बाबासाहेब आंबेडकर के सपनों का भारत

डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता, महान समाज सुधारक और दलितों के मसीहा थे। उन्होंने जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और सामाजिक न्याय, समानता व शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। जानिए उनके जीवन, विचारों और योगदान के बारे में। बाबासाहेब के सपनों का भारत, India of Babasaheb Ambedkar dreams  डॉ. आंबेडकर, भीमराव आंबेडकर, बाबासाहेब आंबेडकर, आंबेडकर जयंती, संविधान निर्माता, भारतीय संविधान, दलितों के मसीहा, समाज सुधारक, आंबेडकर विचारधारा, जाति प्रथा के विरोधी, बौद्ध धर्म, आंबेडकर आंदोलन, सामाजिक न्याय, आरक्षण नीति, भारत रत्न डॉ. आंबेडकर, आंबेडकर की जीवनी, आंबेडकर के विचार, डॉ. आंबेडकर का इतिहास, डॉ. आंबेडकर का योगदान, आंबेडकर और संविधान, भारतीय समाज सुधारक, आंबेडकर के अनमोल विचार, डॉ. आंबेडकर पर निबंध

Apr 14, 2025 - 06:22
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बाबासाहेब आंबेडकर  के सपनों का भारत

बाबासाहेब के सपनों का भारत 

हम सभी डा. आंबेडकर के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लें तो यह देश की इस महान विभूति के प्रति हमारी सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी 

हमारे संविधान निर्माता एवं अग्रणी राष्ट्र-निर्माताओं में से एक बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर जी की आज 135वीं जन्म जयंती है। बाबासाहेब ने दलितों एवं वंचितों के उत्थान के लिए आजीवन कार्य किया। कमजोर वर्गों के वह जनप्रिय नायक और संघर्ष के प्रतीक पुरुष हैं, लेकिन उनके योगदान एवं विरासत के साथ सबसे बड़ा अन्याय यह हुआ है कि उन्हें सिर्फ एक दलित नेता के रूप में सीमित कर दिया गया है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी बाबासाहेब की आधुनिक भारत के सबसे अग्रणी विचारकों में से एक के रूप में भी देखा जाना चाहिए। तमाम हृदयविदारक अनुभवों के बाद कोई सामान्य व्यक्ति या तो अपने भाग्य को कोसकर रह जाता या हिंसा का रास्ता चुनता, लेकिन बाबासाहेब ने अपने भीतर के आक्रोश को सकारात्मक रूप देते हुए शिक्षा का मार्ग चुना। जिस समय उनके समाज के लोगों को शिक्षा प्राप्ति की भी अनुमति नहीं थी तब उन्होंने पीएचडी, डीलिट एवं बार-एट-ला जैसी उपाधियां तासिल की।


डा. आंबेडकर महान समाज सुधारक के साथ ही प्रखर बुद्धिजीवी, कानूनविद और अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने राजनीति, नैतिकता, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, कानून और धर्मशास्त्र जैसे विविध विषयों पर विस्तार से लिखा है। वह चाहते तो विदेश में आकर्षक वेतन प्राप्त कर अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर सकते थे, लेकिन उन्होंने मातृभूमि को अपनी कर्मभूमि बनाया। उनका स्पष्ट मानना था कि चरित्र, शिक्षा से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह मानते थे कि किसी शिक्षित व्यक्ति में विनम्रता की कमी ही तो यह हिंसक जीव से भी अधिक खतरनाक होता है और उसकी शिक्षा से यदि गरीबों की हानि हो तो वह व्यक्ति समाज के लिए अभिशाप है। यह एक महान संस्थान निर्माता भी थे। संविधान निर्माण के केंद्र में रहने के अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय जल आयोग जैसी संस्थाएं उनके चिंतन एवं दूरदर्शिता की ही देन हैं।


बाबासाहेब का लोकतंत्र में अटूट विश्वास था। उनका मानना था कि कोई भी राज्य तब तक लोकतांत्रिक नहीं हो सकता है जब तक समाज लोकतांत्रिक न हो। उनका यह भी मानना था कि जब तक समाज में नैतिक व्यवस्था न हो तब तक लोकतंत्र का विचार कल्पना ही रहेगा। वह यह भी मानते थे कि जहाँ सामाजिक व्यवस्था नैतिक और समतामूलक नहीं होगी उस समाज में लोकतंत्र जीवित नहीं रह पाएगा। सामाजिक सुधारों के लिए भी वह प्रतिबद्ध थे, क्योंकि भारत के भविष्य, लोकतंत्र और अर्जित स्वतंत्रता को लेकर उन्हें बड़ी चिंता सताती थी। उनकी आशंकाएं संविधान सभा में उनके अंतिम भाषण में व्यक्त भी हुई हैं। इसमें उन्होंने कहा कि हमें अपने खून की आखिरी बूंद तक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए दृढ़संकल्पित होना होगा। उन्होंने चेतावनी दी थी कि हमारी अकर्मण्यता के कारण भारत एक बार फिर अपना लोकतंत्र और स्वतंत्रता गंवा सकता है। हमें एक लोकतांत्रिक संविधान मिला है, लेकिन संविधान बनाकर हमारा काम पूरा नहीं हुआ, बल्कि बस शुरू हुआ है। संविधान के मुख्य निर्माता के तौर पर उनकी यह बात उनके दूरदर्शी सोच का प्रमाण है।

बाबासाहेब की दिखाई लोकतंत्र की राह पर देश निर्वाध आगे बढ़ता रहा, मगर आज कुछ लोग धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर सामाजिक विभाजन के कुप्रयास में लगे हैं। हमें सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे विभाजनकारी कुप्रयास कभी सफल न हीं। इन कुचक्रों को समझने एवं रोकने के लिए हमें बाबासाहेब की शिक्षा से सीख लेनी होगी। बाबासाहेब भी आर्यन द्रविड़ विभाजन की असत्य कल्पना का लाभ उठा सकते थे, पर उन्होंने आर्य द्रविड़ विभाजन और आर्य आक्रमण सिद्धांत को नकारा और लिखा कि यह सब विदेशी शक्तियों का षड्‌यंत्र है। उन्होंने लिखा कि यजुर्वेद और अथर्ववेद के ऋषियों ने शूद्रों के लिए मंगलकारी बातें कही हैं और दर्शाया कि कई अवसरों पर 'शूद्र' परिवार में जन्में व्यक्ति भी राजा बने। उन्होंने इस पहलू को भी स्पष्ट रूप से खारिज किया कि तथाकथित 'अस्पृश्य' लोग 'आर्यों' और 'द्रविड़ों' से नस्लीय रूप से भिन्न हैं। भाषा को लेकर विभाजन पर आमादा लोग भी यह समझें कि उन्होंने कहा था, 'भाषा संस्कृति की संजीवनी होती है। चूंकि भारतवासी एकता चाहते हैं और एकसमान संस्कृति विकसित करने के इच्छुक हैं, इसलिए सभी भारतीयों का यह कर्तव्य है कि वे हिंदी को अपनी भाषा के रूप में अपनाएं।' याद रहे कि बाबासाहेब मूल रूप से हिंदी भाषी नहीं थे।


डा. आंबेडकर ने कहा था कि लोकतंत्र का स्वरूप और उद्देश्य समय के साथ बदलते रहते हैं और 'आधुनिक लोकतंत्र' का उद्देश्य लोगों का कल्याण करना है। उनके इसी मूलमंत्र को अपनाते हुए पिछले 10 वर्षों में केंद्र की राजग सरकार लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने में सफल रही है। लगभग 16 करोड़ घरों तक जल पहुंचाया है। गरीब परिवारों के लिए करीब पांच करोड़ घर बनवाए हैं। 2023 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पीएम-जनमन अभियान शुरू किया, जिससे पीवीटीजी वर्ग के लोगों का व्यापक विकास हुआ और उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलीं। हमारी 'आयुष्मान भारत' योजना के जरिये जन-जन तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ी है। मोदी जी का 2047 तक 'विकसित भारत' का लक्ष्य भी बाबासाहेब के विजन के अनुरूप ही है। बाबासाहेब की विरासत की बेहतर झलक के लिए उनसे जुड़े पांच स्थानों को 'पंचतीर्थ' के तौर पर विकसित किया है। मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार के कल्याणकारी कार्य संविधान एवं लोकतंत्र के प्रति हमारे समर्पण भाव और बाबासाहेब के प्रति श्रद्धा को दर्शाते हैं। पीएम मोदी गत माह बाबासाहेब की दीक्षा भूमि नागपुर गए थे। वहां उन्होंने बाबासाहेब के सपनों के भारत को साकार करने की अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहराई। आज बाबासाहेब की जयंती पर हम सभी धर्म, पंथ, जाति और क्षेत्र आदि से ऊपर उठकर सही मायनों में 'भारतीय' बनकर डा. आंबेडकर के आदशों को अपनाने का संकल्प लें तो यह भारत की इस महान विभूति के प्रति हमारी सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

यह लेक दैनिक जागरण से लिया गया है 

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Aryan Verma हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें। Aryan Verma - BAJMC - Tilak School of Journalism and Mass Communication (CCS University meerut)