महिला एथलीट्स के लिए नया नियम, हर हाल में करवाना होगा जेंडर टेस्ट, वरना…

वर्ल्ड एथलेटिक्स काउंसिल ने महिला एथलीटों के लिए एक नया नियम लागू किया है. महिला एथलीट्स के लिए अब जीवन में एक बार जेंडर टेस्ट कराना जरूरी हो गया है. हर एक महिला एथलीट्स को SRY जीन टेस्ट से गुजरना होगा.

Jul 31, 2025 - 05:02
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महिला एथलीट्स के लिए नया नियम, हर हाल में करवाना होगा जेंडर टेस्ट, वरना…
महिला एथलीट्स के लिए नया नियम, हर हाल में करवाना होगा जेंडर टेस्ट, वरना…

वर्ल्ड एथलेटिक्स काउंसिल ने वर्ल्ड रैंकिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली महिला एथलीटों के लिए एक नया नियम लागू किया है. ये नियम 1 सितंबर 2025 से लागू होंगे और 13 सितंबर से शुरू होने वाली टोक्यो में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप पर प्रभावी होंगे. जिसके तहत 1 सितंबर 2025 से सभी महिला प्रतियोगियों को SRY जीन टेस्ट से गुजरना होगा. यह टेस्ट चीक स्वैब या ब्लड सैंपल के जरिए होगा और इसका मकसद महिला बनकर कॉम्पटीशन में हिस्सा लेने वाली खिलाड़ियों को रोकना है.

महिला एथलीट्स को करवाना होगा जेंडर टेस्ट

नए नियमों के तहत, महिला कैटेगरी में भाग लेने वाली सभी एथलीटों को SRY जीन टेस्ट से गुजरना होगा. इसे चीक स्वैब या ब्लड टेस्ट के जरिए किया जाएगा. एथलीट अपनी सुविधा के अनुसार टेस्ट चुन सकती हैं. यह टेस्ट जीवन में केवल एक बार करवाना होगा. जो खिलाड़ी इस टेस्ट से नहीं गुजरेगी, वह वर्ल्ड रैंकिग चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाएंगी. वर्ल्ड एथलेटिक्स के अध्यक्ष सेबेस्टियन कोए ने इस कदम को एथलेटिक्स में ज्य्दा महिलाओं को आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.

वर्ल्ड एथलेटिक्स के अध्यक्ष सेबेस्टियन कोए ने कहा, ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स में महिलाओं के खेल की अखंडता की रक्षा करना हमारा लक्ष्य है. हमारा मानना ये है कि अगर कोई महिला खिलाड़ी खेलों में आए तो उसे यह विश्वास होना चाहिए कि वहां बायोलॉजिकल बाधा नहीं होगी. बायोलॉजिकल जेंडर की पुष्टि करना एक बड़ा कदम है. हम साफ कह रहे हैं कि एलीट स्तर पर, महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने के लिए, आपको जैविक रूप से महिला होना जरूरी है. मेरे और वर्ल्ड एथलेटिक्स परिषद के लिए यह हमेशा से स्पष्ट रहा है कि लिंग, जैविक रूप से महिला होने से ऊपर नहीं हो सकता.

पेरिस ओलंपिक 2024 में भी मचा था बवाल

अल्जीरिया की बॉक्सर ईमान खेलीफ और उनका जेंडर पेरिस ओलंपिक 2024 में काफी चर्चा में रहा था. खेलीफ पर आरोप लगे कि वो बायोलॉजिकल मेल हैं यानी उनका जन्म पुरुष के रूप में हुआ था लेकिन वो महिलाओं की कैटेगरी में लड़ रही थीं. पूरी दुनिया में इस पर हल्ला मचा लेकिन ओलंपिक कमेटी ने उनका सपोर्ट किया और IBA की टेस्टिंग पर सवाल खड़े किए. आखिर में खेलीफ ने ही अपनी कैटेगरी का गोल्ड मेडल जीता था.

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