नई सौर ऊर्जा राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र व तमिलनाडु से सोलर वेस्ट

देश ने 2030 तक लगभग 292 गीगावॉट सौर क्षमता हासिल करने की योजना बनाई है। इस वजह से पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक कारणों से सोलर

Mar 21, 2024 - 20:23
Mar 21, 2024 - 21:13
 0
नई सौर ऊर्जा राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र व तमिलनाडु से  सोलर वेस्ट

वर्ष 2030 तक सोलर वेस्ट 600 किलो टन पहुंचेगा

  • शोधकर्ता बोले- ऊर्जा सुरक्षा के लिए रिसाइक्लिंग की मजबूत व्यवस्था होना बेहद जरूरी
  • 720 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को भरने के बराबर होगा सोलर वैस्ट
  • सोलर वेस्ट का सर्वाधिक हिस्सा राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र व तमिलनाडु से आने का अनुमान

नेट-जीरो लक्ष्य पाने के लिए देश अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। हालांकि, आने वाले वर्षों के लिए सोलर वेस्ट भविष्य में स्वच्छ पर्यावरण को लेकर चिंता की लकीर खींच रहा है।

सरकार ने जारी की नई सौर ऊर्जा नीति, किसानों को 96 प्रतिशत सब्सिडी पर  मिलेंगे सोलर पम्प - Kisan Samadhan
मौजूदा और नई सौर ऊर्जा क्षमता को देखते हुए वित्त वर्ष 2023-24 और 2029-30 के बीच स्थापित क्षमता से निकलने वाला सोलर वेस्ट 2030 तक 600 किलो टन तक पहुंच सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह 720 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को भरने के बराबर है। सोलर वेस्ट का सर्वाधिक हिस्सा राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु राज्य से आने का अनुमान है। ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि बढ़ते सोलर वेस्ट की रिसाइक्लिंग की मजबूत व्यवस्था करना बेहद जरूरी है। 

अध्ययन में सामने आया है कि इसमें लगभग 10 किलो टन सिलिकॉन, 12-18 टन चांदी और 16 टन कैडमियम व टेल्यूरियम शामिल है, जो देश के लिए  महत्वपूर्ण खनिज हैं। वहीं, 260 किलो टन सोलर वेस्ट इस दशक में स्थापित होने वाली नई सौर ऊर्जा क्षमता से आएगा। यह सोलर सेक्टर में सर्कुलर इकोनॉमी के एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभरने और सोलर सप्लाई चेन में लचीलापन सुनिश्चित करने का अवसर है। यह बातें काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ओर से किए गए अध्ययन 'इनेबलिंग ए सर्कुलर इकोनॉमी इन इंडियाज सोलर इंडस्ट्रीः एसेसिंग द सोलर वेस्ट क्वांटम' में सामने आई हैं।

सौर ऊर्जा के व्यापार में आप बना सकते हैं अपना करियर

पर्यावरणीय कारणों के लिए उठाने होंगे कदम 

अध्ययन में बताया गया है कि देश ने 2030 तक लगभग 292 गीगावॉट सौर क्षमता हासिल करने की योजना बनाई है। इस वजह से पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक कारणों से सोलर पीवी वेस्ट का प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाएगा। सीईईडब्ल्यू के इस अध्ययन ने पहली बार विनिर्माण को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों से निकलने वाले सोलर वेस्ट का आकलन किया है। बीते वर्ष पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने सोलर पीवी सेल्स और मॉड्यूल वेस्ट के प्रबंधन के लिए ई-वेस्ट (मैनेजमेंट) रूल्स-2022 जारी किया था।

स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आखिर क्यों पिछड़ रहा है झारखंड?

ये नियम सोलर पीवी सेल्स और मॉड्यूल के उत्पादकों पर विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) ढांचे के तहत उनके सोलर वेस्ट के प्रबंधन की जिम्मेदारी डालते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि पर्यावरणीय अनिवार्यता के साथ ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने व सोलर वेस्ट के समाधान के लिए कदम उठाने चाहिए। सीईईडब्ल्यू की सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा कि अक्षय ऊर्जा ईको सिस्टम को सुरक्षित बनाती है। वहीं, ग्रीन जॉब्स (हरित रोजगार) पैदा करती है, खनिज सुरक्षा और नवाचार को बढ़ाती है और लचीली व सर्कुलर सप्लाई चेन को तैयार करती है 

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

सम्पादक देश विदेश भर में लाखों भारतीयों और भारतीय प्रवासियों लोगो तक पहुंचने के लिए भारत का प्रमुख हिंदी अंग्रेजी ऑनलाइन समाचार पोर्टल है जो अपने देश के संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं। https://bharatiya.news/ आपको अपनी आवाज उठाने की आजादी देता है आप यहां सीधे ईमेल के जरिए लॉग इन करके अपने लेख लिख समाचार दे सकते हैं. अगर आप अपनी किसी विषय पर खबर देना चाहते हें तो E-mail कर सकते हें newsbhartiy@gmail.com