भारत एक सनातन राष्ट्र

इण्डोनेशिया में जावा व कम्बोडिया से लेकर अफगानिस्तान पर्यन्त इस सम्पूर्ण भू-भाग में आज भी अनगिनत भव्य प्राचीन मन्दिर अथवा उनके अवशेष प्रचुरता में हैं।

Mar 8, 2024 - 15:01
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भारत एक सनातन राष्ट्र

‘भारत’ का नामकरण शब्द की व्युत्पत्ति ‘विश्व का भरण पोषण करने में समर्थ देश’ होने से हुआ है। प्राचीन काल में इण्डोनेशिया से पश्चिम में ईरान तक के भू-भाग में अतीत में एक साझी संस्कृति पर आधारित हिन्दू जीवन पद्धति प्रचलित रही है। कनिष्क के काल में ‘त्रिविष्टप‘ अर्थात तिब्बत व सिंकियांग सहित वर्तमान भारत से अफगानिस्तान व मध्य एशियाई देशों तक यह भाग एक भू-राजनैतिक इकाई रहा है। चोल राज राजेन्द्र के काल में 1000 वर्ष पूर्व उनका राज्य सम्पूर्ण श्रीलंका व दक्षिण पूर्व एशिया तक रहा है

इण्डोनेशिया में जावा व कम्बोडिया से लेकर अफगानिस्तान पर्यन्त इस सम्पूर्ण भू-भाग में आज भी अनगिनत भव्य प्राचीन मन्दिर अथवा उनके अवशेष प्रचुरता में हैं। इस प्रकार इण्डोनेशिया से सम्पूर्ण वर्तमान भारत वर्ष सहित ईरान तक की इस एक प्राचीन भू-सांस्कृतिक समानता वाली इकाई के अनेक विभाजनों के बाद भी वर्तमान शेष भारत में भी विश्व की सर्वाधिक कृषि योग्य भूमि (18 करोड़ हैक्टैर) व आज देश में वर्षाकाल में बिना उपयोग के 20 करोड़ हैक्टैर मीटर की जो जल राशि बहकर चली जाती है, उसका उपयोग करके देश में 16 करोड़ हैक्टैर भूमि की सिंचाई की जा सकती है।

इस प्रकार सिंचाई साधनों के उचित विकास से देश के सम्पूर्ण कृषि योग्य भूमि का सिंचित क्षेत्रफल लगभग 6 करोड़ हैक्टैर है। अतएव सघन कृषि के माध्यम से आज भी भारत विश्व की दो तिहाई जनसंख्या की खाद्य आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम होने से भारत नाम को सार्थक करता है।  प्राचीन काल में जब हिमालय का उद्भव भी नहीं हुआ था, गंगा नदी की उत्पत्ति नहीं हुयी थी, सम्पूर्ण भू-मण्डल आज की भांति अलग-अलग महाद्वीपों में विभक्त नही हुआ था उस काल की भौगोलिक रचना के विवरणों से युक्त ऋग्वेद को विश्व के सभी विद्वान एक मत से विश्व की प्राचीनतम पुस्तक मानते हैं। उसे संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (यूनेस्को) ने भी विश्व की अति प्राचीन विरासत की श्रेणी में रखा है।

विश्व के प्राचीनतम ज्ञान के उद्गम वेदों सहित प्राचीन हिन्दू वांग्मय में आज जिस उन्नत ज्ञान, विज्ञान व प्रौद्योगिकी के प्रसंग आते हैं, उससे प्राचीन काल में एक अत्यन्त उन्नत व सुसंस्कृत जीवन के असंख्य सूत्रबद्ध प्रमाण मिलते हैं। इस प्रकार वेदों में राष्ट्र की संकल्पना का विवेचन और पुराणों में भारत की भौगोलिक व्यापकता का स्पष्ट वर्णन यह सिद्ध करता है कि भारत अति प्राचीन ही नहीं, एक अनादि सनातन राष्ट्र है। इसका स्पष्टीकरण आगे किया जा रहा है। सर्वप्रथम यदि ‘हिन्दू‘, शब्द की ही व्याख्या करें तो यह सार्वभौम जन-जीवन में श्रेष्ठता के सूत्रपात का जीवन दर्शन है। हिन्दू शब्द की विवेचना भी कई प्रकार से की जा सकती है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार