता की ओर कदम

इस एक पहल ने गांव में बड़ा बदलाव ला दिया है।

  • महिलाएं स्वच्छ और सुरक्षित रसोई पा रही हैं।

  • किसानों को सस्ती और प्राकृतिक खाद मिल रही है।

  • ग्रामीण पशुपालन में फिर से रुचि ले रहे हैं।

कुल मिलाकर गोबर गैस ने यहां के लोगों को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाया है।

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,