पानीपत

पौराणिक कथा के अनुसार, पानीपत महाभारत के समय पांडव बंधुओं द्वारा स्थापित पांच शहरों (प्रस्थ) में से एक था इसका ऐतिहासिक नाम पांडुप्रसथ है। पानीपत भारतीय इतिहास में तीन प्रमुख लड़ाइयों का गवाह है। पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच लड़ा गया था। बाबर की सेना ने इब्राहिम के एक लाख से ज्यादा सैनिकों को हराया। इस प्रकार पानीपत की पहली लड़ाई ने भारत में बहलुल लोदी द्वारा स्थापित ‘लोदी वंश’ को समाप्त कर दिया। पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर 1556 को अकबर और सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य के बीच लड़ी गई, सम्राट हेम चन्द्र उत्तर भारत के राजा थे तथा हरियाणा के रेवाड़ी से सम्बन्ध रखते थे। हेम चन्द्र ने अकबर की सेना को हरा कर आगरा और दिल्ली के बड़े राज्यों पर कब्जा कर लिया था। इस राजा को विक्रमादित्य के रूप में भी जाना जाता है। यह राजा पंजाब से बंगाल तक 1553-1556 से अफगान विद्रोहियों के खिलाफ 22 युद्धों जीत चुका था और 7 अक्टूबर 1556 को दिल्ली में पुराना किला में अपना राज्याभिषेक था और उसने पानीपत की दूसरी लड़ाई से पहले उत्तर भारत में ‘हिंदू राज’ की स्थापना की थी। हेम चंद्र की एक बड़ी सेना थी, और शुरूआत में उनकी सेना जीत रही थी, लेकिन अचानक हेमू की आंख में एक तीर मारा गया और उसने अपनी इंद्रियों को खो दिया। एक हाथी की पीठ पर अपने राजा को न देखकर उसकी सेना भाग गई। बाद में मुगलों द्वारा उस पर कब्जा कर लिया और उसका सिर काट दिया। उसके सिर को दिल्ली दरवाजा के लिए काबुल भेजा गया था और उसके धड़ को दिल्ली में पुराना किला के बाहर लटका दिया गया था। पानीपत की इस दूसरी लड़ाई ने उत्तर भारत में हेमू द्वारा स्थापित ‘हिंदू राज’ को कुछ समय के लिए समाप्त कर दिया। पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के तहत मराठों के बीच लड़ा गया था। यह लडाई अहमद शाह अब्दाली ने सदाशिवराव भाऊ को हराकर जीत ली थी। यह हार इतिहास मे मराठों की सबसे बुरी हार थी। इस युद्ध ने एक नई शक्ति को जन्म दिया जिसके बाद से भारत में अग्रेजों की विजय के रास्ते खोल दिये थे। प्रसिद्ध उर्दू शायार मौलाना हली का जन्म भी पानीपत में ही हुआ था।पानीपत की पहली लड़ाई (1526) पानीपत का पहला युद्ध 21, अप्रैल 1526 को लड़ा गया था और इसने इस इलाके में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी। यह उन पहली लड़ाइयों मे से एक थी जिसमें बारूद, आग्नेयास्त्रों और मैदानी तोपखाने को लड़ाई में शामिल किया गया था। सन् 1526 में काबुल के तैमूरी शासक ज़हीर उद्दीन मोहम्मद बाबर, की सेना ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी की एक बहुत बड़ी सेना को युद्ध में परास्त किया। युद्ध 21 अप्रैल 1526 को पानीपत के निकट लड़ा गया था। पानीपत वो स्थान है जहाँ बारहवीं शताब्दी के बाद से उत्तर भारत के नियंत्रण को लेकर कई निर्णायक लड़ाइयां लड़ी गयीं।पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556) पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवम्बर 1556 को उत्तर भारत के हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम- हेमू ) और अकबर की सेना के बीच पानीपत के मैदान में लड़ा गया था। अकबर के सेनापति खान जमान और बैरम खान के लिए यह एक निर्णायक जीत थी। इस युद्ध के फलस्वरूप दिल्ली पर वर्चस्व के लिए मुगलों और अफगानों के बीच चलने वाला संघर्ष अन्तिम रूप से मुगलों के पक्ष में निर्णीत हो गया और अगले तीन सौ वर्षों तक मुगलों के पास ही रहा।पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761) पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जनवरी 1761 को अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच लड़ा गया| यह युद्ध 18वी सदी का सबसे बड़ा युद्ध माना गया है|

Aug 15, 2025 - 15:19
 0