एआइ बताएगा कि आइसीयू में कितने दिन वेंटिलेटर पर रहेगा मरीज

एआइ बताएगा कि आइसीयू में कितने दिन वेंटिलेटर पर रहेगा मरीज, AI will tell how many days the patient will remain on ventilator in ICU,

Jul 5, 2025 - 07:15
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एआइ बताएगा कि आइसीयू में कितने दिन वेंटिलेटर पर रहेगा मरीज

एआइ बताएगा कि आइसीयू में कितने दिन वेंटिलेटर पर रहेगा मरीज 

तकनीकआइआइटी दिल्ली व एम्स ने मिलकर किया एआइ मोडल विकसित, 323 मरीजों पर किया अध्ययन, यह तकनीक आइसीयू में मरीजों के भर्ती रखने की अवधि का पूर्वानुमान लगाने में बनेगी मददगार 

जिंदगी के लिए जूझते गंभीर मरीजों को जरूरत पड़ने पर सरकारी अस्पतालों में आइसीयू बेड मिल पाना आसान नहीं होता। कई बार आइसीयू के लिए दर-दर भटकते मरीजों के मामले भी सामने आते रहे हैं। डाक्टरों के लिए भी यह अनुमान लगा पाना आसान नहीं होता कि आइसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर भर्ती मरीज कितने दिनों में जीवन रक्षक उपकरण से बाहर निकल पाएंगे। अब इस काम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आसान बनाएगा और यह बताएगा कि जरूरतमंद मरीज को कितने दिन आइसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने की जरूरत पड़ेगी।


आइआइटी दिल्ली के सेंटर फार बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों और एम्स ने मिलकर ऐसा एआइ तकनीक विकसित की है जो आइसीयू में मरीजों के वेंटिलेटर स्पोर्ट पर भर्ती रहने की अवधि का पूर्वानुमान लगाने में मददगार बनेगी। आइआइटी दिल्ली के सेंटर फार बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डा. - अमित मैहंदीरत्ता के नेतृत्व में हुआ यह शोध - हाल ही में डिजिटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक - वेंटिलेटर के इस्तेमाल से निमोनिया का संक्रमण व फेफड़े को नुकसान पहुंचने का - खतरा बढ़ जाता है। इस एआइ माडल के पूर्वानुमान से यदि यह पता चलता है कि किसी मरीज को तीन दिन से अधिक समय तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ेगा तो संक्रमण से बचाव के लिए भी डाक्टर इलाज में प्लानिंग कर सकते हैं।


शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग टूल का इस्तेमाल करके दो तरह के एआइ माडल विकसित किए। एक माडल से यह पूर्वानुमान लगाने का प्रयास किया गया कि मरीज को कितने दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होती है। दूसरे माडल का मकसद यह पूर्वानुमान लगाना था कि मरीज को अल्प अवधि (तीन दिन से कम) के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होगी या अधिक दिन (तीन दिन से अधिक) के लिए।


एम्स में इसका अलग-अलग तीन आइसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर भर्ती 323 मरीजों पर अध्ययन किया। इसमें 160 पुरुष व 163 महिला मरीज शामिल थीं। उनकी औसत उम्र 43 वर्ष थी। 67 प्रतिशत मरीजों को सांस की गंभीर बीमारी एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम), 56.6 प्रतिशत मरीजों को दिल की बीमारी, 39.2 प्रतिशत मरीजों को किडनी व 30.9 प्रतिशत मरीजों को लिवर की बीमारी थी। 105 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट देने के लिए ट्रेकियोस्टमी प्रोसीजर कर गले में ट्यूब डाली गई थी। आइसीयू में भर्ती किए जाने के दौरान इन सभी मरीजों के क्लीनिकल पैरामीटर दर्ज किए गए थे। अध्ययन में इन सभी मरीजों के 100 क्लीनिकल पैरामीटर को शामिल किए गए। इसके आधार पर एआइ पूर्वानुमान लगाता है।


शोधकर्ता डा. शिवी मैंदीरत्ता ने बताया कि यह तकनीक आइसीयू में मरीज के भर्ती मरीजों के वेंटिलेटर पर रहने की अवधि का पूर्वानुमान लगाने में 79.1 प्रतिशत कामयाब पाया गया इसलिए 100 में से करीब 80 मरीजों के बारे में काफी हद तक सही-सही अनुमान लगाया जा सकता है। अभी एक अस्पताल के मरीजों से जुड़े डाटा के जरिए ही यह अध्ययन किया गया है। कई अस्पतालों में ट्रायल के बाद पुख्ता परिणाम सामने आ सकेंगे।

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