9 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव बिरसा मुंडा पुण्यतिथि और अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस

9 जून को हम अमर शहीद बिरसा मुंडा को याद करते हैं, जो एक महान आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। साथ ही इस दिन अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस भी मनाया जाता है, जो ऐतिहासिक दस्तावेजों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व को दर्शाता है, 9 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव: बिरसा मुंडा पुण्यतिथि और अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस,

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9 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव बिरसा मुंडा पुण्यतिथि और अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस
9 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव: बिरसा मुंडा पुण्यतिथि और अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस

9 जून का इतिहास और विशेष अवसर: बिरसा मुंडा पुण्यतिथि एवं अभिलेख दिवस,

9 जून के दिन की प्रमुख घटनाएं और उत्सव,

9 जून: अमर शहीद बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि और अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस,

9 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर और उनका इतिहास,

9 जून के महत्वपूर्ण पर्व और ऐतिहासिक तथ्य,

9 जून की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में हर एक घटना के लिए लगभग 


1964 - लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने
9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वे देश के सर्वोच्च पद पर बैठे। शास्त्री ने अपने कार्यकाल में “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया, जो किसानों और सैनिकों के सम्मान को दर्शाता है। उन्होंने देश की आर्थिक और सामरिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में काम किया। उनकी नीति और नेतृत्व ने भारत को 1965 के भारत-पाक युद्ध में मजबूती दी। शास्त्री का कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज में आज भी याद किया जाता है।


1999 - कुली ओडैजो माउंट एवरेस्ट पर दक्षिण और उत्तर दोनों छोर से चढ़ने वाली पहली महिला बनीं
9 जून 1999 को दक्षिण अफ़्रीका की कुली ओडैजो माउंट एवरेस्ट पर दक्षिण और उत्तर दोनों छोर से चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला बनीं। यह एक अद्भुत पर्वतारोहण की उपलब्धि थी क्योंकि एवरेस्ट की ये दोनों तरफ की चढ़ाई अलग-अलग और चुनौतीपूर्ण रास्ते हैं। कुली ने इस इतिहासिक उपलब्धि से महिलाओं के साहस और शक्ति को साबित किया। उनकी यह सफलता पर्वतारोहण के क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनी। इसके अलावा, इसी दिन युगोस्लाविया और नाटो ने कोसोवो में सर्बियाई सैनिक वापस बुलाने पर सहमति जताई।


1999 - युगोस्लाविया और नाटो के बीच कोसोवो में सर्बियाई सैनिक वापस बुलाने पर सहमति
9 जून 1999 को युगोस्लाविया और नाटो के बीच कोसोवो विवाद को लेकर महत्वपूर्ण सहमति हुई। दोनों पक्षों ने सर्बियाई सैनिकों को कोसोवो क्षेत्र से वापस बुलाने पर सहमति दी, जिससे वहाँ की स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी। यह सहमति नाटो के सैन्य हस्तक्षेप के बाद आई थी, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति स्थापित करना था। इस कदम से कोसोवो में तनाव कम हुआ और वहां के लोगों के लिए स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया। यह घटना यूरोप में शांति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी गई।


2001 - ईरान में मोहम्मद ख़ातमी की पुनः जीत और बेनजीर भुट्टो को तीन साल की सज़ा
9 जून 2001 को ईरान में मोहम्मद ख़ातमी ने राष्ट्रपति चुनाव में पुनः जीत हासिल की। ख़ातमी एक सुधारवादी नेता माने जाते हैं जिन्होंने ईरान में राजनीतिक और सामाजिक सुधार की पहल की। उनकी जीत ने देश में बदलाव की उम्मीद जगाई। वहीं, इसी दिन पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को भ्रष्टाचार के आरोप में तीन साल की सज़ा सुनाई गई। यह सज़ा राजनीतिक विवादों का हिस्सा थी और इससे पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मची। दोनों घटनाओं ने दक्षिण एशियाई राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला।


2006 - म्यूनिख में विश्व कप फुटबॉल की रंगारंग शुरुआत
9 जून 2006 को जर्मनी के म्यूनिख में फीफा विश्व कप फुटबॉल का भव्य उद्घाटन हुआ। इस टूर्नामेंट की शुरुआत एक भव्य समारोह के साथ हुई जिसमें विश्वभर के फुटबॉल प्रेमी शामिल हुए। यह विश्व कप बहुत रोमांचक और प्रतिस्पर्धात्मक रहा, जिसमें कई दिग्गज टीमें और खिलाड़ी अपनी क्षमता दिखाने के लिए मैदान पर उतरे। म्यूनिख स्टेडियम की रंगीन सजावट और उत्सव ने फुटबॉल उत्सव को यादगार बना दिया। इस विश्व कप में कई नए रिकॉर्ड बने और फुटबॉल के इतिहास में यह एक अहम आयोजन माना गया।

2008 की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में लगभग 


2008 - चंडीगढ़ को तम्बाकू मुक्त घोषित किया गया
2008 में केंद्रशासित क्षेत्र प्रशासन ने चंडीगढ़ को तम्बाकू मुक्त क्षेत्र घोषित किया। इस निर्णय का उद्देश्य नागरिकों को तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारना था। चंडीगढ़ प्रशासन ने इस कदम के तहत तम्बाकू उत्पादों के सेवन, बिक्री और प्रचार पर सख्त प्रतिबंध लगाए। यह पहल स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और तम्बाकू से जुड़ी बीमारियों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी गई। तम्बाकू मुक्त चंडीगढ़ अभियान से अन्य शहरों को भी प्रेरणा मिली कि वे अपने क्षेत्र में स्वस्थ वातावरण बनाएँ।


2008 - अमेरिका की ऊर्जा कंपनी ने सुजलान एनर्जी के 160 मेगावाट पवन टरबाइन खरीदने का आर्डर रद्द किया
साल 2008 में अमेरिका की एक प्रमुख ऊर्जा कंपनी ने भारतीय कंपनी सुजलान एनर्जी लिमिटेड से 160 मेगावाट की पवन ऊर्जा टरबाइन खरीदने का आर्डर अचानक रद्द कर दिया। यह आर्डर रद्द होना सुजलान एनर्जी के लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि इससे कंपनी की वित्तीय योजनाओं और उत्पादन पर असर पड़ा। पवन ऊर्जा क्षेत्र में यह कदम वैश्विक आर्थिक संकट और ऊर्जा बाजार की अस्थिरता को दर्शाता है। इस घटना ने पवन ऊर्जा उद्योग के प्रति निवेशकों की सोच पर प्रभाव डाला।


2008 - शाहरुख ख़ान ने आईफ़ा पुरस्कार में 'चक दे इंडिया' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता
2008 में फिल्म अभिनेता शाहरुख ख़ान ने नौवें इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अकादमी (आईफ़ा) पुरस्कार समारोह में अपनी फिल्म 'चक दे इंडिया' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त किया। 'चक दे इंडिया' ने भारतीय खेलों और टीम भावना की कहानी को जीवंत तरीके से दर्शाया। शाहरुख का अभिनय और फिल्म की विषय-वस्तु ने दर्शकों और आलोचकों दोनों का दिल जीत लिया। इस पुरस्कार ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को और भी अधिक मान्यता दी और फिल्म को एक प्रेरणादायक कृति के रूप में स्थापित किया।

9 जून को जन्मे व्यक्तियों के बारे में लगभग 


डॉ. किरण मार्टिन (1959)
डॉ. किरण मार्टिन एक प्रसिद्ध बच्चों की चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बचपन में बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उनका फोकस विशेष रूप से गरीब और वंचित बच्चों पर रहता है। वे बच्चों के बेहतर कल्याण और संरक्षण के लिए कई सामाजिक अभियानों से जुड़ी हुई हैं। डॉ. मार्टिन ने बच्चों की देखभाल और विकास के लिए कई प्रभावशाली योजनाएं शुरू की हैं, जिससे बच्चों के जीवन में सुधार हुआ है। उनकी सेवाएं सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के क्षेत्र में सराहनीय मानी जाती हैं।


चौधरी दिगम्बर सिंह (1913)
चौधरी दिगम्बर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध राजनीतिक नेता थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश की आज़ादी के लिए अपना समर्पण दिया। स्वतंत्रता के बाद भी वे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहे, खासकर हरियाणा राज्य की राजनीति में उनकी भूमिका अहम रही। चौधरी दिगम्बर सिंह ने जनकल्याण के लिए कई नीतियां बनाई और समाज के कमजोर वर्गों के लिए संघर्ष किया। उनका योगदान भारतीय राजनीति में एक प्रेरणादायक अध्याय है।


किरण बेदी (1949)
किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी हैं। उन्होंने पुलिसिंग के क्षेत्र में कई बार नए कीर्तिमान स्थापित किए और देश में महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। उनकी मेहनत और साहस से पुलिसिंग में महिलाओं की भूमिका को मजबूती मिली। किरण बेदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठाई और सुधारवादी पुलिसिंग के लिए जानी जाती हैं। इसके अलावा वे सामाजिक कार्यों और प्रशासनिक सुधारों में भी सक्रिय हैं। उन्होंने पंजाब की जेल व्यवस्था में सुधार भी किए।


अमीषा पटेल (1975)
अमीषा पटेल एक प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेत्री हैं जिन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया है। उन्होंने अपने अभिनय के दम पर फिल्म उद्योग में अपनी खास पहचान बनाई। अमीषा ने विभिन्न तरह की भूमिकाएं निभाई हैं, जिनमें रोमांस, ड्रामा और कॉमेडी शामिल हैं। उनकी लोकप्रिय फिल्मों में 'हम राजा हैं' और 'कभी खुशी कभी ग़म' शामिल हैं। अमीषा की खूबसूरती और अभिनय ने उन्हें बॉलीवुड में एक खास मुकाम दिलाया। वे अपनी फिल्मों के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी रुचि रखती हैं।

9 जून को जन्मे इन व्यक्तियों के बारे में लगभग 


अनुष्का शंकर (1981)
अनुष्का शंकर एक प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार और सितारवादक हैं। वे शास्त्रीय संगीत की प्रतिष्ठित परंपरा से जुड़ी हैं और अपनी कला के माध्यम से विश्व भर में भारतीय संगीत का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। अनुष्का के संगीत में पारंपरिक और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिलता है। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने प्रदर्शन से संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया है। वे प्रसिद्ध सितारवादक रवि शंकर की पुत्री हैं और भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।


सोनम कपूर (1985)
सोनम कपूर बॉलीवुड की लोकप्रिय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा और फैशन सेंस के लिए खूब प्रशंसा पाई है। वे फिल्मी परिवार से आती हैं और अपने करियर में कई सफल और आलोचनात्मक रूप से सराही गई फिल्मों में काम किया है। सोनम ने ‘सांवरिया’, ‘रांझणा’, और ‘नीरजा’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है। वे फैशन आइकन के रूप में भी जानी जाती हैं और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखती हैं। सोनम कपूर आज की युवा पीढ़ी में एक प्रेरणा बन गई हैं।


अनिल मनीभाई नाईक (1942)
अनिल मनीभाई नाईक भारतीय उद्योगपति और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (L&T) के अध्यक्ष हैं, जो भारत की प्रमुख इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी है। उनके नेतृत्व में कंपनी ने भारतीय और वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इंजीनियरिंग क्षेत्र में नई दिशा दी है। अनिल नाईक को उनके प्रबंधन कौशल और दूरदर्शिता के लिए सम्मानित किया गया है। वे भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं।


नंदिनी सत्पथी (1931)
नंदिनी सत्पथी उड़ीसा की महिला मुख्यमंत्री रही हैं और एक प्रख्यात लेखिका भी हैं। उन्होंने राजनीति और साहित्य दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महिला नेतृत्व के क्षेत्र में उनका नाम आदर्श माना जाता है। नंदिनी सत्पथी ने सामाजिक न्याय, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए कई पहल कीं। उनकी लेखनी में उड़ीसा की सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन की गहराई झलकती है। वे अपने वक्तव्य और लेखन के लिए सम्मानित रही हैं और महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हैं।

9 जून को जन्मे इन महान व्यक्तियों के बारे में 


वसन्त देसाई (1912)
वसन्त देसाई भारतीय सिनेमा जगत के प्रसिद्ध संगीतकार थे। उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों के लिए संगीत दिया और अपनी रचनात्मकता तथा संगीत की सूक्ष्म समझ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। उनके संगीत में पारंपरिक और आधुनिकता का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता था। वसन्त देसाई ने कई यादगार गीत और संगीत रचनाएं दीं, जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं। उनका योगदान भारतीय फिल्म संगीत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।


लक्ष्मण प्रसाद दुबे (1909)
लक्ष्मण प्रसाद दुबे छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष किया। दुबे जी का जीवन देशभक्ति और समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने छत्तीसगढ़ क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती दी और जनता को एकजुट किया। उनका योगदान आज भी छत्तीसगढ़ के इतिहास में गौरव के रूप में याद किया जाता है।


अजित शंकर चौधरी (1933)
अजित शंकर चौधरी एक सुप्रसिद्ध भारतीय कवि, संस्मरणकार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा सहृदय समीक्षक थे। उनकी रचनाओं में भारतीय समाज की विविधता और मानवीय संवेदनाओं की गहराई प्रकट होती है। चौधरी जी ने साहित्य के विभिन्न विधाओं में अपना प्रभाव छोड़ा और नए आयाम स्थापित किए। उनकी लेखनी में सहजता और गहराई का अनूठा मेल देखने को मिलता है। वे हिंदी साहित्य के समकालीन महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में गिने जाते हैं।

9 जून को हुए निधन के अवसर पर इन प्रमुख व्यक्तियों के बारे में 


बिरसा मुंडा (निधन: 9 जून 1900)
बिरसा मुंडा भारत के एक महान आदिवासी नेता और लोकनायक थे। वे 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन और स्थानीय जमींदारों के शोषण के खिलाफ आदिवासी जनता का नेतृत्व करते थे। बिरसा ने मुंडा समुदाय के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक उत्थान के लिए संघर्ष किया। उनकी लड़ाई ने आदिवासियों में जागरूकता और आत्म-सम्मान बढ़ाया। बिरसा मुंडा को भारत का राष्ट्रीय नायक माना जाता है और उनकी जयंती पर आदिवासी समुदाय बड़े उत्साह से आयोजन करता है। 9 जून 1900 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका आदर्श आज भी प्रेरणा देता है।


हरि किशन सरहदी (निधन: 9 जून 1931)
हरि किशन सरहदी भारत के प्रसिद्ध शहीद स्वतंत्रता सेनानी थे। वे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थे। सरहदी जी ने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है। 9 जून 1931 को उनका निधन शहादत के रूप में हुआ। वे युवा पीढ़ी के लिए देशभक्ति और साहस के प्रतीक हैं।


दिनेश चंद्र मजूमदार (निधन: 9 जून 1934)
दिनेश चंद्र मजूमदार एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी और अमर शहीद थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित संघर्ष में शामिल थे। मजूमदार जी ने देश की आज़ादी के लिए कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया और अपने जीवन का बलिदान दिया। उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में गर्व से लिया जाता है। 9 जून 1934 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी वीरता और समर्पण आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 

9 जून को हुए निधन के अवसर पर इन महान व्यक्तियों के बारे में लगभग 100-100 शब्दों में जानकारी दी गई है:


अब्बास तैयबजी (निधन: 9 जून 1936)
अब्बास तैयबजी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक वीर क्रांतिकारी थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश की आज़ादी के लिए अपना जीवन समर्पित किया। अब्बास तैयबजी ने खासकर खिलाफ़त आंदोलन और असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। वे गांधीजी के आदर्शों से प्रेरित थे और भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में उनका योगदान अमूल्य था। 9 जून 1936 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी देशभक्ति और साहस आज भी याद किए जाते हैं।


असद भोपाली (निधन: 9 जून 1990)
असद भोपाली एक प्रसिद्ध गीतकार और शायर थे, जिन्होंने हिंदी और उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके गीतों और शायरी में भावुकता, प्रेम, और समाज के विभिन्न पहलुओं का सुंदर चित्रण मिलता है। उन्होंने कई लोकप्रिय गानों की रचना की जो आज भी लोगों के दिलों को छूते हैं। असद भोपाली की शायरी में उनकी संवेदनशीलता और गहराई झलकती है। उनका निधन 9 जून 1990 को हुआ, लेकिन उनकी कला आज भी जीवित है।


राज खोसला (निधन: 9 जून 1991)
राज खोसला हिंदी फिल्मों के एक प्रमुख निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक थे। उन्होंने भारतीय सिनेमा में कई यादगार फिल्में बनाई, जिनमें सामाजिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से दर्शाया गया। राज खोसला का निर्देशन शैली और कहानी कहने का तरीका उन्हें अलग पहचान देता था। उनकी फिल्में आज भी सिनेमा प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। 9 जून 1991 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी कृतियाँ भारतीय फिल्म जगत में अमर हैं।

सत्यान बोस (निधन: 9 जून 1993)
सत्यान बोस हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध निर्देशक थे, जिन्होंने “चलती का नाम गाड़ी” जैसी क्लासिक फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी फिल्मों में मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी समाहित होते थे। सत्यान बोस की फिल्में सरल लेकिन प्रभावशाली होती थीं, जो दर्शकों के बीच आज भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा में हास्य और पारिवारिक मूल्यों को सुंदर रूप से प्रस्तुत किया। 9 जून 1993 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी फिल्में आज भी हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की याद दिलाती हैं।


धीरेन्द्र ब्रह्मचारी (निधन: 9 जून 1994)
धीरेन्द्र ब्रह्मचारी भारतीय योगाचार्य और आध्यात्मिक गुरु थे, जिनका बचपन का नाम धीरचन्द्र चौधरी था। उन्होंने योग और ध्यान के माध्यम से जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाने की शिक्षा दी। धीरेन्द्र ब्रह्मचारी का योगदान योग के प्रचार-प्रसार और आध्यात्मिक चेतना को जागरूक करने में महत्वपूर्ण था। वे अपने अनुयायियों के बीच गहरे सम्मानित थे और योग को जीवन शैली के रूप में अपनाने की प्रेरणा देते थे। 9 जून 1994 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी शिक्षाएं आज भी योग साधकों के लिए मार्गदर्शन हैं।


एन.जी. रंगा (निधन: 9 जून 1995)
एन.जी. रंगा भारत के स्वतंत्रता सेनानी, सांसद और प्रसिद्ध किसान नेता थे। उन्होंने भारतीय किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और ग्रामीण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रंगा जी ने किसान आंदोलन को नई दिशा दी और सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठाई। वे भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे, जिन्होंने किसानों को सशक्त बनाने के लिए कई पहलें कीं। 9 जून 1995 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका योगदान आज भी किसानों के लिए प्रेरणा है।


मक़बूल फ़िदा हुसैन (मएफ़ हुसैन) (निधन: 9 जून 2011)
मक़बूल फ़िदा हुसैन महाराष्ट्र के प्रसिद्ध और विश्व विख्यात चित्रकार थे। वे आधुनिक भारतीय कला के अग्रणी कलाकार माने जाते हैं। हुसैन जी की चित्रकला में रंगों और रूपों का अद्भुत प्रयोग था, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति, मिथकों और जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपनी कला के माध्यम से दर्शाया। 9 जून 2011 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका कला जगत में अमिट योगदान सदैव याद रखा जाएगा। 

9 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव के बारे में लगभग 


अमर शहीद बिरसा मुंडा की पुण्य तिथि
9 जून को अमर शहीद बिरसा मुंडा की पुण्य तिथि मनाई जाती है। बिरसा मुंडा एक महान आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन और जमींदारों के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। उनका जीवन आदिवासी समाज के उत्थान और स्वतंत्रता के लिए समर्पित था। इस दिन देश भर में उनकी याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें उनके साहस, त्याग और आदर्शों को याद किया जाता है। बिरसा मुंडा की पुण्य तिथि आदिवासी समाज के लिए विशेष महत्व रखती है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जाता है।


अन्तरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस
9 जून को विश्वभर में अन्तरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस मनाया जाता है। यह दिन अभिलेखों, दस्तावेजों और इतिहास के संरक्षण के महत्व को उजागर करता है। अभिलेख समाज के इतिहास, संस्कृति और प्रशासनिक कार्यों का आधार होते हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए ज्ञान और सूचना का भंडार हैं। इस अवसर पर अभिलेखागार, पुस्तकालय और सांस्कृतिक संस्थान कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिनका उद्देश्य अभिलेखों के संरक्षण और डिजिटलाइजेशन के महत्व को बढ़ावा देना होता है। यह दिन सभी को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोने और सुरक्षित रखने की प्रेरणा देता है।

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