International Yoga Day विशेष - योग के प्रकार और उनकी विशेषताएँ

वर्ल्ड योगा डे (World Yoga Day) के लिए कुछ प्रमुख कीवर्ड्स का संक्षेप में वर्णन दिया गया है International Yoga Day विशेष - योग के प्रकार और उनकी विशेषताएँ

Jun 20, 2024 - 19:06
Jun 20, 2024 - 19:49
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International Yoga Day  विशेष -  योग के  प्रकार और उनकी विशेषताएँ
शारीरिक आसनों और प्राणायाम

योग के कई प्रकार होते हैं, और ये विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों, शारीरिक क्रियाओं और मानसिक स्थितियों के अनुसार वर्गीकृत किए गए हैं। नीचे योग के प्रमुख प्रकार और उनकी जानकारी दी गई है

योग कई तरह से हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यहाँ कुछ कारण दिए जा रहे हैं जिनके कारण योग करना चाहिए

योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को सुधारने और सुखी जीवन को प्राप्त करने के लिए विभिन्न तकनीकों और अभ्यासों का अध्ययन करता है। योग के माध्यम से मानव अपने शरीर, मन, और आत्मा को संयोजित करके एक स्थिर, शांत और स्वस्थ जीवन जी सकता है। योग का अर्थ होता है "मिलान" या "एकत्रीकरण"।

प्रमुख योग के प्रकार:

  1. हठ योग (Hatha Yoga):

    • शारीरिक आसनों और प्राणायाम (सांस लेने की तकनीक) पर आधारित।
    • शरीर और मन की स्थिरता और शुद्धि के लिए।

हठ योग शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त करने के लिए आसनों (योग मुद्राएँ), प्राणायाम (सांस नियंत्रण), और ध्यान का संयोजन है। इसे करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. वार्म-अप: शरीर को तैयार करने के लिए हल्की स्ट्रेचिंग करें।
  2. आसन: विभिन्न योग मुद्राएँ करें जैसे सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, भुजंगासन आदि। प्रत्येक मुद्रा को धीरे-धीरे करें और थोड़ी देर के लिए रोकें।
  3. प्राणायाम: नाड़ी शोधन, कपालभाति, और भ्रामरी जैसे सांस नियंत्रण तकनीकों का अभ्यास करें।
  4. ध्यान: एक आरामदायक मुद्रा में बैठकर ध्यान करें, मन को शांत करें और ध्यान केंद्रित करें।
  5. शवासन: अंत में शवासन करें, पूरे शरीर को आराम दें और योग सत्र को समाप्त करें।

  1. राज योग (Raja Yoga):

    • ध्यान और मानसिक अनुशासन पर केंद्रित।
    • पतंजलि के अष्टांग योग का पालन करता है।

राज योग आत्मा की उच्चतम स्थिति प्राप्त करने के लिए ध्यान और मानसिक अनुशासन पर केंद्रित है। इसे करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. शांत स्थान चुनें: एक शांत और स्थिर वातावरण में बैठें।
  2. आरामदायक मुद्रा: पद्मासन या सुखासन में बैठें।
  3. मंत्र जप: "ओम" का उच्चारण करें या कोई ध्यान मंत्र जपें।
  4. ध्यान: आँखें बंद करें और ध्यान केंद्रित करें। मन को वर्तमान क्षण में लाएं।
  5. प्राणायाम: गहरी और नियंत्रित श्वास लें, प्राणायाम करें।
  6. आत्मनिरीक्षण: मन की चंचलता को नियंत्रित करें और आत्मा पर ध्यान केंद्रित करें।
  7. समाधि: आत्मा की उच्चतम स्थिति का अनुभव करने का प्रयास करें।
  8. नियमित अभ्यास से मानसिक शांति और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है।

  9. कर्म योग (Karma Yoga):

    • निःस्वार्थ सेवा और कर्म पर आधारित।
    • जीवन के कर्मों को भगवान की भक्ति के रूप में करने की शिक्षा देता है।

कर्म योग निष्काम कर्म (बिना फल की इच्छा के कर्म) पर आधारित है। इसे करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. सद्भावना: सभी कर्म प्रेम, करुणा और सेवा की भावना से करें।
  2. निष्कामता: कर्म करते समय फल की इच्छा न करें। परिणाम की चिंता छोड़ दें।
  3. धर्म का पालन: अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का पालन करें।
  4. ध्यान: अपने मन को स्थिर और शांत रखें। कर्म करते समय भी ध्यानस्थ रहें।
  5. स्वार्थहीनता: दूसरों की भलाई के लिए कार्य करें, अपने लाभ के लिए नहीं।
  6. समर्पण: अपने सभी कर्म ईश्वर को समर्पित करें, स्वयं को माध्यम मानें।

इससे मन की शांति, संतोष और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

  1. भक्ति योग (Bhakti Yoga):

    • भक्ति और ईश्वर के प्रति प्रेम पर आधारित।
    • प्रार्थना, कीर्तन और पूजा के माध्यम से।
  2. ज्ञान योग (Jnana Yoga):

    • ज्ञान और विवेक पर आधारित।
    • आत्मा और ब्रह्मांड के सत्य को जानने की प्रक्रिया।
  3. अष्टांग योग (Ashtanga Yoga):

    • पतंजलि के योग सूत्रों के अनुसार आठ अंगों (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि) पर आधारित।
  4. कुंडलिनी योग (Kundalini Yoga):

    • कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने पर केंद्रित।
    • ध्यान, प्राणायाम और मंत्रों का उपयोग करता है।
  5. विन्यास योग (Vinyasa Yoga):

    • सांस और गति का तालमेल।
    • एक आसन से दूसरे में प्रवाहमय परिवर्तन।

कुल योग आसन:

योग में हजारों आसन होते हैं, लेकिन पारंपरिक और मुख्य आसनों की संख्या लगभग 84 मानी जाती है। विभिन्न योग गुरुओं और परंपराओं के अनुसार, ये संख्या बढ़ भी सकती है।

प्रमुख आसन:

कुछ प्रमुख योग आसनों के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. शवासन (Shavasana) - विश्राम के लिए

शवासन (Corpse Pose) को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. स्थान: एक शांत और आरामदायक जगह चुनें। योग मैट या किसी नर्म सतह पर लेटें।
  2. स्थिति: पीठ के बल सीधे लेटें। हाथ शरीर के दोनों ओर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर रहें।
  3. पैर: पैरों को आराम से फैलाएं, पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें। पैर के अंगूठे स्वाभाविक रूप से बाहर की ओर गिरने दें।
  4. शरीर: पूरे शरीर को ढीला छोड़ें, कोई तनाव न रखें।
  5. श्वास: धीरे-धीरे और गहरी सांस लें, सांस को सामान्य बनाए रखें।
  6. ध्यान: शरीर के प्रत्येक अंग पर ध्यान केंद्रित करें, क्रमशः सिर से पैर तक। प्रत्येक अंग को पूरी तरह से आराम दें।
  7. समाप्ति: कुछ मिनट बाद, धीरे-धीरे उंगलियों और पैर की उंगलियों को हिलाएं। हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर शरीर को स्ट्रेच करें। धीरे-धीरे एक तरफ करवट लेकर बैठने की स्थिति में आएं।

शवासन को 5-15 मिनट तक करें, यह शरीर और मन को गहरा विश्राम देता है।

  1. ताड़ासन (Tadasana) - खड़े होकर किए जाने वाला आसन

ताड़ासन खड़े होकर किया जाता है। पैरों को समेटें और हथेलियों को ऊपर उठाएं। सीधे खड़े रहें, सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर फैलाएं। नाभि को अंदर की ओर दबाएं और ध्यान रखें। सांस बाहर छोड़ें और 20-30 सेकंड तक धरना बनाए रखें।

  1. अधोमुखश्वानासन (Adho Mukha Svanasana) - कुत्ते की मुद्रा

अधोमुखश्वानासन योगासन का एक प्रमुख रूप है जिसे फ्लो और ध्यान के लिए अच्छाई से जाना जाता है। इसे पूरी तरह से फ्लोर पर बेल्ट किए हुए करें। पैरों को ऊपर और हथेलियों को आराम से रखें। हिप्स को ऊपर करें और अपने माथे को फ्लोर से लगाएं। आंखें बंद करें और सांस को ध्यान से लें।

  1. भुजंगासन (Bhujangasana) - कोबरा पोज़
  2. वृक्षासन (Vrikshasana) - वृक्ष मुद्रा
  3. सर्वांगासन (Sarvangasana) - सभी अंगों का आसन
  4. धनुरासन (Dhanurasana) - धनुष मुद्रा
  5. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana) - बैठकर आगे की ओर झुकना
  6. त्रिकोणासन (Trikonasana) - त्रिकोण मुद्रा
  7. बालासन (Balasana) - बच्चे की मुद्रा

योग के कई प्रकार और आसन होते हैं, जो शरीर, मन और आत्मा की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार विभाजित हैं। प्रत्येक प्रकार का योग अपने आप में अद्वितीय और महत्वपूर्ण है।

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