17 दिसंबर का इतिहास महत्त्वपूर्ण घटनाएँ और निधन, जन्मे व्यक्ति, के बारे में सभी जानकारी

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Dec 15, 2024 - 18:07
Dec 17, 2024 - 06:24
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17  दिसंबर का इतिहास महत्त्वपूर्ण घटनाएँ और  निधन, जन्मे व्यक्ति, के बारे में सभी जानकारी

 आज के दिन का  इतिहास 17 दिसंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

17 दिसंबर  2014 - अमेरिका और क्यूबा ने 55 साल के बाद दोबारा कूटनीतिक संबंधों को बहाल किया:

2014 में अमेरिका और क्यूबा के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसके तहत दोनों देशों ने 55 साल के अंतराल के बाद कूटनीतिक संबंधों को फिर से बहाल किया। यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो के बीच हुआ। क्यूबा में अमेरिकी दूतावास की स्थापना और क्यूबा में अमेरिकी नागरिकों के लिए यात्रा प्रतिबंधों को ढीला किया गया। यह कदम द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के प्रयासों का हिस्सा था, जिसे वैश्विक कूटनीति में एक नई दिशा माना गया। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार और यात्रा की दिशा में भी नए द्वार खोले गए, हालांकि दोनों देशों के रिश्ते पूरी तरह से सामान्य नहीं हुए थे, फिर भी यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मोड़ था।

17 दिसंबर  2009 - लेबनान के समुद्री तट पर कार्गो जहाज एमवी डैनी एफ टू के डूबने से 40 लोगों और 28,000 से अधिक पशुओं की मौत

2009 में लेबनान के समुद्र में एक भीषण दुर्घटना हुई जब कार्गो जहाज एमवी डैनी एफ टू डूब गया। यह जहाज यूरोप से अरब देशों में 28,000 से अधिक मवेशियों को लेकर जा रहा था। दुर्घटना के कारण जहाज पर सवार 40 लोगों की मौत हो गई, साथ ही पशुओं की भी भारी क्षति हुई। यह हादसा लेबनान के समुद्र तट के पास हुआ था और यह एक गंभीर मानवीय और पशुधन संकट का कारण बना। इस घटना ने समुद्री यात्रा की सुरक्षा और कार्गो जहाजों की स्थिति को लेकर नए सुरक्षा मानकों को अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। यह घटना इस बात का प्रतीक थी कि समुद्री यात्रा में तकनीकी और मानवीय सुरक्षा की कितनी अहमियत है।

17 दिसंबर  2008 - शीला दीक्षित ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

17 दिसंबर, 2008 को शीला दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शीला दीक्षित कांग्रेस पार्टी की सदस्य थीं और वे 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। उनके कार्यकाल में दिल्ली में कई विकास परियोजनाओं को गति मिली, जिनमें मेट्रो रेल का विस्तार, साफ-सफाई और सड़क सुधार शामिल हैं। उनके कार्यकाल को दिल्ली में बुनियादी ढांचे के सुधार और विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने दिल्ली में महिला सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई योजनाओं की शुरुआत की। शीला दीक्षित का कार्यकाल दिल्ली के लिए ऐतिहासिक और विकासशील रूप से महत्वपूर्ण था।

17 दिसंबर  2005 - भूटान के राजा जिग सिगमे वांचुक को सत्ता से हटाया गया

17 दिसंबर 2005 को भूटान के राजा जिग सिगमे वांचुक को सत्ता से हटा दिया गया, और उनके स्थान पर उनके बेटे जिग्मे खेसर नामग्याल वांचुक को भूटान का नया राजा घोषित किया गया। यह घटना भूटान के लोकतांत्रिक परिवर्तन की शुरुआत के रूप में मानी जाती है। राजा जिग सिगमे वांचुक ने भूटान में लोकतंत्र की ओर बढ़ने के लिए कई कदम उठाए थे, और उन्होंने भूटान में संवैधानिक मोनार्की को लागू करने का निर्णय लिया था। उनके बाद उनके बेटे ने भी इसी दिशा में कार्य करते हुए भूटान को एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर अग्रसर किया, जिससे भूटान के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा।

17 दिसंबर  2002 - तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया:

17 दिसंबर, 2002 को तुर्की ने आधिकारिक रूप से कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया। तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और तुर्की भारत के साथ खड़ा है। यह समर्थन भारत के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दावे को नकारा। तुर्की ने हमेशा से भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है, और यह बयान दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग को बढ़ावा देने का संकेत था। इस कदम से तुर्की ने भारत की स्थिति को वैश्विक स्तर पर मजबूती दी, विशेषकर दक्षिण एशिया में।

17 दिसंबर   2000 - भारत और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मुख्यालयों में हॉटलाइन पुनः शुरू:

2000 में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संवाद को सुगम बनाने के लिए सैन्य हॉटलाइन पुनः शुरू की गई। यह हॉटलाइन दोनों देशों के सेनाध्यक्ष मुख्यालयों के बीच स्थापित की गई थी, ताकि किसी भी सैन्य घटना या संकट के दौरान तत्काल संवाद किया जा सके। इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर विवादों को कम करना और आपसी विश्वास को मजबूत करना था। यह कदम दोनों देशों के बीच सैन्य संपर्कों को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, और इसके बाद सीमा पर स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिली। इसके माध्यम से दोनों पक्षों को आपसी संवाद में अधिक पारदर्शिता और त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा प्राप्त हुई।

17 दिसंबर   2000 - नेशनलिस्ट सर्व डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता मिरको सरोविक ने बोस्निया में राष्ट्रपति पद की शपथ ली:

2000 में मिरको सरोविक ने बोस्निया और हर्जेगोविना के राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वह नेशनलिस्ट सर्व डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता थे और उनके राष्ट्रपति बनने से बोस्निया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। उनके कार्यकाल के दौरान, बोस्निया ने यूरोपीय संघ और नाटो जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया। सरोविक का नेतृत्व सामूहिक शासन प्रणाली के तहत था, जहां तीन प्रमुख जातीय समूहों (बोस्नियाक, क्रोएट, और सर्ब) के प्रतिनिधि राष्ट्रपति पद पर काबिज होते हैं। यह राजनीतिक संरचना बोस्निया के बहुलवादी समाज को संतुलित रखने के लिए बनाई गई थी।

17 दिसंबर  1998 - अमेरिकी और ब्रिटिश बमवर्षकों ने 'आपरेशन डेजर्ट फ़ाक्स' के तहत इराक पर भारी बमबारी की:

1998 में 'आपरेशन डेजर्ट फ़ाक्स' के तहत अमेरिकी और ब्रिटिश बमवर्षकों ने इराक पर भारी बमबारी की। यह बमबारी इराक द्वारा संयुक्त राष्ट्र के हथियार निरीक्षकों को सहयोग न देने और हथियारों के निर्माण कार्यक्रम को जारी रखने के आरोपों के जवाब में की गई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने यह कार्रवाई इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने के कारण की थी। इस ऑपरेशन ने इराक में राजनीतिक और सैन्य तनाव को और बढ़ा दिया और पश्चिमी देशों के इराक के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की नीति को पुष्ट किया।

17 दिसंबर  1971 - भारत-पाक युद्ध समाप्त:

1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर जबरदस्त प्रगति की। 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद युद्ध समाप्त हुआ। इस युद्ध ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम को सफल बना दिया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश अस्तित्व में आया। यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी, जो आज भी दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करती है।

17 दिसंबर  1996 - नेशनल फुटबॉल लीग का शुभारंभ हुआ:

1996 में नेशनल फुटबॉल लीग (NFL) का शुभारंभ हुआ। यह एक प्रमुख अमेरिकी फुटबॉल लीग है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में फुटबॉल के सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक बन गई है। NFL का आयोजन हर साल होता है और इसका फाइनल मैच, सुपर बाउल, दुनिया भर में लाखों दर्शकों द्वारा देखा जाता है। इसकी शुरुआत के समय से ही NFL ने खेलों के क्षेत्र में क्रांति ला दी, जिससे अमेरिकी फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया मुकाम मिला। यह लीग खिलाड़ियों, कोचों, और टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रही है।

17 दिसंबर  1940 - महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन स्थगित किया:

महात्मा गांधी ने 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया। यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के तहत चलाया जा रहा था, जिसमें गांधी जी ने व्यक्तिगत विरोध के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक तरीके से संघर्ष किया। इस आंदोलन के तहत लोगों को अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सत्याग्रह करने के लिए प्रेरित किया गया। गांधी जी ने यह आंदोलन स्थगित करने का निर्णय द्वितीय विश्व युद्ध की परिस्थितियों को देखते हुए लिया, ताकि यह आंदोलन भारत में और भी गंभीर संघर्ष में न बदल जाए।

17 दिसंबर  1933 - भारत के दिग्गज क्रिकेटर लाला अमरनाथ ने अपने पदार्पण टेस्ट मैच में ही 118 रनों की बेहतरीन पारी खेली:

17 दिसंबर 1933 में लाला अमरनाथ ने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर की शुरुआत करते हुए 118 रनों की शानदार पारी खेली। यह पारी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनी। लाला अमरनाथ को भारतीय क्रिकेट के पहले प्रमुख ऑलराउंडर के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी यह पारी भारतीय क्रिकेट के प्रारंभिक दिनों में एक प्रेरणा स्रोत बनी और उनकी प्रतिभा को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पहचाना गया।

17 दिसंबर  1931 - भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना:

1931 में प्रोफेसर प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस का सपना साकार हुआ जब उन्होंने कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute, ISI) की स्थापना की। महालनोबिस को सांख्यिकी और गणित में अत्यधिक रुचि थी, और उनका उद्देश्य भारतीय समाज के लिए सांख्यिकी के माध्यम से विभिन्न समस्याओं को हल करना था। ISI की स्थापना के साथ ही भारत में सांख्यिकी के अध्ययन और अनुसंधान में एक नई दिशा की शुरुआत हुई। यह संस्थान आज भी सांख्यिकी, गणित, कंप्यूटर विज्ञान और अन्य संबंधित क्षेत्रों में एक प्रमुख शोध संस्थान के रूप में कार्य करता है। महालनोबिस की मेहनत और दृष्टि ने भारतीय गणित और सांख्यिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

17 दिसंबर 1929 - भगत सिंह और राजगुरू द्वारा सांडर्स की हत्या:

1929 में भगत सिंह और राजगुरू ने अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी सांडर्स को गोली मारी। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। सांडर्स ने लाला लाजपत राय को लाठी से मारा था, जिसके बाद उनके घातक हमले के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। इस प्रतिशोध की प्रतिक्रिया में भगत सिंह और राजगुरू ने सांडर्स को मारने का निर्णय लिया। यह कायरता के बजाय साहसिक और समर्पण की भावना को दर्शाता है। इस घटना ने भगत सिंह को स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख क्रांतिकारी बना दिया और उनका नाम भारतीय इतिहास में अमर हो गया।

17 दिसंबर 1927 - सर डान ब्रेडमैन की पहली श्रेणी क्रिकेट पारी:

1927 में सर डान ब्रेडमैन, जो ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज माने जाते हैं, ने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट के पहले ही मैच में शानदार 118 रनों की पारी खेली। ब्रेडमैन का क्रिकेट इतिहास में अद्वितीय स्थान है, और यह पारी उनके करियर की शुरुआत को यादगार बना गई। ब्रेडमैन ने अपने खेल से क्रिकेट की दुनिया में एक नई मिसाल कायम की, और उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड अब भी क्रिकेट इतिहास में अनछुए हैं। यह पारी उनके शानदार बल्लेबाजी कौशल और कड़ी मेहनत का परिणाम थी, जिसने उन्हें क्रिकेट की दुनिया का बेताज बादशाह बना दिया।

17 दिसंबर1925 - सोवियत संघ और तुर्की का समझौता:

1925 में सोवियत संघ और तुर्की ने एक दूसरे पर हमला न करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य स्थिरता को बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया था। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत किया और उन्हें एक-दूसरे के प्रति विश्वास की भावना पैदा की। यह समझौता, तुर्की के गणराज्य के जन्म के बाद अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तुर्की की स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण था।

17 दिसंबर 1914 - पोलैंड के लिमानोव में आस्ट्रिया की सेना ने रूसी सेना को पराजित किया:

1914 में पोलैंड के लिमानोव में आस्ट्रिया की सेना ने रूसी सेना को पराजित किया। यह घटना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई थी, जब यूरोप में विभिन्न शक्तियाँ आपस में संघर्ष कर रही थीं। इस युद्ध के दौरान आस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य और रूस के बीच कई युद्ध लड़े गए थे, और लिमानोव की लड़ाई ने दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण सैन्य रणनीतियों को उजागर किया। यह संघर्ष पोलैंड की भूमि पर हुआ था, जो उस समय विभाजित था और कई साम्राज्यों के बीच स्थित था।

17 दिसंबर 1907 - उग्येन वांगचुक भूटान के पहले वंशानुगत राजा बने:

1907 में उग्येन वांगचुक ने भूटान के पहले वंशानुगत राजा के रूप में शपथ ली। वांगचुक ने भूटान में आधुनिक शासन व्यवस्था की नींव रखी और भूटान को एक स्थिर और सशक्त राज्य बनाने की दिशा में कई सुधार किए। उन्होंने भूटान के राजनीतिक ढांचे को सुधारने के लिए कई कदम उठाए, जिससे देश की समृद्धि और स्थिरता में वृद्धि हुई। वांगचुक की पहल से भूटान को एक संप्रभु और शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में दुनिया के मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने में मदद मिली।

17 दिसंबर 1902 - इटली के प्रसिद्ध अविष्कारक मार्कोनी ने पहला रेडियो स्टेशन बनाया:

1902 में मार्कोनी ने पहला रेडियो स्टेशन स्थापित किया, जो टेलीग्राफ़ और टेलीफोन के विकास में एक अहम कड़ी साबित हुआ। गुलियेल्मो मार्कोनी, जो एक इटली के प्रसिद्ध अविष्कारक थे, ने रेडियो तकनीकी में पहला कदम रखा था, और उनके प्रयासों से वायर्ड संचार के अलावा वायरलेस संचार को भी संभव किया गया। इस स्टेशन से शुरू होकर, मार्कोनी ने दुनिया भर में रेडियो संचार की शुरुआत की और 1909 में उन्हें इस अविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका यह योगदान आज की वायरलेस तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जिसने दुनिया को एक दूसरे से जोड़ने का नया तरीका प्रदान किया।

17 दिसंबर 1803 - ईस्ट इंडिया कंपनी ने उड़ीसा पर क़ब्ज़ा किया:

1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने उड़ीसा पर क़ब्ज़ा किया। यह क़ब्ज़ा, भारत के विभिन्न हिस्सों में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के दौरान हुआ था। उड़ीसा, जो अब ओडिशा राज्य के रूप में जाना जाता है, उस समय एक स्वतंत्र राज्य था। ब्रिटिश सत्ता के विस्तार और अन्य भारतीय राजाओं के खिलाफ संघर्ष के परिणामस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस क्षेत्र पर अधिकार जमा लिया। उड़ीसा पर ब्रिटिश नियंत्रण ने उस समय के राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों को प्रभावित किया, और यह भारत के उपनिवेशीकरण के एक महत्वपूर्ण अध्याय का हिस्सा बन गया।

17 दिसंबर 1779 - मराठों और पुर्तग़ालियों के बीच संघर्ष और समझौता:

1779 में, मराठों और पुर्तग़ालियों के बीच लंबे संघर्ष के बाद मराठा सरकार ने मित्रता सुनिश्चित करने के लिए कुछ गांवों का 12,000 रुपये का राजस्व क्षतिपूर्ति के रूप में पुर्तगालियों को सौंपा। यह समझौता दोनों पक्षों के बीच शांति बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया था। मराठों और पुर्तगालियों के बीच संघर्ष उस समय के भारतीय उपमहाद्वीप के राजनीतिक संघर्षों का हिस्सा था, जिसमें विभिन्न शक्तियाँ एक दूसरे के साथ संघर्ष कर रही थीं। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच कुछ स्थिरता और सहयोग की नींव रखी।

17 दिसंबर 1777 - फ्रांस ने अमेरिकी स्वतंत्रता को मान्यता दी:

1777 में, फ्रांस ने अमेरिका की स्वतंत्रता को आधिकारिक रूप से मान्यता दी। यह घटना अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि फ्रांस की समर्थन से अमेरिका को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष में बल मिला। फ्रांस की मदद से अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम को विश्वभर में एक वैधता मिली, और इससे दोनों देशों के बीच मित्रवत संबंध स्थापित हुए। फ्रांस के समर्थन ने अमेरिकी क्रांतिकारी नेताओं के आत्मविश्वास को बढ़ाया और स्वतंत्रता की ओर उनका मार्ग प्रशस्त किया।

5. 1715 - बंदा बहादुर का आत्मसमर्पण:

1715 में, सिखों के प्रमुख बंदा बहादुर ने गुरुदासपुर में मुग़लों के सामने आत्मसमर्पण किया। बंदा बहादुर, जो सिखों के एक प्रमुख वीर नेता थे, ने मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ कई युद्ध लड़े थे। उनका आत्मसमर्पण सिखों के संघर्ष का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो मुग़ल साम्राज्य की बढ़ती दमनकारी नीतियों के खिलाफ था। बंदा बहादुर का साहस और उनके द्वारा किया गया संघर्ष भारतीय इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया।

17 दिसंबर  1645 - मुग़ल सम्राट जहांगीर की पत्नी नूरजहां बेगम का निधन:

1645 में मुग़ल सम्राट जहांगीर की पत्नी नूरजहां बेगम का निधन हुआ। नूरजहां बेगम एक प्रभावशाली और सक्षम महिला थीं जिन्होंने मुग़ल साम्राज्य के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक कौशल और शक्ति, विशेष रूप से सम्राट जहांगीर के शासनकाल के दौरान, ने उन्हें मुग़ल दरबार में एक प्रमुख स्थान दिलाया। उनकी मृत्यु के बाद, मुग़ल साम्राज्य में नूरजहां के प्रभाव का अंत हो गया, लेकिन उनका योगदान इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।

17 दिसंबर  1556 - कवि रहीम का जन्म:

1556 में, बादशाह अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि रहीम का जन्म हुआ। रहीम (अब्दुल रहीम खान-ए-ख़ाना) एक महान कवि, गणितज्ञ और सैन्य कमांडर थे, जो अकबर के दरबार में उच्च पद पर थे। उनकी कविताएँ आज भी भारतीय साहित्य में एक अहम स्थान रखती हैं। रहीम ने फारसी और हिंदी दोनों भाषाओं में कविताएं लिखीं, और उनकी रचनाएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्रेम, भक्ति, और मानवता को उजागर करती हैं। उनकी कविता और उपदेश आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।

17 दिसंबर1398 - तैमूर लंग ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा किया:

1398 में, मंगोल सम्राट तैमूर लंग ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा किया। तैमूर, जिन्होंने मंगोल साम्राज्य का विस्तार किया, ने दिल्ली के सुलतान, महमूद शाह तुगलक के शासन को समाप्त कर दिया। इस आक्रमण ने दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में भयंकर तबाही मचाई और लाखों लोगों की जान ली। तैमूर की दिल्ली पर विजय, भारत के इतिहास में एक घातक और निर्णायक घटना थी, जिसने दिल्ली के सम्राज्य को कमजोर किया और उसे अगले कुछ दशकों तक संकुचित कर दिया।

17 दिसंबर को जिनका जन्मे  हुआ उन व्यक्ति के बारे में 

17 दिसंबर 1972 - जॉन अब्राहम - भारतीय फ़िल्म अभिनेता:

जॉन अब्राहम, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1972 को हुआ, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक प्रमुख अभिनेता, निर्माता और मॉडल हैं। वे अपनी फिटनेस और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध हैं। जॉन ने 2003 में फिल्म "Jism" से अभिनय की शुरुआत की, और इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जैसे "Dhoom", "Kabir Singh", "Madras Cafe", और "Rocky Handsome". जॉन का अभिनय और उनकी फिल्मों की शैली दर्शकों में खासा लोकप्रिय है। वे एक सफल निर्माता भी हैं और उनके प्रोडक्शन हाउस ने कई अच्छी फिल्मों का निर्माण किया है। इसके अलावा, वे समाजसेवा में भी सक्रिय हैं, विशेष रूप से अपने फिटनेस अभियान के माध्यम से।

17 दिसंबर 1955 - जगदीश शेट्टार - भारतीय राजनीतिज्ञ तथा कर्नाटक राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री:

जगदीश शेट्टार, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1955 को हुआ, कर्नाटक के एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे कर्नाटक राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य रहे हैं। शेट्टार ने कर्नाटक विधानसभा में कई वर्षों तक सेवा दी और राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2012 में उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके कार्यकाल में राज्य के कई विकास योजनाओं पर ध्यान दिया गया, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में। वे अपनी राजनीतिक रणनीतियों और प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं।

17 दिसंबर 1930 - वाहेंगबाम निपाम्चा सिंह - मणिपुर के भूतपूर्व नौवें मुख्यमंत्री:

वाहेंगबाम निपाम्चा सिंह, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1930 को हुआ, मणिपुर राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। वे मणिपुर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे और राज्य की सत्ताधारी पार्टी के सदस्य के रूप में कार्य करते थे। उनके कार्यकाल में मणिपुर में कई सामाजिक और आर्थिक सुधार हुए। उन्होंने राज्य के लोगों के विकास और भलाई के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की, और उनके नेतृत्व में राज्य ने राजनीतिक और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।

17 दिसंबर 1920 - हरी देव जोशी - राजस्थान के भूतपूर्व सातवें मुख्यमंत्री:

हरी देव जोशी, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1920 को हुआ, राजस्थान के भूतपूर्व सातवें मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 1973 से 1977 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल में राज्य में कई महत्वपूर्ण सुधार और विकास कार्य हुए। जोशी का राजनीतिक जीवन राजस्थान में सशक्त रहा और उनके नेतृत्व में राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में कई कदम उठाए गए। उनकी नीतियों और योजनाओं ने राजस्थान को एक मजबूत प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचा दिया।

17 दिसंबर 1905 - मुहम्मद हिदायतुल्लाह - भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश:

मुहम्मद हिदायतुल्लाह, जिनका जन्म 1905 में हुआ, भारतीय न्यायपालिका के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वे भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश और भारत के पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। उनका योगदान भारतीय न्यायपालिका और संविधान के क्षेत्र में अमूल्य था। हिदायतुल्लाह ने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1968 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बने और 1969 में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उनका न्यायिक दृष्टिकोण और कानून के प्रति उनका समर्पण उन्हें भारतीय न्यायपालिका के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक बनाता है।

17 दिसंबर 1903 - लक्ष्मी नारायण मिश्र - हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार:

लक्ष्मी नारायण मिश्र, जिनका जन्म 1903 में हुआ, हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार थे। वे हिन्दी के एकांकीकारों में विशेष स्थान रखते हैं। उनका लेखन मुख्य रूप से समाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर आधारित था। उनका कार्य न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनका विश्लेषण भी गहरा था। उनके नाटक हिंदी नाट्य साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण रहे। उनके द्वारा लिखे गए एकांकी नाटक आज भी हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण माने जाते हैं और उनकी लेखनी के कारण वे भारतीय नाटक लेखन के इतिहास में एक अहम नाम हैं।

17 दिसंबर 1869 - सखाराम गणेश देउसकर - क्रांतिकारी लेखक, इतिहासकार और पत्रकार:

सखाराम गणेश देउसकर, जिनका जन्म 1869 में हुआ, एक क्रांतिकारी लेखक, इतिहासकार और पत्रकार थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख विचारक और आंदोलनों के सक्रिय सहभागी थे। देउसकर का योगदान न केवल भारतीय इतिहास के क्षेत्र में था, बल्कि उन्होंने अपने लेखन और पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया। उन्होंने भारतीय इतिहास, संस्कृति और राजनीति पर गहरी दृष्टि से विचार किया और समाज के सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए। उनके विचार और लेखन ने भारतीय समाज को नए दृष्टिकोण से देखा और भारतीय क्रांतिकारी विचारधारा को मजबूती दी।

17 दिसंबर 1556 - रहीम - बादशाह अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि:

रहीम, जिनका जन्म 1556 में हुआ, मुग़ल साम्राज्य के सम्राट अकबर के दरबार के प्रसिद्ध कवि थे। उनका असली नाम अब्दुर रहीम खान-ए-ख़ाना था, और वे एक विद्वान, कवि, और सैनिक अधिकारी थे। रहीम की कविताएँ भारतीय साहित्य में विशेष महत्व रखती हैं, खासकर उनके दोहे जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित होते थे। उनका लेखन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक विचारों को व्यक्त करता था, बल्कि उसमें एक गहरी मानवता की भावना भी थी। रहीम के दोहे आज भी लोकप्रिय हैं और उनकी सरलता, बुद्धिमत्ता और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

आज के दिन 17 दिसंबर को जिनका निधन हुआ 

17 दिसंबर 2020 - सत्य देव सिंह - भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज राजनेता:

सत्य देव सिंह, जिनका निधन 2020 में हुआ, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक प्रमुख और दिग्गज राजनेता थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में उत्तराखंड राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे उत्तराखंड प्रदेश के पूर्व विधायक और पार्टी के सशक्त सदस्य थे। सत्य देव सिंह का राजनीतिक जीवन भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों और विचारधारा के प्रति समर्पित था। उन्होंने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर काम किया और अपने कार्यकाल के दौरान राज्य के विकास के लिए कई पहल कीं। उनके निधन से राज्य की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा हुआ।

17 दिसंबर 2020 - इक़बाल अहमद ख़ान - दिल्ली घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक:

इक़बाल अहमद ख़ान, जिनका निधन 2020 में हुआ, दिल्ली घराने के एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम थे। उनका गायन विशेष रूप से ठुमरी और द्रुपद गायन के लिए प्रसिद्ध था। इक़बाल अहमद ख़ान का संगीतकार के रूप में योगदान अमूल्य था, और उन्होंने शास्त्रीय संगीत की पारंपरिक शैलियों को आधुनिक संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय बनाने का कार्य किया। उनके योगदान ने दिल्ली घराने की शास्त्रीय संगीत परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक अपूरणीय रिक्तता पैदा हुई।

17 दिसंबर  2019 - श्रीराम लागू - भारतीय सिनेमा और रंगमंच के दिग्गज कलाकार:

श्रीराम लागू, जिनका निधन 2019 में हुआ, भारतीय सिनेमा और रंगमंच के एक महान अभिनेता थे। वे विशेष रूप से हिंदी और मराठी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत रंगमंच से की थी और बाद में फिल्मों में भी अपनी कला का लोहा मनवाया। श्रीराम लागू की विशेष पहचान उनके गंभीर और प्रभावशाली अभिनय से थी। उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा और रंगमंच में अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी और अभिनय की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

17 दिसंबर 1959 - भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया - प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी और पत्रकार:

भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया, जिनका निधन 1959 में हुआ, एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी विचारक और पत्रकार थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य रहे और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। पट्टाभि सीतारामैया ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर कार्य किया और समाज में सुधार की दिशा में महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया। उनका योगदान पत्रकारिता, राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण था। वे भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम के एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में प्रसिद्ध रहे। उनके कार्यों ने भारतीय समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में मार्गदर्शन किया।

17 दिसंबर 1927 - राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी - भारत के अमर शहीद प्रसिद्ध क्रांतिकारी:

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, जिनका निधन 1927 में हुआ, भारत के महान क्रांतिकारी थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख सदस्य थे और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रसिद्ध थे। राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने काकोरी कांड में भाग लिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान की आहुति दी। उनका बलिदान भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास में अमिट रहेगा। उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों में लिया जाता है, और उनका योगदान भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण था।

17 दिसंबर 1645 - नूरजहां - मुग़ल सम्राट जहांगीर की पत्नी:

नूरजहां, जिनका निधन 1645 में हुआ, मुग़ल सम्राट जहांगीर की पत्नी और एक महत्वपूर्ण साम्राज्ञी थीं। नूरजहां का वास्तविक नाम मिहर अल-निसा बेगम था। वे अपनी बुद्धिमत्ता, राजनीति में योगदान, और शाही दरबार में अपनी स्थिति के लिए प्रसिद्ध थीं। नूरजहां ने मुग़ल साम्राज्य में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णयों में भाग लिया। उनके समय में मुग़ल साम्राज्य का शासन मजबूत हुआ, और वे एक प्रभावशाली महिला शासक के रूप में जानी जाती हैं। उनका निधन एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना था, और उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।

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