कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स का मुद्दा गर्माया
न्यथा अकेले हिंदू मठ-मंदिरों की आय पर टैक्स लेने को लेकर ऐसा कदम नहीं उठाया जाता। हालांकि कांग्रेस विधेयक के पीछे बड़े हिंदू मठों व मंदिरों की आय की एक हिस्सा लेकर उससे दूसरे मठ-मंदिरों की संवारने का तर्क दे रही है।
कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स का मुद्दा गर्माया
राज्य की कांग्रेस सरकार ने मठ-मंदिरों पर टेक्स का विल पारित कराया, राज्यपाल ने लौटाया
बैंगलुरूः कांग्रेस पर बहुसंख्यक समाज का धन और संपत्ति को छीनकर दूसरों के बीच बांटने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोपों पर कांग्रेस पार्टी सहित समूचा विपक्ष भले ही सफाई देने में जुटा है, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की एक पहल पर विवाद तेज होता जा रहा है। इस पहात से जुड़े विधेयक को राज्यपाल ने भेदभावपूर्ण बताते हुए लागू नहीं होने दिया, अन्यथा राज्य के हिंदू मठ-मंदिरों को आय पर अच्छा- खासा टैक्स लगाने पूरी तैयारी कर ली गई थी। इस विधेयक के तहत मठ-मंदिरों को अपनी आय को निर्माण वा दूसरे किसी कार्य पर खर्च करने पर भी अंकुश लगा दिया गया था।
इसके लिए उन्हें राज्य सरकार से अनुमति लेना जरूरी कर दिया गया था। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस तुष्टीकरण को राजनीति कर रही है और मंदिरों के राजस्व पर टैक्स लगाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है, वहीं कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि यह कानून नया नहीं है, बल्कि पुराना है। चुनाव को देखते हुए फिलहाल राज्यपाल के इस कदम पर राज्य सरकार ने चुप्पी ओड़ ली है, लेकिन पीएम मोदी की टिप्पणी के बाद भाजपा इस मुद्दे को नए सिरे से बार देने में जुट गई है। उसका कहना है कि यह सनातन और हिंदू-मंदिरों पर सीचा हमाता है।
अन्यथा अकेले हिंदू मठ-मंदिरों की आय पर टैक्स लेने को लेकर ऐसा कदम नहीं उठाया जाता। हालांकि कांग्रेस विधेयक के पीछे बड़े हिंदू मठों व मंदिरों की आय की एक हिस्सा लेकर उससे दूसरे मठ-मंदिरों की संवारने का तर्क दे रही है। यह बात अलग है कि कर्नाटक सरकार के इस विधेयक को लेकर शुरू से ही खूब विरोध हुआ, बावजूद इसके सरकार अपने रुख पर कायम रही। सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा से एक बार नहीं, बल्कि दो बार पारित किया। पहली बार विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद विधान परिषद में गिर गया था। इसके बाद सरकार इसे फिर से विधानसभा में लेकर आयी और पारित किया। रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में मौजूदा समय में करीब 37 ऐसे मठ और मंदिर है, जिनकी सालाना आय एक करोड़ से अधिक है, वहीं दस लाख से ज्यादा सालाना आय वाले मठ-मंदिरों की संख्या तीन सौ से अधिक है।
कांग्रेस और भाजपा में ठनी इस विधेयक को लेकर भाजपा कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हिंदू विरोधी नीतियां लागू करने का आरोप लगा चुकी है। जबकि कांग्रेस का कहना है कि इसी तरह के प्रविधान 2003 से लागू हैं। कर्नाटक सरकार के एक का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा मठ-मंदिरों और हिंदू हितों की रक्षा की है। कर्नाटक के लोग भाजपा की चालों को अच्छी तरह से जानते हैं और इस लोकसभा चुनाव में जनता अपना असंतोष व्यक्त कर जवाब भी देगी। कहीं भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस सरकार मंदिर के पैसों से अपना खाप्ती खजाना भरना चाहती है। बता दें, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में वक्फ संपत्ति, मंगलुरु में हज भवन और इसाई समुदाय के विकास के लिए 330 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, वहीं उसे कर्नाटक के प्रमुख मंदिरों से हर वर्ष औसतन 450 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। राज्यपाल ने इस आधार पर लौटायाः
राज्यपाल ने राज्य सरकार से पूछा है कि हिंदू मठ मंदिरों की तरह किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थलों की आय को भी इस तरह हथियाने के लिए कोई कानून विचाराधीन है क्या? राजभवन के सूत्रों की मानें तो राज्यपाल धावरचंद गहलोत ने इस मामले में संबंधित विभाग के अधिकारियों को तलब भी किया था। उनका मानना था कि जब दूसरे धर्म के पूजा स्थलों पर इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है तो फिर हिंदू धर्म के मठ और मंदिरों पर क्यों। इसके साथ ही इससे जुड़ा एक मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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