अन्तर्निहित एकता की बात हमारी संस्कृति में चलती आई है – डॉ. मोहन भागवत जी

कोलकाता व्याख्यानमाला  – 100 वर्ष की संघ यात्रा ‘नए क्षितिज‘ दिनांक – 21 दिसंबर, 2025, प्रथम सत्र संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त कोलकाता में आयोजित एक दिवसीय व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी के वक्तव्य के प्रमुख बिंदु – संघ के स्वयंसेवक परेड करते हैं, यदि उसकी तुलना पैरामिलिट्री से करें तो […] The post अन्तर्निहित एकता की बात हमारी संस्कृति में चलती आई है – डॉ. मोहन भागवत जी appeared first on VSK Bharat.

Dec 22, 2025 - 08:56
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अन्तर्निहित एकता की बात हमारी संस्कृति में चलती आई है – डॉ. मोहन भागवत जी

कोलकाता व्याख्यानमाला  – 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज

दिनांक – 21 दिसंबर, 2025, प्रथम सत्र

संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त कोलकाता में आयोजित एक दिवसीय व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी के वक्तव्य के प्रमुख बिंदु –

  • संघ के स्वयंसेवक परेड करते हैं, यदि उसकी तुलना पैरामिलिट्री से करें तो गलत होगा। संघ के स्वयंसेवक देश-दुनिया में सेवा के कार्य करते हैं, इसलिए संघ को केवल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन कहना उचित नहीं होगा। संघ के अनेक कार्यकर्ता राजनीतिक दल में भी कार्य करते हैं, इससे यह अर्थ लगाना कि संघ कोई पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशन है, गलत होगा।
  • संघ का कोई शत्रु नहीं, पर संघ के बढ़ने से जिनके स्वार्थ की दुकान बंद हो सकती है, वे विरोध करते हैं, झूठ फैलाते हैं।
  • हमारा प्रयास है कि संघ के बारे में जो लोगों की राय बने वह वस्तुस्थिति के आधार पर बने, किसी तीसरे सोर्स से फैलाए गए गलत नैरेटिव के आधार पर नहीं।
  • संघ की स्थापना विश्व भर में भारत की जय जयकार हो, इसलिए हुई है। विश्वगुरू बनने वाले भारत का समाज उस अनुरूप खड़ा हो, इसलिए हुई है।
  • संघ किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं चला, किसी प्रतिक्रिया में शुरू नहीं हुआ। संघ विशुद्ध रूप से हिन्दू समाज के संगठन हेतु शुरू हुआ है।
  • हमारे देश में कुशल योद्धा, शासक, बुद्धिमान होते हुए भी मुठ्ठीभर अंग्रेजों ने हम पर शासन कैसे कर लिया, यह सोचने का विषय था। 1857 की क्रांति की असफलता से यह सवाल खड़ा हुआ।
  • अन्तर्निहित एकता की बात हमारी संस्कृति में चलती आई है।
  • संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवन में देश के काम के अलावा कोई दूसरा उद्देश्य नहीं था।
  • डॉ. हेडगेवार के माता-पिता का एक ही दिन एक घंटे के अंतराल पर निधन हो गया था। तब डॉक्टर जी की आयु मात्र 11 वर्ष थी। उनके माता-पिता प्लेग के रोगियों की सेवा करते थे और उसी की चपेट में आ गए। उनके निधन के बाद डॉ. हेडगेवार ने अत्यंत निर्धनता में जीवन बिताया। पर वे मेधावी थे और कक्षा में सबसे आगे रहते थे।
  • स्वप्न में भी वन्देमातरम् को गलत कहने का विचार डॉ. हेडगेवार नहीं कर सकते थे।
  • डॉ. हेडगेवार को कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में इसलिए नहीं भेजा गया क्योंकि वे डॉक्टर बनें। उनका काम अनुशीलन समिति से संपर्क कर पश्चिम भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों का श्रीगणेश करना था।
  • डॉ. हेडगेवार ने देश के लिए नौकरी नहीं की, विवाह नहीं किया और असहयोग आंदोलनों में गाँव-गाँव गए, तो उन पर राजद्रोह का केस चला।
  • डॉ. हेडगेवार ने कभी अंग्रेज़ों की सरकार को स्वीकार नहीं किया, और उन्होंने न्यायाधीश के आगे कहा कि स्वतंत्र होना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
  • डॉ. हेडगेवार की स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं और क्रांतिकारियों से चर्चा होती रहती थी।
  • अंग्रेज़ हमें गुलाम बनाने वाले पहले नहीं थे। उससे पहले इस्लाम आया, उससे पहले शक थे, उससे पहले कुषाण थे, उससे पहले सिकंदर और हुण थे।
  • स्वार्थ और भेदरहित तथा अनुशासन के आधार पर समाज बने, तो एक गुणवत्ता आएगी।
  • दस साल के चिंतन के बाद 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की।
  • संघ का उद्देश्य किसी को नष्ट करना नहीं है।
  • संघ का जन्म डॉ. हेडगेवार के मन की व्यथा और देश की दुर्दशा के आधार पर हुआ। इसलिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना उनका उद्देश्य था।
  • व्यक्ति निर्माण के माध्यम से देशव्यापी कार्यकर्ताओंओं का संगठन खड़ाकर समाज जीवन में परिवर्तन करना संघ की कार्यपद्धित है।
  • संघ का लक्ष्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन है, किसी का विरोध करना नहीं है।
  • इस देश के लिए उत्तरदायी समाज हिन्दू समाज है।
  • अंग्रेज़ों के आने के बाद हम एक राष्ट्र बने, यह गलत अवधारणा है। भारत सनातन काल से है।
  • दुनिया में भारत के ही लोग सभी विविधताओं को स्वीकार करते हैं, सम्मान करते हैं। ये इस देश की विशेषता है।
  • हिन्दू किसी एक पूजा पद्धित, एक खानपान का नाम नहीं है। हिन्दू कोई धर्म, मजहब भी नहीं है। हिन्दू एक स्वभाव का नाम है। भारत का कोई भी व्यक्ति जो इस स्वभाव को मानता है, वह हिन्दू है। देश के कारण हम ऐसे बने, इसलिए यह हिन्दू का देश है।
  • हिन्दू सर्वसमावेशक और सबका कल्याण मानने वाले होते हैं।
  • हिन्दू नाम नहीं विशेषण है। उनकी पूजा या भाषा देशी हो अथवा विदेशी, लेकिन जो इस संस्कृति को मानता है, मातृभूमि को मानता है, वह हिन्दू है।
  • हमारी विविधता उसी एकता से निकली है। विविधता उसका श्रृंगार है।
  • वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इंडो ईरानियन प्लेट पर रहने वालों का 40 हजार वर्षों से डीएनए एक है।
  • भारतवर्ष में सभी हिन्दू हैं। भारत में रहने वाले इस दृष्टि से हिन्दू हैं – कुछ गर्व से कहते हैं हम हिन्दू हैं। कुछ कहते हैं कि कहने की क्या जरूरत, कुछ कान में कहते हैं और कुछ भूल गए हैं कि वे हिन्दू थे।
  • संपूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करने की जो कार्यपद्धित है, वह संघ की अपनी है, अनोखी है।
  • एक घंटा सब भूलकर देश के लिए चिंतन करना ही संघ की शाखा है।
  • हमें समाज का संगठन करना है, समाज के भीतर कोई प्रभावी संगठन नहीं खड़ा करना है।
  • अच्छे काम, निस्वार्थ बुद्धि से किए जाने वाले सभी कार्यों में हम सहयोग करते हैं।
  • संघ से तैयार हुए स्वयंसेवक समाज के हर क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। अच्छे काम के लिए संघ सबको सहायता करता है।    #RSS100Years
    #শতায়ু_সঙ্ঘ

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