स्वामी दयानन्द जयन्ती | Swami Dayanand Jayanti 2024 |

महर्षि दयानन्द सरस्वती सैंकड़ों वर्षों की पराधीनता ने भारतीय जनमानस को अपने 'स्वत्व बोध' और 'राष्ट्रीय गौरव' का विस्मरण करा दिया था।

Mar 5, 2024 - 13:30
Mar 5, 2024 - 13:30
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स्वामी दयानन्द जयन्ती | Swami Dayanand Jayanti 2024 |

स्वामी दयानन्द जयन्ती | Swami Dayanand Jayanti 2024 |

महर्षि दयानन्द सरस्वती सैंकड़ों वर्षों की पराधीनता ने भारतीय जनमानस को अपने 'स्वत्व बोध' और 'राष्ट्रीय गौरव' का विस्मरण करा दिया था। विदेशी आक्रमणकारियों के प्रभाव से भारतीय समाज अनेक कुरीतियों के कुचक्र में फंस चुका था। ऐसे समय में 12 फरवरी 1824 'फाल्गुन कृष्ण दशमी' के दिन एक ऐसे महापुरुष का आविर्भाव हुआ जिसने वर्षों से सोये समाज को गहरी नींद से झंझोड़कर उठाया और भारत माता को विदेशी दासता से मुक्त कराने का मार्ग प्रशस्त किया। वह महापुरुष महर्षि दयानन्द सरस्वती थे। 

फाल्गुन कृष्ण दशमी 'वेदों की ओर लौटो' का सन्देश देकर भारतीयों को 'स्वत्व' का बोध कराने वाले मनीषी स्वराज, स्वभाषा और स्वदेशी के स्वप्नदृष्टा भारत की संन्यास परम्परा के ध्वजावाहक आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

महर्षि दयानन्द सरस्वती महर्षि दयानन्द सरस्वती को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि 1857 के भारतीय स्वातंत्र्य समर के वे प्रमुख सूत्रधार थे, इस सम्बन्ध में वे निरंतर देशाटन कर क्रान्तिकारियों, स्वाधीनता सेनानियों और राजा-महाराजाओं से गुप्त मंत्रणा करते रहे थे। भारत के अनेक क्रान्तिकारी और स्वाधीनता सेनानियों ने महर्षि दयानन्द से ही प्रेरणा ली थी।

महर्षि दयानन्द सरस्वती स्वामी दयानन्द ने विद्वानों के साथ शास्त्रार्थ परम्परा द्वारा धार्मिक पाखण्ड से समाज को मुक्त किया, उनके उपदेशों एवं उनके द्वारा विरचित अनेक ग्रंथों ने भारतीय समाज को अपनी जड़ों से जोड़ दिया, 'वेदों की ओर लौटो का उद्घोष करने वाले स्वामीजी ने भारतीय समाज को अपने मूल से जोड़ने हेतु 'आर्य समाज' की स्थापना की, जिसने भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

स्वामी दयानन्द जयन्ती | Swami Dayanand Jayanti 2024 | महर्षि दयानन्द सरस्वती सैंकड़ों वर्षों की पराधीनता ने भारतीय जनमानस को अपने 'स्वत्व बोध' और 'राष्ट्रीय गौरव' का विस्मरण करा दिया था। विदेशी आक्रमणकारियों के प्रभाव से भारतीय समाज अनेक कुरीतियों के कुचक्र में फंस चुका था। ऐसे समय में 12 फरवरी 1824 'फाल्गुन कृष्ण दशमी' के दिन एक ऐसे महापुरुष का आविर्भाव हुआ जिसने वर्षों से सोये समाज को गहरी नींद से झंझोड़कर उठाया और भारत माता को विदेशी दासता से मुक्त कराने का मार्ग प्रशस्त किया। वह महापुरुष महर्षि दयानन्द सरस्वती थे।

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