दिल्ली ब्लास्ट और J&K Police ट्वीट कनेक्शन | ‘भाग सकते हो, बच नहीं सकते’ की पूरी कहानी

दिल्ली ब्लास्ट और जम्मू-कश्मीर पुलिस के ट्वीट का चौंकाने वाला कनेक्शन सामने आया है। डॉक्टरों से संचालित आतंकी मॉड्यूल, जैश-ए-मोहम्मद लिंक, गिरफ्तारियां और 10 नवंबर की पूरी घटना जानें विस्तार से।

Nov 14, 2025 - 08:29
Nov 14, 2025 - 08:31
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दिल्ली ब्लास्ट और J&K Police ट्वीट कनेक्शन | ‘भाग सकते हो, बच नहीं सकते’ की पूरी कहानी

‘भाग सकते हो, लेकिन बच नहीं सकते’… जम्मू-कश्मीर पुलिस के ट्वीट और दिल्ली ब्लास्ट का कनेक्शन – पूरी कहानी

दिल्ली में लाल किले के सामने हुआ धमाका केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक ऐसी आतंकी साजिश की परतें खोलता है, जिसमें किरदार किसी अपराधी गैंग के सदस्य नहीं बल्कि डॉक्टर थे — वही डॉक्टर जिनका काम जीवन बचाना है, लेकिन जिन्होंने मौत का खेल चुन लिया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो ट्वीट इस पूरी कहानी से गहराई से जुड़े हुए हैं, जिनमें से एक में आतंकी मॉड्यूल का खुलासा हुआ था और दूसरे में लिखा था—
“You can run, but you can’t hide.”
और इस ट्वीट के कुछ ही मिनटों बाद दिल्ली ब्लास्ट हो गया।


दिल्ली ब्लास्ट के पीछे ‘डॉक्टर्स का टेरर मॉड्यूल’

जांच एजेंसियों के अनुसार यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद और अंसार ग़ज़वातुल हिंद से जुड़ा हुआ था।
इस मॉड्यूल को तैयार करने में शामिल थे:

  • डॉ. उमर

  • डॉ. मुजम्मिल

  • डॉ. अदील

ये सभी कथित तौर पर एक इंटरस्टेट और ट्रांसनेशनल आतंकी नेटवर्क के लिए काम कर रहे थे।


10 नवंबर 2025 — पहला ट्वीट जिसने साजिश को उजागर किया

10 नवंबर की दोपहर 1:40 PM पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहला ट्वीट किया।
इस ट्वीट के साथ एक प्रेस रिलीज थी, जिसमें बताया गया:

  • एक इंटरस्टेट टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़

  • भारी मात्रा में हथियार व विस्फोटक बरामद

  • कुल 7 गिरफ्तारियां
    जिनमें शामिल थे:

    • आरिफ निसार डार

    • यासिरउल अशरफ

    • मकसूद अहमद डार

    • मौलवी इरफान अहमद

    • जमीर अहमद एहंगर

    • डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई

    • डॉ. अदील

पुलिस ने यह भी बताया कि कुछ और संदिग्ध पहचाने जा चुके हैं और जल्द गिरफ़्तार होंगे।


इस बीच… क्या कर रहा था डॉ. उमर

ठीक उसी समय —
डॉ. उमर अपनी I20 कार में भरा विस्फोटक लेकर दिल्ली में घूम रहा था।

9 नवंबर की रात उसे पता चल चुका था कि उसके साथी डॉक्टरों के ठिकानों पर पुलिस छापे पड़ चुके हैं।
इसलिए 10 नवंबर की सुबह से ही एहतियात के तौर पर वह अलग-अलग जगह घूमकर अपनी लोकेशन छुपाता रहा।

  • पहले गया ओखला इंडस्ट्रियल एरिया

  • फिर पहुंचा कनॉट प्लेस

  • और आखिर में 3:19 PM पर लाल किला परिसर की सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में कार खड़ी कर दी
    वह कार में ही बैठा रहा, लगातार हालात की निगरानी करता हुआ।


दूसरा ट्वीट – ‘You can run, but you can’t hide’

शाम 6:10 PM पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दूसरा ट्वीट किया:

“You can run, but you can't hide.”
(तुम भाग तो सकते हो, लेकिन छुप नहीं सकते)

यह ट्वीट पूरे मॉड्यूल को एक सीधा संदेश देने जैसा था।

कई मिनट भी नहीं बीते थे कि—
लाल किले के सामने धमाका हो गया।

यही वह कार थी जिसे डॉ. उमर पूरे दिन लेकर घूम रहा था।
इस ब्लास्ट के बाद आतंकी मॉड्यूल की कड़ियाँ पुलवामा, श्रीनगर, फरीदाबाद और सहारनपुर तक पहुँच गईं।


कहानी का महत्वपूर्ण पहलू

यह मामला केवल एक धमाके की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि:

  • आतंकी संगठन अब Highly Educated Professionals को भी अपने जाल में फँसा रहे हैं

  • एक ट्वीट कैसे पूरे मॉड्यूल के पतन का कारण बना

  • डॉक्टर जैसे प्रोफेशन से जुड़े लोग भी कट्टरपंथी संगठनों का हिस्सा बन रहे हैं

  • सुरक्षा एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई से बड़ी घटनाओं को रोका जा सकता है


जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो ट्वीट और दिल्ली में ब्लास्ट घटना एक-दूसरे से सीधा जुड़ाव रखते हैं।
पहला ट्वीट — मॉड्यूल का पर्दाफाश
दूसरा ट्वीट — चेतावनी
और उसके कुछ ही मिनटों बाद दिल्ली ब्लास्ट

शाम 6 बज कर 10 मिनट पर जम्मू कश्मीर पुलिस का दूसरा ट्वीट आया. जिसमें लिखा था- यू कैन रन. बट यू कान्ट हाइड. यानी तुम भाग तो सकते हो, पर छुप नहीं सकते. दरअसल ये ट्वीट डॉक्टर उमर के लिए ही था. क्योंकि जैश के जिस मॉड्यूल का पर्दाफाश करने का दावा जम्मू कश्मीर पुलिस ने किया था, उस मॉड्यूल का लीडर डॉ. उमर ही था. फरीदाबाद में जम्मू कश्मीर पुलिस का ऑपरेशन और उससे पहले साथी डॉ मुजम्मिल और डॉ अदील की गिरफ्तारी की खबर डॉ उमर को पहले से लग चुकी थी.


सूत्रों के मुताबिक, दूसरे ट्वीट को पढ़ने के बाद ही डॉ उमर पैनिक में आ गया. यानी घबरा गया. दूसरे ट्वीट के बाद और लाल किले की पार्किंग से डॉ उमर के निकलने की टाइमिंग इस थ्योरी को मजबूत करती है. दूसरे ट्वीट के आने के ठीक 13 मिनट बाद शाम 6 बज कर 23 मिनट पर डॉ. उमर अचानक पार्किंग से गाड़ी निकालता है. हालांकि इससे पहले वो इसी आई 20 कार में पूरे 3 घंटे और 4 मिनट तक पार्किंग में ही बैठा रहा. फिर पार्किंग से निकलने के ठीक 15 मिनट बाद 6 बजकर 38 मिनट पर लाल किले के सामने वाली सड़क पर डॉ उमर की आई 20 कार में धमाका हो जाता है.


जम्मू कश्मीर पुलिस सूत्रों के मुताबिक जब अक्टूबर में पहली बार इस मॉड्यूल का खुलासा हुआ और डॉ मुजम्मिल की गिरफ्तारी हुई. तभी से डॉ उमर को पुलिस के ऑपरेशन की भनक लग चुकी थी. दूसरे ट्वीट के सामने आने के बाद ही उसे यकीन हो चला था कि पुलिस कभी भी उस तक पहुंच सकती है. बस इसीलिए वो बारूद से भरी कार ले कर घबराहट में पार्किंग से निकला और इसी घबराहट में कार में धमाका हो गया. यानी डॉ उमर को लाल किले के सामने चलती कार में धमाका नहीं करना था. ये सिर्फ और सिर्फ उन दो ट्वीट का असर था, जिसमें गफलत और घबराहट में धमाका हुआ.


जम्मू कश्मीर पुलिस के अलावा दिल्ली पुलिस और एनआईए सूत्रों का भी यही कहना है कि लाल किले के सामने हुआ धमाका घबराहट का नतीजा था. दिल्ली पुलिस और एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस बात की तस्दीक इससे भी होती है कि आई 20 कार में जो धमाका हुआ, वो बम - प्रीमेच्योर, नॉट फुल्ली डेवलप्ड मतलब आधा अधूरा था और पूरी तरह से तैयार नहीं था.


कौन था डॉ. उमर
डॉ उमर कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला था. पुलवामा में ही उसने स्कूलिंग की. इसके बाद श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज यानी जीएमसी से एमबीबीएस की पढ़ाई की. उमर नीट पीजी के एग्जाम में कश्मीर का टॉपर था. इसीलिए उसे जीएमसी में ही एमडी में भी दाखिला मिल गया. एमडी करने के बाद डॉ. उमर ने जीएमसी अनंतनाग में पहली नौकरी की. पर डेढ़ साल पहले उसने ये नौकरी छोड़ दी थी और फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रीसर्च में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नौकरी शुरू कर दी थी.


घरवालों को आखिरी बार किया था कॉल


30 अक्टूबर को जब जम्मू कश्मीर पुलिस ने डॉ मुजम्मिल को गिरफ्तार किया. उसके बाद से ही डॉ उमर ने अल फलाह यूनिवर्सिटी जाना छोड़ दिया. डॉ. उमर के पास 5 मोबाइल नंबर थे. 30 अक्टूबर के बाद से सभी नंबर भी बंद थे. उमर ने आखिरी बार पिछले शुक्रवार यानी 7 नवंबर को पुलवामा में अपने घर फोन किया था. तब उसने कहा था कि वो तीन दिन बाद घर आने वाला है. ये घर वालों से उसकी आखिरी बातचीत थी.


कौन है डॉ. मुजम्मिल गनई


डॉ उमर के घर से मुश्किल से 1 किलोमीटर की दूरी पर डॉ. मुजम्मिल गनई का घर है. मुजम्मिल ने 2017 में जम्मू के बत्रा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. डॉक्टर बनने के बाद उसने कुछ वक्त तक श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में नौकरी की. इसके बाद मुजम्मिल भी नौकरी छोड़ कर फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंच गया था. 

मुजम्मिल ने किया डॉक्टर मॉड्यूल का खुलासा
मुजम्मिल की बहन अस्मत भी डॉक्टर है. अस्मत ने बांग्लादेश से डॉक्टरी की पढ़ाई की. 10 नवंबर यानी जिस दिन लाल किले के सामने धमाका हुआ, ठीक उसी दिन अस्मत की शादी थी. लेकिन शादी से पहले अक्टूबर में भाई डॉक्टर मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद शादी की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी. मुजम्मिल आखिरी बार जून में अपने घर आया था. वो डॉक्टर मुजम्मिल ही था, जिसने सबसे पहले जैश के इस नए डॉक्टर मॉड्यूल का खुलासा किया था. उसी की निशानदेही पर फरीदाबाद में उसके किराये के घर पर दबिश डाली गई थी.


डॉ. शाहीन शाहिद का किस्सा


जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम फरीदाबाद पुलिस की मदद से मुजम्मिल के किराये के घर पहुंची थी. जहां से भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ था. मुजम्मिल के घर के बाहर ही एक कार से असॉल्ट राइफल भी मिली थी. बाद में पता चला कि ये कार डॉ. मुजम्मिल की दोस्त और अल फलाह यूनिवर्सिटी की डॉक्टर शाहीन शाहिद की है. शाहीन लखनऊ की रहने वाली है. उसने 1996 में सीपीएमटी के एग्जाम में टॉप किया था. जिसके बाद प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की.
शाहीन की शादी भी एक डॉक्टर से ही हुई थी. लेकिन साल 2015 में दोनों का तलाक हो गया था. तलाक के बाद भी डॉक्टर शाहीन यूपी में ही नौकरी कर रही थी. लेकिन फिर डॉक्टर मुजम्मिल के संपर्क में आने के बाद उसने यूपी छोड़ दी और वो भी फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में पहुंच गई.


सहारनपुर से डॉ. अदील की गिरफ्तारी
डॉ. मुजम्मिल की निशानदेही पर ही सहारनपुर से 6 नवंबर को डॉ. अदील की गिरफ्तारी हुई. कुलगाम के काजीगुंड का रहने वाले अदील मजीद राठर ने 2019 में श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज यानी जीएमसी से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. 2022 में उसने जीएमसी से ही एमडी कंप्लीट की. साल 2024 तक डॉ. अदील जीएमसी अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर काम करता रहा.


फिर अक्टूबर 2024 में वो कश्मीर छोड़ कर सहारनपुर आ गया और वहां एक प्राइवेट अस्पताल में जॉब करने लगा. यानी डॉ. मुजम्मिल, डॉ अदील और डॉ उमर तीनों के ही तार एमबीबीएस या एमडी की पढ़ाई के दौरान ही एक दूसरे से जुड़ चुके थे. बाद में इनमें से दो फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंचे और तीसरा सहारनपुर, और यहीं से इन डॉक्टरों का आतंकी खेल शुरू हो गया था.

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,