भारत-श्रीलंका के बीच रामायण एक साझी सांस्कृतिक विरासत

श्रीलंका और भारत के लिए रामायण एक साझी सांस्कृतिक विरासत के रूप में काम करती है। यह महाकाव्य दोनों देशों की सांस्कृतिक चेतना में योगदान देने के साथ ही उनके आपसी संबंधों को मजबूत करता है।

Mar 3, 2024 - 22:37
Mar 4, 2024 - 12:16
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भारत-श्रीलंका के बीच रामायण एक साझी सांस्कृतिक विरासत

भारत-श्रीलंका के बीच रामायण एक साझी सांस्कृतिक विरासत

आयोजन केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, श्रीलंका के मंत्री जीवन थोडामन ने संयुक्त रूप से प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, नेशनल आर्ट गैलरी में दो महीने तक चलेगी चित्रकाव्यम रामायणम प्रदर्शनी

नई दिल्ली में नेशनल गैलरी आफ माडर्न आर्ट में चित्रकाव्यम रामायणम' प्रदर्शनी के उद्‌घाटन अवसर पर संस्कृति एवं विदेश राज्यमंत्री मीनाली लेखी, श्रीलंका के मंत्री जीवन थोडामन और अन्य

रामयण गाथा का एक दृश्य।- India TV Hindi

श्रीलंका और भारत के लिए रामायण एक साझी सांस्कृतिक विरासत के रूप में काम करती है। यह महाकाव्य दोनों देशों की सांस्कृतिक चेतना में योगदान देने के साथ ही उनके आपसी संबंधों को मजबूत करता है। श्रीलंका के मंत्री जीवन थोडामन ने नई दिल्ली में नेशनल गैलरी आफ माडर्न आर्ट (एनजीएमए) में 'चित्रकाव्यम रामायणम' प्रदर्शनी के उद्‌घाटन के अवसर पर उपस्थित समूह को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध उत्कृष्टता की स्थिति तक पहुंच गए हैं।

केंद्रीय संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और श्रीलंकाई मंत्री ने संयुक्त रूप से इस प्रदर्शनी का उ‌द्घाटन किया। महाकाव्य पर आधारित पारंपरिक मिनिएचर आर्ट से लेकर मार्डन डिजिटल इंस्टालेशन की यह प्रदर्शनी दो महीने तक चलेगी। यह अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के एक महीने बाद शुरू हुई है। श्रीलंका के जलापूर्ति एवं संपत्ति बुनियादी ढांचा विकास मंत्री जीवन ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच यह संपर्क हमारे संवाद का आधार बना हुआ है और सभ्यता एवं सांस्कृतिक संबंध को और मजबूत बनाता है।

उन्होंने कहा, 'नेशनल गैलरी में खड़े होकर यह देखने के लिए हम भाग्यशाली हैं कि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने में कलाएं किस प्रकार सक्रिय और प्रभावशाली भूमिका निभाती हैं। इस तरह की प्रदर्शनी के माध्यम से कोई भी यह देख सकता है कि रामायण महाकाव्य, भारत और श्रीलंका के लिए साझी सांस्कृतिक कथानक के रूप में काम करता है और संबंधों को मजबूत बनाने में योगदान देता है।'

रावण का उल्लेख करते हुए जीवन ने कहा, 'यद्यपि हमारे विवरण में रावण को एक कुशल प्रशासक माना गया है। यहां तक कि संत वाल्मीकि के रामायण में बताया गया है कि युद्ध के मैदान में रावण के गिरने के बाद भगवान राम उसके साथ बैठे और राजनीति एवं प्रशासन कला का ज्ञान प्राप्त किया। यही कारण है कि हमने रावण को खलनायक के रूप में कभी नहीं देखा।'

श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि केवल रामायण ही नहीं, बल्कि बौद्ध तीर्थस्थल भी दोनों देशों के बीच संबंधों के कारक हैं। दोनों देशों में पर्यटन बढ़ाने की असीम संभावनाएं हैं। भारत का सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत योगदान है। श्रीलंका ने पायलट कार्यक्रम के रूप में भारत समेत अन्य देशों के लिए 31 मार्च, 2024 तक वीजा मुक्त व्यवस्था की है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार