मनीषा रावत की सफलता की कहानी: 10 हजार से शुरू कर बनाई 30 लाख की कंपनी | रायबरेली की बेटी बनी आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

रायबरेली की मनीषा रावत ने महज 10 हजार रुपये उधार लेकर चॉकलेट और केक बनाने का व्यवसाय शुरू किया। तीन साल में 30 लाख टर्नओवर की कंपनी खड़ी कर पीएम मोदी से सम्मान पाया। जानिए उनकी प्रेरणादायक सफलता की कहानी।

Apr 11, 2025 - 06:27
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मनीषा रावत की सफलता की कहानी: 10 हजार से शुरू कर बनाई 30 लाख की कंपनी | रायबरेली की बेटी बनी आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

उधार के दस हजार रुपये... और 30 लाख टर्नओवर की कंपनी  रायबरेलीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वचन के बाद जब दीर्घा से भरपूर करतल ध्वनि गूंजी तो मनीषा रावत के सामने यहां तक पहुंचने की तीन वर्षीय यात्रा एक चलचित्र की तरह घूम गई। प्रधानमंत्री आवास में सम्मान प्राप्त करने तक की मनीषा की यह यात्रा में उनके परिश्रम, लगन और युक्ति  के साथ ही ताने से भरी है।

कभी दस हजार रुपये उधार लेकर बेकरी का काम शुरू करने वाली मनीषा ने महज तीन वर्ष में 30 लाख टर्न ओवर की कंपनी खड़ी कर दी। केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल, 2015 को सूक्ष्म व लघु उद्यमों के वित्तपोषण के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की थी। इसके 10 वर्ष पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते सात अप्रैल को अपने आवास पर योजना के 48 लाभार्थियों को निमंत्रित किया था। इन नव उद्यमियों में शामिल रायबरेली के मुहल्ले बहराना की मनीषा दूसरी युवतियों के लिए प्रेरणा बनकर उभरी हैं। आज वह दो दर्जन युवक-युवतियों के लिए रोजगार का माध्यम हैं।


मनीष बताती हैं कि 2017 में पिता की मृत्यु के बाद परिवार पर  आर्थिक संकट आ गया। दो बहनों में बड़ी मनीषा पर परिवार को संभालने की जिम्मेदारी आ गई। 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने रोजगार के लिए घर की दहलीज लांघी। एक हर्बल कंपनी में नौकरी की। लोगों की फब्तियां तो कभी समाज का भेदभाव झकझोर रहा था, लेकिन परिवार को पालने की जिम्मेदारी कंधों पर थी। आठ हजार रुपये में परिवार चलाना मुश्किल था। बहन की पढ़ाई, मां की दवा व काम के साथ खुद की पढ़ाई का खर्च के लिए पैसा कम पड़ रहा था। मनीषा ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन संघर्ष से मुंह नहीं मोड़ा। फरवरी, 2023 में उन्होंने खुद का व्यवसाय करने की ठानी। बचपन से ही किचन में कुछ नया बनाने का शौक था। मन में चाकलेट व केक बनाने की इच्छा जागी। यू ट्यूब से केक व चाकलेट बनाना सीखा। इधर-उधर से दस हजार रुपये उधार लेकर बहन के सहयोग से काम शुरू किया। उत्पाद बेचने के लिए मनीषा ने इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया। वाट्सएप पर आर्डर लेकर तैयार करती थीं।


लांच की चोको कम टू कंपनीः मई, 2023 में मनीषा ने एक कंपनी बनाई, जिसका नाम रखा चोको कम टू। शहर भर में होने वाले कार्यक्रमों में स्टाल लगाने शुरू कर दिए। काम के लिए मनीषा को बड़ी रकम की जरूरत थी। वह बैंक से लोन की जानकारी करने गईं, वहां पता चला कि नवाचार के लिए मुद्रा लोन मिलता है। इसके तहत बिना किसी झंझट के साढे नौ लाख का मुद्रा लोन मिल गया। इसके बाद उसके सपनों को पंख लग गए। इसी यात्रा ने मनीषा की पीएम मोदी से मुलाकात करा दी।  

रायबरेली की मनीषा रावत ने संघर्षों से लिखी अपनी किस्मत -  मुद्रा लोन के 10 वर्ष पूरा होने पर पीएम ने किया सम्मानित प्रधानमंत्री आवास पर सम्मानित होने वालों में शामिल मनीषा की मेहनत को जब मोदी ने सराहा तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। मोदी ने जब पूछा कि क्या वह चुनाव लड़ना चाहती हैं? तो इस सवाल ने मनीषा को चौंकाया, लेकिन फिर बोली नहीं, 'आपके सपनों का आत्मनिर्भर भारत बनाने की इच्छा है। मनीषा ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस आत्मनिर्भर भारत की कल्पना करते हैं, उसे आज के युवा ही पूरा कर सकते हैं। नौकरी के पीछे भागने से बेहतर है कि नौकरी देने लायक बना जाए। इंटर के आगे पढ़ाई करने के सवाल पर कहती हैं कि अभी तो व्यवसाय ही आगे बढ़ाने की इच्छा है। 

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