1 नवंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाओं पर 100-100 शब्दों में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:
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1755 - लिस्बन भूकंप
1 नवंबर 1755 को पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में भयंकर भूकंप आया, जिसमें 50,000 से अधिक लोग मारे गए। इस भूकंप से समुद्री लहरें उत्पन्न हुईं, जिसने लिस्बन और उसके आस-पास के क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस त्रासदी ने शहर को पूरी तरह तबाह कर दिया और इसकी पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए।
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1765 - स्टैम्प एक्ट
ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों में स्टैम्प एक्ट लागू किया, जिसके तहत सभी प्रकार के कागजात, समाचार पत्रों और वाणिज्यिक कागजातों पर कर लगाया गया। यह कानून उपनिवेशों में असंतोष का कारण बना और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ।
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1800 - जॉन एडम्स व्हाइट हाउस में
1 नवंबर 1800 को जॉन एडम्स व्हाइट हाउस में रहने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने। व्हाइट हाउस को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. में बनाया गया था और यह अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास बना।
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1858 - भारत का शासन ब्रिटेन को सौंपा गया
1857 के विद्रोह के बाद, 1 नवंबर 1858 को भारत का प्रशासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन के पास चला गया। इसके साथ ही गवर्नर-जनरल की जगह वायसराय की नियुक्ति शुरू हुई। यह भारत के प्रशासन में महत्वपूर्ण बदलाव था और इसके तहत औपनिवेशिक शासन को मजबूत किया गया।
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1881 - कलकत्ता में ट्राम सेवा
1 नवंबर 1881 को कलकत्ता में स्यालदाह से अर्मेनिया घाट के बीच पहली ट्राम सेवा शुरू हुई। यह भारत में शहरी परिवहन में एक बड़ा कदम था और बाद में इस सेवा का विस्तार अन्य शहरों में भी हुआ।
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1913 - गदर आंदोलन का आरंभ
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तारकनाथ दास ने 1 नवंबर 1913 को कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में गदर आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह था, जिसने प्रवासी भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
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1922 - ओटोमन साम्राज्य का अंत
1 नवंबर 1922 को ओटोमन साम्राज्य का अंत हुआ और इसके अंतिम सुल्तान महमूद VI को बहिष्कृत कर दिया गया। इसके साथ ही, आधुनिक तुर्की गणराज्य की नींव रखी गई और यह क्षेत्रीय एवं वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक बना।
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1944 - ब्रिटिश सेना नीदरलैंड पहुँची
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, 1 नवंबर 1944 को ब्रिटिश सेना नीदरलैंड के वालचेरेन पहुंची। यह पश्चिमी यूरोप में मित्र राष्ट्रों की बढ़ती जीत का प्रतीक था, जिसने नीदरलैंड को नाजी कब्जे से मुक्त कराने में मदद की।
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1946 - निदरसचसेन राज्य का गठन
पश्चिम जर्मनी में 1 नवंबर 1946 को निदरसचसेन राज्य का गठन किया गया। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के विभाजन और पुनर्गठन का हिस्सा था, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिला।
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1950 - पहला भाप इंजन
1 नवंबर 1950 को चितरंजन रेल कारखाने में भारत का पहला भाप इंजन बनाया गया। इसका नाम 'लॉर्ड' रखा गया और यह भारतीय रेलवे के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, जो रेलवे के स्वदेशीकरण की दिशा में एक कदम था।
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1952 - जय नारायण राजस्थान के मुख्यमंत्री बने
जय नारायण व्यास ने 1 नवंबर 1952 को राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद संभाला। वे राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने और उनके कार्यकाल में राजस्थान में विकास और आर्थिक सुधार के कई कार्य हुए।
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1954 - पांडिचेरी का भारत में विलय
1 नवंबर 1954 को फ़्रांसीसी क्षेत्र पांडिचेरी, करिकल, माहे और यानोन भारत सरकार को सौंपे गए, जिससे ये क्षेत्र भारत का हिस्सा बन गए। यह भारत के पूर्ण एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
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1956 - भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन
1 नवंबर 1956 को भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया, जिसमें कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल और आंध्र प्रदेश राज्यों का गठन हुआ। यह भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम था।
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1958 - सोवियत परमाणु परीक्षण
1 नवंबर 1958 को तत्कालीन सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया, जिससे शीत युद्ध के दौरान परमाणु शक्ति के संतुलन को प्रभावित किया। इस परीक्षण से अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु होड़ को और बढ़ावा मिला।
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1966 - हरियाणा राज्य का गठन
1 नवंबर 1966 को हरियाणा को पंजाब से अलग कर एक नए राज्य के रूप में स्थापित किया गया। इस गठन ने हरियाणा की क्षेत्रीय पहचान और विकास को मजबूत किया और इसके साथ ही चंडीगढ़ को एक केन्द्र शासित राज्य बनाया गया।
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1972 - कांगड़ा ज़िले का विभाजन
1 नवंबर 1972 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले को तीन भागों में विभाजित कर कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों का गठन किया गया। यह विभाजन प्रशासनिक सुधार और क्षेत्रीय विकास के उद्देश्य से किया गया।
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1973 - मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक
1 नवंबर 1973 को मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक रखा गया। यह नाम परिवर्तन राज्य की सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देने के लिए किया गया, जिससे स्थानीय निवासियों में गर्व की भावना बढ़ी।
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1974 - सायप्रस की स्वतंत्रता को मान्यता
1 नवंबर 1974 को संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वी भूमध्यसागरीय देश सायप्रस की स्वतंत्रता को मान्यता दी। सायप्रस की स्वतंत्रता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मिलने से उसकी राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिला।
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1979 - बोलिविया में सैन्य तख्तापलट
1 नवंबर 1979 को बोलिविया में सत्ता पर सेना का कब्जा हुआ, जिससे राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हुई। इस तख्तापलट से बोलिविया में लोकतंत्र की बहाली की दिशा में संघर्ष शुरू हुआ।
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2000 - छत्तीसगढ़ राज्य का गठन
1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और अजीत जोगी इसके पहले मुख्यमंत्री बने। छत्तीसगढ़ के गठन ने क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, जिससे राज्य की संस्कृति और परंपराओं को भी पहचान मिली।
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2003 - इराकी छापामारों द्वारा हमला
1 नवंबर 2003 को इराकी छापामारों द्वारा बगदाद के समीप अमेरिकी हेलीकॉप्टर पर हमला हुआ, जिसमें 15 सैनिकों की मृत्यु हो गई। यह इराक युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना पर हुए प्रमुख हमलों में से एक था।
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2005 - विश्व नरसंहार दिवस प्रस्ताव
1 नवंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र ने द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी हमले के दौरान मारे गए लोगों की स्मृति में 27 जनवरी को विश्व नरसंहार दिवस मनाने का प्रस्ताव पेश किया। यह दिन मानवता के खिलाफ हुए अत्याचारों की याद दिलाने के लिए निर्धारित किया गया।
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2007 - श्रीलंका आपातकाल बढ़ाया गया
1 नवंबर 2007 को श्रीलंका की संसद ने जातीय संघर्ष को सुलझाने के लिए आपातकाल की अवधि बढ़ाई। तमिल विद्रोहियों के साथ जारी संघर्ष को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया।
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2008 - एसडीएफसी फाइनेंस का पंजीकरण रद्द
1 नवंबर 2008 को भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ोदरा स्थित वित्तीय कम्पनी मैसर्स एसडीएफसी फाइनेंस लिमिटेड का पंजीकरण रद्द किया, जो बैंकिंग नियामक के तहत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर सख्ती का हिस्सा था।
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2010 - चीन की जनगणना घोषणा
1 नवंबर 2010 को चीन ने दस वर्षों में पहली बार जनगणना की घोषणा की। यह जनगणना चीन की जनसंख्या के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्रित करने के उद्देश्य से की गई, जो उसकी भविष्य की नीतियों के निर्धारण में सहायक रही।
1 नवंबर के महत्त्वपूर्ण जन्म, निधन, अवसर और उत्सव पर अधिक जानकारी निम्नलिखित है:
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प्रभा खेतान (1942) - हिन्दी की प्रतिष्ठित लेखिका, कवयित्री और नारीवादी चिंतक थीं। इन्होंने अपनी रचनाओं में महिलाओं के जीवन, संघर्ष और अधिकारों को प्रमुखता से दर्शाया। उनका उपन्यास "छिन्नमस्ता" और आत्मकथा "अन्या से अनन्या" काफी चर्चित रहे हैं। प्रभा खेतान समाज सेवा में भी सक्रिय थीं और ‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ की स्थापना की, जो साहित्य और सामाजिक कार्यों में योगदान देती है।
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ऐश्वर्या राय (1973) - एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री और 1994 की मिस वर्ल्ड विजेता हैं। बॉलीवुड के साथ-साथ उन्होंने हॉलीवुड में भी काम किया है। ऐश्वर्या को उनकी सुंदरता और अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। "देवदास," "जोधा अकबर," और "गुरु" जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाएँ सराही गईं।
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रूबी भाटिया (1973) - भारतीय अभिनेत्री और टीवी होस्ट, जिन्होंने 1990 के दशक में भारतीय टीवी और फिल्म उद्योग में अपनी एक विशेष पहचान बनाई। उन्हें अपनी जीवंत प्रस्तुति शैली के लिए जाना जाता है।
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संतोष गंगवार (1948) - एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारत सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। वे बरेली से सांसद रहे हैं और श्रम मंत्रालय में सुधारों के लिए जाने जाते हैं।
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मुरलीकांत पेटकर (1947) - भारत के पैरा एथलीट और पहले भारतीय हैं जिन्होंने पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीता। 1972 के खेलों में उनकी तैराकी में जीत ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। वे सेना में भी रहे और विकलांगता को हराते हुए अपने साहस से मिसाल कायम की।
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अनिल बैजल (1946) - दिल्ली के उपराज्यपाल रहे हैं और एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी रहे हैं। उनके कार्यकाल में उन्होंने दिल्ली में प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान दिया।
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रमेश चंद्र लहोटी (1940) - भारत के 35वें मुख्य न्यायाधीश थे और न्यायिक स्वतंत्रता के मजबूत पक्षधर रहे। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए गए, जो भारतीय न्याय प्रणाली में मील का पत्थर साबित हुए।
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आदर्श सेन आनंद (1936) - भारत के 29वें मुख्य न्यायाधीश, जिन्होंने कानूनी सुधारों के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए कई कदम उठाए। न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में उनके योगदान को सराहा गया।
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अब्दुल क़ावी देसनावी (1930) - उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार और शायर, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की। उनकी कविताओं में प्रेम और समाज के प्रति गहरा जुड़ाव देखा जाता है।
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दीनानाथ भार्गव (1927) - भारतीय चित्रकार और शिल्पकार जो नंदलाल बोस के शिष्य थे। उन्होंने भारतीय कला में योगदान दिया और संविधान की हस्तलिखित प्रति को सजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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रामकिंकर उपाध्याय (1924) - हिन्दी साहित्यकार और कथावाचक, जिन्होंने धार्मिक ग्रंथों की कथाएँ लोगों के समक्ष प्रस्तुत कीं। उनके प्रवचन और लेखनी ने लोगों को प्रेरित किया।