भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व में रामराज्य की पुनर्स्थापना हो – स्वामी विवेकानंद जी महाराज

विश्व हिन्दू परिषद की प्रन्यासी मंडल बैठक के उद्घाटन सत्र में संतों का ओजस्वी संदेश हस्तिनापुर (मेरठ), 17 दिसंबर 2025। महाभारत कालीन नगरी हस्तिनापुर में विश्व हिन्दू परिषद की प्रन्यासी मंडल बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए परम पूजनीय स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व में […] The post भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व में रामराज्य की पुनर्स्थापना हो – स्वामी विवेकानंद जी महाराज appeared first on VSK Bharat.

Dec 18, 2025 - 20:39
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भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व में रामराज्य की पुनर्स्थापना हो – स्वामी विवेकानंद जी महाराज

विश्व हिन्दू परिषद की प्रन्यासी मंडल बैठक के उद्घाटन सत्र में संतों का ओजस्वी संदेश

हस्तिनापुर (मेरठ), 17 दिसंबर 2025।

महाभारत कालीन नगरी हस्तिनापुर में विश्व हिन्दू परिषद की प्रन्यासी मंडल बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए परम पूजनीय स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व में मानवता पर आधारित रामराज्य की पुनः स्थापना ही हमारा परम लक्ष्य है। अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण केवल एक चरण है, वास्तविक उद्देश्य पूरे विश्व में रामराज की स्थापना है।

संघ शताब्दी वर्ष में इसी संकल्प को लेकर प्रन्यासी मंडल बैठक प्रारंभ हुई। विश्व हिन्दू परिषद की आज से प्रारंभ हुई प्रन्यासी मंडल बैठक का शुभारंभ ब्रह्मनाद, संघ प्रार्थना व भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। स्वामी विवेकानंद जी महाराज (गुरुकुल संस्थापक भोला की झाल) ने कहा कि जब-जब असुरी शक्तियां संगठित होती हैं, तब-तब देवशक्ति का एकत्र होना अनिवार्य हो जाता है। जिस प्रकार भगवान श्रीराम के वनगमन के समय राक्षसी शक्तियां संगठित हुई थीं, उसी प्रकार आज भी अधर्म का स्वरूप सामने है। ऐसे में धर्म की स्थापना के लिए वैदिक विचारधारा को मानने वालों का संगठित होना समय की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर से पाञ्चजन्य की रणभेरी बजेगी तो असुर पुनः भयभीत होंगे। यह पावन धरा साक्षी रही है – यहीं से धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का संदेश निकला था। आज उसी ऐतिहासिक भूमि पर देश-विदेश से आए वैदिक धर्मावलंबी एकत्र हुए हैं, जो आने वाले समय में आसुरी शक्तियों के अंत का कारण बनेंगे। स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का स्मरण करते हुए कहा कि जब उन्होंने धर्म स्थापना के उद्देश्य से संघ की नींव रखी थी, तब एक विदेशी पत्रकार ने लिखा था कि “अब विश्व को खतरा उत्पन्न हो गया है”, क्योंकि वैदिक धर्म को मानने वाली शक्तियां संगठित होने लगी थीं। उन्होंने कहा कि देव शक्तियों का संगठित होना स्वाभाविक रूप से असुरों के लिए भय का कारण बनता है। भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि आज बालकृष्ण नहीं, बल्कि सुदर्शनधारी श्रीकृष्ण की आवश्यकता है, जो अधर्म का विनाश कर सकें। हस्तिनापुर वही धरा है, जहां से भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म के अंत का मार्ग प्रशस्त किया था।

स्वामी रविन्द्र कीर्ति जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में आदि काल से वैदिक परम्परा चली आ रही है, जिसमें सनातन, जैन व बौद्ध इन सभी का जन्म भारत में ही हुआ है। हस्तिनापुर जैन, बौद्ध और वैदिक परम्परा के इतिहास से जुड़ा हुआ है। हस्तिनापुर में जैन परम्परा के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने अयोध्या से चलकर राजा श्रेयांश से प्रथम आहार ग्रहण किया। भगवान आदिनाथ ने संसार का कल्याण करने का कार्य किया, आज विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता उसी कार्य को कर रहे हैं।

विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बजरंग बांगड़ा जी ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद के ६१ वर्षों का उपक्रम यही रहा कि सम्पूर्ण विश्व में शांति हो। असुर सतयुग, त्रेता एवं द्वापर में भी थे और आज भी हैं। बस उनका स्वरूप बदल गया है, आज असुर संगठित हैं, हमें सुप्त अवस्था में पड़ी अपनी देवसेना (सात्विक शक्तियों ) का  जागरण करना है और संतों के आशीर्वाद से विजयी होना है।

उन्होंने कहा परिवारों में संस्कार के अभाव में श्रद्धा का भाव कम हो रहा है, परिवारों में संस्कार बढ़ें इसके लिए हमारे विभिन्न कार्यक्रम चल रहे हैं। विश्व की अनेकों संस्कृति समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन सनातन अपनी कुटुंब व्यवस्था के कारण आज भी टिका है। संस्कारों की कमी से कुटुंब टूट रहे हैं। इस दिशा में संगठन कार्य कर रहा है, जिसका परिणाम शीघ्र मिलना शुरू हो जाएगा। वामपंथी विचारधारा ने कट्टरता का चोला छोड़ उदारवाद का चोला पहन पूरे विश्व को भ्रमित किया है।

इस वर्ष वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस गीत ने आजादी की लड़ाई में अनेकों वीरों को प्रेरणा देकर स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाई है। हिन्दू बहुसंख्यकों ने अल्पसंख्यकों को कभी पीड़ित नहीं किया। उस समय के अनुसार विचार कर उनको अधिकार संविधान ने दिए होंगे, लेकिन आज़ उनकी जनसंख्या 22 से 25 करोड़ हो गई है। अब अल्पसंख्यक के अधिकारों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

संगठन के एक वर्ष का कार्यवृत्त रखते हुए अंतरराष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि इस वर्ष हमने 2,63,467 गौ माताओं को बचाया, लोगों को अपने मूल धर्म में वापस लेकर आए, 3,49,927 लोगों को धर्मांतरण से बचाया, 11654 युवाओ को रोजगार दिया।

परिसर हुआ भगवा

विश्व हिन्दू परिषद की सुरक्षा व ध्वज व्यवस्था में लगी टोली ने प्रन्यासी मंडल की बैठक से पूर्व पूरे परिसर को भगवा ध्वज लगाकर भगवा में कर दिया गया। परिसर गेट, परिसर मार्ग, बैठक मंडप तक सैकड़ो ध्वज लगाए गए।

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