श्रेणी मिलन पथ संचलन – एकता, समरसता और राष्ट्रभाव का प्रतीक

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में तात्या टोपे स्टेडियम, भोपाल में श्रेणी मिलन पथ संचलन का भव्य दृश्य देखने को मिला। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भोपाल विभाग द्वारा संयोजित किया गया था। स्वयंसेवकों की अनुशासित पंक्तियां, घोष का वादन और राष्ट्रभाव से ओतप्रोत युवाओं ने सम्पूर्ण वातावरण को प्रेरणादायी बना […] The post श्रेणी मिलन पथ संचलन – एकता, समरसता और राष्ट्रभाव का प्रतीक appeared first on VSK Bharat.

Oct 16, 2025 - 12:46
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श्रेणी मिलन पथ संचलन – एकता, समरसता और राष्ट्रभाव का प्रतीक

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में तात्या टोपे स्टेडियम, भोपाल में श्रेणी मिलन पथ संचलन का भव्य दृश्य देखने को मिला। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भोपाल विभाग द्वारा संयोजित किया गया था। स्वयंसेवकों की अनुशासित पंक्तियां, घोष का वादन और राष्ट्रभाव से ओतप्रोत युवाओं ने सम्पूर्ण वातावरण को प्रेरणादायी बना दिया।

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रोहित आर्य मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सह-क्षेत्र प्रचारक प्रेमशंकर ने मुख्य वक्ता के रूप में संघ के कार्य, उद्देश्य और समाज में उसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत उद्बोधन दिया। मंच पर प्रांत संघचालक अशोक पांडे, विभाग संघचालक सोमकांत उमालकर उपस्थित रहे।

इस अवसर पर चिकित्सा, शिक्षा, विधि, प्रशासन, उद्योग, कृषि, कला, खेलकूद तथा मातृशक्ति सहित समाज के विविध वर्गों से जुड़े तीन हजार से अधिक स्वयंसेवकों की सहभागिता रही। गणवेश में स्वयंसेवकों का संचलन जब एक साथ कदमताल करते हुई आगे बढ़ा, तो यह दृश्य एकता, अनुशासन और स्वाभिमान का जीवंत प्रतीक बन गया।

मुख्य अतिथि रोहित आर्य जी ने समाज में संघ की यात्रा, उसके कार्यों और नागरिक शिष्टाचार एवं सामाजिक समन्वय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संघ ने अपने कार्यों के माध्यम से समाज में अनुशासन, आत्मीयता और राष्ट्रीय एकता की भावना को सशक्त किया है।

मुख्य वक्ता प्रेमशंकर जी ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा संघ की स्थापना के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ का जन्म केवल संगठन खड़ा करने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र को संगठित, समर्थ और संस्कारित बनाने के संकल्प के साथ हुआ। डॉ. हेडगेवार जी ने अनुभव किया कि देश की अनेक समस्याओं की जड़ समाज की विखंडित चेतना में है, इसलिए उन्होंने संगठन के माध्यम से व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का कार्य आरंभ किया। संघ का कार्य व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र तक के निर्माण का सतत प्रवाह है।

श्री गुरुजी के आदर्शों की चर्चा

उन्होंने द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य माधवराव सदाशिव गोलवलकर ‘गुरुजी’ की जीवन दृष्टि और उनके नेतृत्व में संघ के विस्तार पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गुरुजी ने संघ को मात्र संगठन नहीं, बल्कि एक जीवंत राष्ट्रशक्ति के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व में संघ का कार्य शिक्षा, संस्कृति, ग्रामविकास और सेवा जैसे विविध क्षेत्रों में फैल गया, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग तक संगठन की भावना पहुँची।

समरसता और एकजुटता ही राष्ट्र की शक्ति का आधार है। संघ सिखाता है कि समाज का कोई भी अंग छोटा या बड़ा नहीं होता; सभी का समान सम्मान और सहभागिता ही सच्ची समरसता का प्रतीक है। संघ के ‘पंच परिवर्तन’ के सूत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व इन पाँच स्तरों पर सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य कर रहा है।

श्रेणी मिलन पथ संचलन ने न केवल संघ की अनुशासन और संगठन की परंपरा को उजागर किया, बल्कि राष्ट्रभाव, एकता और समरसता के उस आदर्श को भी सजीव किया, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष की भावना के केंद्र में है।

एक ही दिन में भोपाल विभाग में चालीस से अधिक पथ संचलन आयोजित हुए, जिनमें हजारों स्वयंसेवकों ने कदमताल करते हुए सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की।

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