स्वामीनारायण जी के प्रेरणादायक जीवन
स्वामीनारायण जी के प्रेरणादायक जीवन की चर्चा और उनके संदेश आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
भगवान स्वामीनारायण के जीवन की कहानी एक अद्वितीय प्रेरणादायक उदाहरण है। उनका नाम घनश्याम था, जिन्होंने इस संसार में अपने अद्भुत अद्वितीय गुणों और विचारों के माध्यम से अमूल्य धार्मिक विरासत छोड़ी।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान स्वामीनारायण जयंती भी मनाई जाती है। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, श्री स्वामीनारायण का जन्म अयोध्या के पास स्थित छप्पय गांव में 3 अप्रैल 1781 को चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन हुआ था। भगवान स्वामीनारायण का दुनियाभर में मंदिर है। भगवान स्वामीनारायण का नाम घनश्याम था। आइए जानते हैं कि घनश्याम नाम का एक लड़का कैसे भगवान स्वामीनारायण बन गया?
स्वामीनारायण ने बचपन से ही ज्ञान की खोज में अपना जीवन अर्पित कर दिया। उन्होंने अपने पाठकों को धर्म के महत्व, नैतिकता, और सेवा के महत्व के बारे में सिखाया। उनकी सीखें और दिशा सभी के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बनी।
उन्होंने अपने जीवन में कई मानवीय और आध्यात्मिक मुद्दों को हाल किया। उनका संदेश था कि सभी मनुष्य एक होते हैं और भगवान के प्रति प्रेम और सेवा के माध्यम से सच्चे धर्म का अनुसरण करें। हिंदू धर्म में कई संप्रदाय हैं, जिनमें स्वामीनारायण संप्रदाय भी बहुत खास है। दरअसल, स्वामीनारायण के अनुयायी वैष्णव संप्रदाय के ही अनुयायी है। इस संप्रदाय के लोग कृष्णावतार को सर्वोच्च भगवान मानते हैं। भगवान स्वामीनारायण ने ही इस संप्रदाय की स्थापना की थी। उन्होंने एक योगी, तपस्वी और श्रीकृष्ण भक्त के रूप में अपना जीवन बिताया।
स्वामीनारायण जी के प्रेरणादायक जीवन की चर्चा और उनके संदेश आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनकी आध्यात्मिक उपदेशों और कार्यों ने न केवल धार्मिक जीवन में परिवर्तन लाया बल्कि समाज के साथ-साथ व्यक्तिगत और सामाजिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सात साल तक देशभर का भ्रमण किया। अब स्वामीनारायण को लोग नीलकंठ वर्णी कहने लगे। कुछ समय बाद स्वामी रामानंद ने उनको दीक्षा दी और उनका सहजानंद नाम रख दिया। एक साल बीतने के बाद रामानंद ने सहजानंद को अपने सम्प्रदाय का आचार्य पद भी दे दिया। स्वामी रामानंद के देहांत के बाद सहजानंद गांव-गांव जाकर नारायण मंत्र का जप करने और भजन करने के लिए लोगों को प्रेरणा देने लगे।
स्वामीनारायण जयंती के इस अवसर पर, हमें उनके जीवन और संदेश को याद करने का अवसर मिलता है, और उनके मार्गदर्शन में चलने का प्रण करना चाहिए। उनकी उपदेशों को अपनाकर, हम सभी एक उज्ज्वल, सच्चे, और सही दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
What's Your Reaction?