शशि थरूर फिर विवादों में | आडवाणी की तारीफ पर बवाल | राजनीतिक बयान पर नई बहस

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर उनकी प्रशंसा की, जिसके बाद सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया। थरूर ने कहा कि जैसे नेहरू और इंदिरा को सिर्फ एक घटना से नहीं आँका जा सकता, वैसे ही आडवाणी की विरासत का मूल्यांकन भी व्यापक होना चाहिए।

Nov 14, 2025 - 08:23
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शशि थरूर फिर विवादों में | आडवाणी की तारीफ पर बवाल | राजनीतिक बयान पर नई बहस

‘नेहरू और इंदिरा की तरह…’, आडवाणी की तारीफ कर फिर विवादों में घिरे शशि थरूर

कांग्रेस नेता और चर्चित सांसद शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के 98वें जन्मदिन पर थरूर द्वारा की गई प्रशंसा ने सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छेड़ दी है।
अपने X (Twitter) पोस्ट में थरूर ने आडवाणी को “सच्चा राजनेता” बताते हुए उनके लोकसेवा के समर्पण, विनम्रता और आधुनिक भारत के निर्माण में निभाई गई भूमिका को अमिट कहा।


???? थरूर का बयान – विवाद की शुरुआत

शशि थरूर ने अपने पोस्ट में लिखा:

“आदरणीय एल.के. आडवाणी जी को 98वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! लोकसेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, उनकी विनम्रता और आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है।”

थरूर यहीं नहीं रुके। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि जैसे —

  • जवाहरलाल नेहरू को केवल 1962 के चीन युद्ध की हार से,

  • और इंदिरा गांधी को केवल इमरजेंसी से
    परिभाषित नहीं किया जा सकता,

वैसे ही लालकृष्ण आडवाणी के दशकों लंबे सार्वजनिक जीवन को किसी एक घटना, जैसे 1990 की रथ यात्रा के आधार पर नहीं आँका जाना चाहिए।


???? क्यों भड़का विवाद?

कांग्रेस सांसद की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस को जन्म दिया।
कई यूज़र्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने थरूर की आलोचना करते हुए कहा कि वे आडवाणी की “विवादित और विभाजनकारी राजनीति” को “सफेदपोश” दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय हेगड़े ने प्रतिक्रिया देते हुए टिप्पणी की:

“इस देश में नफरत के बीज बोना किसी भी तरह लोकसेवा नहीं है।”

इस टिप्पणी के बाद बहस और तेज हो गई। आलोचकों का कहना है कि आडवाणी के राजनीतिक जीवन में ऐसे कई प्रसंग हैं जिनका प्रभाव आज भी देश की राजनीति में महसूस किया जाता है।


???? थरूर की दलील – ‘एक घटना से पूरी विरासत का मूल्यांकन नहीं’

थरूर के तर्क का मूल यह है कि किसी भी बड़े नेता की राजनीतिक भूमिका को उसके पूरे करियर के आधार पर देखा जाना चाहिए, न कि किसी एक विवादित घटना से।

उनके मुताबिक:

  • नेहरू की विरासत सिर्फ 1962 की हार नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की बुनियाद है।

  • इंदिरा गांधी सिर्फ इमरजेंसी नहीं, बल्कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम जैसी ऐतिहासिक उपलब्धियों का भी हिस्सा हैं।

  • और आडवाणी भी सिर्फ रथ यात्रा तक सीमित नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति को आकार देने वाली एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं।


???? राजनीतिक संदेश क्या है?

थरूर की यह टिप्पणी कई स्तरों पर राजनीतिक संदेश देती है:

1. राजनीतिक परिपक्वता का संकेत

विपक्षी नेताओं के प्रति सम्मान दिखाना आज की राजनीति में विरल हो गया है।
थरूर इस धारणा को चुनौती देते दिखते हैं।

2. कांग्रेस की ‘विस्तृत सोच’ का इशारा

कई विश्लेषक इसे कांग्रेस के भीतर बौद्धिक और उदारवादी राजनीति का संकेत मान रहे हैं।

3. सोशल मीडिया राजनीति का प्रभाव

थरूर की पोस्ट यह दिखाती है कि आज एक छोटा सा बयान राष्ट्रीय विवाद का रूप ले सकता है।


???? सोशल मीडिया पर बंटे स्वर

जहाँ कुछ लोग थरूर की निष्पक्षता और बौद्धिक दृष्टिकोण की सराहना कर रहे हैं, वहीं कई लोग इसे राजनीतिक रणनीति या “द्वेष भुलाने की बेवजह कोशिश” कहते हुए आलोचना भी कर रहे हैं।


शशि थरूर का यह बयान भारतीय राजनीति में एक रोचक मोड़ प्रस्तुत करता है, जहाँ एक विपक्षी नेता, एक वरिष्ठ बीजेपी नेता की प्रशंसा कर विवाद खड़ा कर देता है।
इस प्रकरण ने यह महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है कि —

क्या नेताओं का मूल्यांकन उनके पूरे जीवन-कार्य के आधार पर होना चाहिए या किसी एक घटना के प्रभाव से?

विवाद चाहे जैसा हो, थरूर का बयान राजनीतिक विमर्श में एक नई बहस जरूर जोड़ देता है।

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,