इस्लामोफोबिया केवल मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग्स की रिपोर्टिंग को दबाने के लिए बनाया गया?: थिंक टैंक की रिपोर्ट में दावा

यूके में पॉलिसी एक्सचेंज नामक थिंक टैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है कि इस्लामोफोबिया शब्द का प्रयोग यूके में रोथेरहम और अन्य शहरों में चल रहे मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग्स के समाचारों और उनकी भयावहता को दबाने के लिए किया गया। THE ROTHERHAM GROOMING SCANDAL AND THE CREATORS OF THE ISLAMOPHOBIA DEFINITION […]

Feb 28, 2025 - 18:43
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इस्लामोफोबिया केवल मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग्स की रिपोर्टिंग को दबाने के लिए बनाया गया?: थिंक टैंक की रिपोर्ट में दावा
Islamophobia council in UK

यूके में पॉलिसी एक्सचेंज नामक थिंक टैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है कि इस्लामोफोबिया शब्द का प्रयोग यूके में रोथेरहम और अन्य शहरों में चल रहे मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग्स के समाचारों और उनकी भयावहता को दबाने के लिए किया गया।

THE ROTHERHAM GROOMING SCANDAL AND THE CREATORS OF THE ISLAMOPHOBIA DEFINITION नामक 13 पन्नों की इस रिपोर्ट में परत दर परत यह बताया है कि कैसे जब रोथेरहम में मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग्स ने श्वेत लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाना शुरू किया और जब ये किस्से सामने आए तो ब्रिटेन सरकार के ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप ऑन ब्रिटिश मुस्लिम्स द्वारा इस्लामोफोबिया पर बनाई गई एक रिपोर्ट के अहम सदस्य मुहबीन हुसैन ने किस प्रकार इन मामलों में अपराधियों का साथ दिया और साथ ही इन तमाम मामलों को दबाने के लिए भी सक्रिय रूप से काम किया।

हाल ही में यह समाचार आया था कि ब्रिटेन की सरकार इस्लामोफोबिया पर एक काउंसिल बनाने जा रही है। सरकार के इस समूह द्वारा यह दावा किया गया है कि ब्रिटिश मुस्लिम्स के साथ ग्रूमिंग गैंग्स के समाचार आने के बाद और भी भेदभाव किये जा रहे हैं और इसलिए जरूरी है कि इस्लामोफोबिया की परिभाषा तय की जाए। इस समाचार पर भी काफी हंगामा हुआ था और ब्रिटेन के हिंदुओं के संगठन ने भी इस बात पर आपत्ति व्यक्त की थी कि केवल इस्लाम के प्रति घृणा फैलाना ही अपराध क्यों, सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। और यह भी बात सत्य है कि अभी तक इस्लामोफोबिया की कोई भी निश्चित परिभाषा नहीं है।

मगर अब इस पॉलिसी एक्सचेंज की रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा है कि इस्लामोफोबिया शब्द का प्रयोग केवल उन लोगों के खिलाफ किया गया, जिन्होनें यूके में विभिन्न शहरों में चल रहे पाकिस्तानी मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग्स के खिलाफ आवाज उठाई थी।ब्रिटेन सरकार के ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप ऑन ब्रिटिश मुस्लिम्स के मुख्य सदस्य, जो कथित इस्लामोफोबिया के खिलाफ बहुत मुखर रहते हैं और जिन्हें इस समूह में उनकी भूमिका को लेकर बार-बार बधाई भी दी गई, वह खुद रोथेरहम से है और उनके अंकल महरूफ़ हुसैन उस समय लेबर से कैबिनेट सदस्य और काउन्सलर थे, जब यह ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल हुआ था। महरूफ़ ने अपने दोनों ही पदों से फरवरी 2015 में इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि ऐसी रिपोर्ट्स थीं कि उनके स्टाफ ने कहा था कि इस के बारे में चर्चा करने से उनकी कम्युनिटी में रिश्ते बिगड़ने का डर है।

इस रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि वे कई सामुदायिक मीटिंग्स करते थे। जब भी पाकिस्तानी हेरिटेज समुदाय और टैक्सी ड्राइवर्स से पूछते थे, तो हम कुछ परिवारों के बारे में भी बात करते थे। उनका कहना होता था कि अगर उन्हें विशेष रूप से निशाना बनाया जाएगा, तो इससे समुदाय में तनाव फैलेगा।“ इस रिपोर्ट में लिखा है कि कुछ ही महीनों के बाद अक्टूबर 2015 मुहबीन हुसैन ने रोथेरहम के मुस्लिमों से साउथ यॉर्क शायर पुलिस का बहिष्कार करने के लिए कहा।

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इसके बाद भी 2018 में पुलिस की नाकामी को ही निशाने पर लिया था। हुसैन ने केवल ग्रूमिंग गैंग्स के दोषियों को ही मुस्लिम टैग से निकालने का प्रयास नहीं किया था, बल्कि उसने वर्ष 2013 में इस्लामी आतंकियों के हाथों मारे गए सैनिक ली रिगबी की हत्या को लेकर भी यही कहा था कि इसे जिहादी हमला न कहा जाए, क्योंकि जिहाद का मतलब भलाई के लिए युद्ध करना होता है। इस घटना का इस्लाम से कोई लेनादेना नहीं है, बल्कि इसे एक आपराधिक मामले की तरह देखा जाना चाहिए। पॉलिसी एक्सचेंज की यह रिपोर्ट हुसैन के इस दोहरे रवैये को लगातार बताती है और फिर अंत में यह कहती है कि “इस शब्द का प्रयोग अक्सर सीधे तौर पर उन लोगों पर हमला करने के लिए किया जाता है जो रॉदरहैम ग्रूमिंग स्कैंडल तथा अन्य ऐसे स्कैंडल्स को सामने लाना चाहते थे।“

इसमें लिखा है कि ब्रिटेन के इस्लामिक हयूमेन राइट्स कमीशन नामक समूह के संबंध एपीपीजी में इस्लामोफोबिया की परिभाषा लिखने वाले सलमान सैयद के साथ बहुत मधुर हैं, जो लीड्स यूनिवर्सिटी में सोशल थ्योरी एंड डीकोलोनीयल थॉट के प्रोफेसर हैं। वे इसके द्वारा आयोजित छ: आयोजनों में अपनी बात रख चुके हैं, जिसमें वर्ष 2014 की काउंटर इस्लामोफोबिया टूलकिट का लॉन्च और 2014 का इस्लामोफोबिया का अवार्ड समारोह शामिल है, जो उस वर्ष बराक ओबामा को दिया गया था। वर्ष 2019 में इस घटना पर लिखने वाले टाइम्स के खोजी रिपोर्टर एंड्रयू नोरफोक, जो वर्ष 2021 में इस पूरे षड्यन्त्र को जनता के सामने लाए थे, उन पर लेफ्ट के अकादमिक समूह द्वारा 72 पन्नों की एक रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया था कि वे “इस्लामोफोबिया” फैला रहे हैं।

हालांकि इस रिपोर्ट के आने के बाद इस्लामिक हयूमेन राइट्स कमीशन ने द टाइम्स को मेल भेजा है, क्योंकि यह रिपोर्ट सबसे पहले द टाइम्स ने ही प्रकाशित की थी।

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