सीमा पर आतंक नहीं सहेगा भारत, पाक करे रिश्तों पर फैसला : जयशंकर
जयशंकर के शब्दों में, हर देश पड़ोसी देश से बेहतर रिश्ता चाहता है। पाक के साथ मुख्य मुद्दा सीमा पार आतंकवाद ही है। यह पाकिस्तान को फैसला करना है कि उसे भारत के साथ कैसा रिश्ता रखना है।
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सीमा पर आतंक नहीं सहेगा भारत, पाक करे रिश्तों पर फैसला : जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा, वर्ष 2014 के बाद भारत सहन नहीं करता सीमा पार आतंकवाद
एक्सक्लूसिव एलएसी पर तनाव का बने रहना न तो भारत के हित में, नही चीन के दिल्लीः पिछले कुछ दिनों के दौरान पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ की भतीजी, पूर्व पीएम नवाज शरीफ की बेटी व पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की बात कही। इसके पहले विदेश मंत्री ईशाक दार ने ऐसे ही संकेत दिए थे। एक दिन पहले शहबाज शरीफ के सामने पाकिस्तान के उद्योगपतियों ने भारत से रिश्ते सुधारने की गुहार लगाई है, ताकि देश की आर्थिक दुर्दशा को सुधारा जा सके। ऐसे में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि हमारे लिए सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा बहुत ही अहम है। भारत के के साथ रिश्ते कैसे रखना है, इस बारे में पाक को फैसला करना होगा। उनका संदेश साफ है कि सीमा पार आतंकवाद पर कार्रवाई करके ही पाकिस्तान भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की बात कर सकता है।
एक विशेष साक्षात्कार में जयशंकर ने चीन और पाक के साथ भारत के मौजूदा रिश्ते और इसके भविष्य पर बेबाकी से बात की। उन्होंने कहा, 2014 के बाद से सीमा पार आतंकवाद को सहने की भारत की नीति बदल चुकी है। भारत ने पाक को समझाने की कोशिश की है कि एक तरफ भारत से सहयोग की बात और दूसरी तरफ आतंकवाद को समर्थन अब नहीं चलेगा। इस वजह से ही दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है।
जयशंकर के शब्दों में, हर देश पड़ोसी देश से बेहतर रिश्ता चाहता है। पाक के साथ मुख्य मुद्दा सीमा पार आतंकवाद ही है। यह पाकिस्तान को फैसला करना है कि उसे भारत के साथ कैसा रिश्ता रखना है। उसे अपने पुराने रवैये पर विचार करना चाहिए और सोचना चाहिए कि इससे उनके हित कितने प्रभवित हुए हैं। अभी तक तो यह साफ हो जाना चाहिए कि इसका क्या असर हुआ है। चीन के साथ संबंधों के बारे में विदेश मंत्री ने कहा, भारत अपने राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। साथ ही चीन को यह समझना होगा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव का बने रहना न तो भारत के हित में है न चीन के, लेकिन भारत का रुख आगे भी इसी बात पर निर्भर करेगा कि चीन एलएसी पर तनाव दूर करने के लिए क्या कदम उठाता है।
जयशंकर ने कहा, चीन व भारत ही दो ऐसे देश हैं, जहां की आबादी सौ करोड़ से ज्यादा है। हम पुरानी सभ्यताएं हैं। यदि हमारे रिश्ते स्थिर व सकारात्मक होते तो यह अच्छी बात होती, पर यह सिर्फ एक दूसरे के प्रति आदर-भाव रखने और सीमा पर अमन-शांति स्थापित करने से ही संभव है। 2020 में जब भारत की सीमा के पास चीन ने बड़ी संख्या में सैन्य बल तैनात किया था, वो दोनों देशों के बीच के कई समझौतों का उल्लंघन था। भारत के पास इससे मुकाबले की क्षमता भी है और दृढ़ निश्चत भी। हमने
ऐसा किया भी है। हमने चीन को साफ संदेश दे दिया है कि सीमा पर शांति के बगैर रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। अभी दोनों देशों के बीच जो हालात है, उसे सामान्य नहीं कहा जा सकता।
आतंक पर कार्रवाई हो, लेकिन नागरिकों पर हमला टाला जाए
मध्य पूर्व क्षेत्र में इजरायल-हमास और ईरान-इजरायल के बीच युद्ध से बने तनाव पर भारत नजर बनाए हुए है। जयशंकर ने बताया कि पीएम और विदेश मंत्रालय के स्तर पर उस क्षेत्र के नेताओं के साथ लगातार संपर्क बनाकर रखा गया है। भारत स्पष्ट तौर पर आतंकवाद के खिलाफ है, पर यह भी मानता है कि जब आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई हो तो हमलों में नागरिकों को होने वाले जान- माल की हानि को टालना भी जरूरी है। गाजा की मौजूदा स्थिति में भारत मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने के लिए विशेष कारिडोर बनाये जाने के पक्ष में है। साथ ही भारत इजरायल व फलस्तीन दो देश बनाये जाने की नीति का समर्थन करता है। यही इस समस्या का हल है।
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