हसीना के बाद, भारत और बांग्लादेश के बीच होने जा रही पहली बड़ी वार्ता, क्या मुद्दों में हिन्दू दमन भी होगा शामिल !

भारत और बांग्लादेश के बीच दिसम्बर में तय उस पहली उच्च स्तरीय आधिकारिक बैठक में बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीमुद्दीन अपने देश का भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस मौके पर वर्तमान में जारी समझौतों तथा पिछली बैठकों में चर्चा में आए बिन्दुओं पर विस्तार से बात होनी तय […]

Nov 21, 2024 - 06:21
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हसीना के बाद, भारत और बांग्लादेश के बीच होने जा रही पहली बड़ी वार्ता, क्या मुद्दों में हिन्दू दमन भी होगा शामिल !

भारत और बांग्लादेश के बीच दिसम्बर में तय उस पहली उच्च स्तरीय आधिकारिक बैठक में बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीमुद्दीन अपने देश का भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस मौके पर वर्तमान में जारी समझौतों तथा पिछली बैठकों में चर्चा में आए बिन्दुओं पर विस्तार से बात होनी तय हुई है। ढाका में निजाम बदलने के बाद होने जा रही यह बैठक इसीलिए बहुत महत्वपूर्ण बताई जा रही है।


शेख हसीना को अपदस्थ करके ‘आंदोलनकारी छात्रों’ की बनवाई अंतरिम सरकार के शासन में हसीना की पार्टी अवामी लीग को जड़ से मिटा देने के प्रयत्न जारी हैं। बांग्लादेश के निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान की याद तक मिटा देने पर तुली वहां की अंतरिम सरकार के राज में हर देशभक्त बांग्लादेशी को दुश्मन की नजर से देखा जा रहा है। 5 अगस्त 2024 को इस तख्तापलट से पहले भारत ने बांग्लादेश में अनेक विकास योजनाओं में अपना पैसा और श्रम लगाया हुआ था। उनकी समीक्षा के साथ ही अन्य अनेक विषयों पर भारत और बांग्लादेश के बीच पहली उच्च स्तरीय वार्ता अगले माह होने जा रही है। ऐसे में, भारत के नागरिकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस वार्ता में बांग्लादेश से हिन्दू दमन के बारे में बात होगी?

हसीना की अवामी लीग सरकार के तख्तापलट के बाद, यह पहली वार्ता राजधानी ढाका में होगी। बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार शासन—प्रशासन को ठीक करने की बजाय मजहबी उन्मादियों के फरमानों को ही सिर—माथे रखती आ रही है। कट्टरपंथी तत्वों को खुली छूट मिली हुई है कि वे हिन्दुओं के घरों, मंदिरों आदि को तहस—नहस कर दें। इन दिनों ये मजहबी तत्व इस्कॉन के पीछे पड़े हैं और आपदा के समय वहां दिल खोलकर सबकी समान सेवा करने वाली इस संस्था के मंदिरों और भक्तों के लिए भारी मुसीबत खड़ी की हुई है।

बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों को खुली छूट मिली हुई है कि वे हिन्दुओं के घरों, मंदिरों आदि को तहस—नहस कर दें

भारत और बांग्लादेश के बीच दिसम्बर में तय उस पहली उच्च स्तरीय आधिकारिक बैठक में बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीमुद्दीन अपने देश का भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस मौके पर वर्तमान में जारी समझौतों तथा पिछली बैठकों में चर्चा में आए बिन्दुओं पर विस्तार से बात होनी तय हुई है। ढाका में निजाम बदलने के बाद होने जा रही यह बैठक इसीलिए बहुत महत्वपूर्ण बताई जा रही है।

भारत का विदेश मंत्रालय इस बैठक के लिए पूर्वतैयारी में जुट गया है। अधिकारी इसके एजेंडे को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। विदेश मंत्रालय ने इसी विषय पर चर्चा करने के लिए आज एक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में वर्तमान में लागू समझौतों आदि की स्थिति की समीक्षा की जानी है।

बांग्लादेश के कट्टर मजहबी, बीएनपी और ‘आंदोलनकारी छात्र’ भारत से तो खासतौर पर चिढ़े हुए हैं। कारण, देश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लेने आईं। परोक्ष रूप से खुद अंतरिम मुख्य सलाहार मोहम्मद यूनुस इस संबंध में घुड़कियां दिखा चुके हैं कि हसीना को शरण देकर पड़ोसी देश ठीक नहीं कर रहा। हसीना पर उनके देश में अनेक मुकदमे ठोंके गए हैं और अब तो इंटरपोल से रेडकार्नर नोटिस तक जारी करवाने की कवायद चल रही है।

5 अगस्त 2024 के बाद से ही भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। मुख्य सलाहकार यूनुस ने अभी तीन दिन पहले देश के नाम अपने संबोधन में साफ कहा था कि उनका विदेश मंत्रालय शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत से अपील करेगा।

उधर बांग्लादेश में अवामी लीग के सत्ता से जाने के बाद से ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश से पर्यटन के लिए भारत आने वालों की वीसा मियाद कम कर दी है। इतना ही नहीं, दोनों देशों के बीच ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ के अंतर्गत अनेक परियोजनाएं अटकी हुई हैं। तख्तापलट के बाद वहां परियोजनाओं पर काम कर रहे भारत के कॉट्रैक्टर अभी भी वापस नहीं गए हैं, क्योंकि वहां का माहौल अभी भी सुरक्षित नहीं दिख रहा है।

बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन का कहना है कि बांग्लादेश भी गत कुछ वर्षों में भारत के साथ हुए विभिन्न समझौतों की विस्तार से समीक्षा करेगा। इसी के साथ उनका यह भी कहना है कि भारत के मीडिया का एक वर्ग बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद अल्पसंख्यकों के दमन को बेवजह तूल देकर पेश कर रहा है। ऐसा करके वे द्विपक्षीय संबंधों को ठेस पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

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