राम जी और सीता जी का विवाह

Jun 26, 2024 - 14:03
 0  15

राम जी और सीता जी का विवाह 

रामायण महाकाव्य भारतीय साहित्य का एक अद्वितीय ग्रंथ है, जो भगवान राम के जीवन की कथा को प्रस्तुत करता है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित इस महाकाव्य में अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक शिक्षाएं समाहित हैं। इस महाकाव्य के माध्यम से हमें भगवान राम के आदर्श और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर मिलता है। यहां भगवान राम की पूरी कथा को विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

भगवान राम का जन्म और बाल्यकाल

भगवान राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहाँ हुआ था। उनके तीन और भाई थे: भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। राम, जिनका पूरा नाम रामचंद्र था, को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है। उनके जन्म की कहानी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह त्रेतायुग के महानायक माने जाते हैं। राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं: कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। राम कौशल्या के पुत्र थे, भरत कैकेयी के और लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न सुमित्रा के पुत्र थे।

गुरु वशिष्ठ के आश्रम में राम और उनके भाइयों ने शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वेद, शास्त्र और युद्ध कला में महारत हासिल की। राम बचपन से ही अत्यंत विनम्र, सहनशील और धर्मपरायण थे। उनके जीवन का यह प्रारंभिक समय उनके चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

राम और सीता का विवाह

राम और उनके भाइयों का विवाह मिथिला नगरी में हुआ था। मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता से राम का विवाह हुआ। यह विवाह एक अद्वितीय घटना थी, क्योंकि सीता स्वयंवर में शिवजी के धनुष को तोड़ने की शर्त रखी गई थी। इस शर्त को राम ने पूर्ण किया और सीता को पत्नी रूप में प्राप्त किया। इस विवाह ने राम और सीता के प्रेम और समर्पण की कथा को आरंभ किया, जो कि आगे चलकर रामायण की मुख्य कथा का आधार बनी।

वनवास की कथा

जब राम के राज्याभिषेक की तैयारी हो रही थी, तब कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान मांगें। पहला वरदान था कि उनके पुत्र भरत को राजा बनाया जाए, और दूसरा वरदान था कि राम को 14 वर्षों का वनवास दिया जाए। राजा दशरथ अपने वचन के पालन हेतु विवश होकर इन वरदानों को स्वीकार करने के लिए मजबूर हो गए। राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वनवास स्वीकार किया। उनके साथ सीता और लक्ष्मण भी वनवास गए।

वनवास के दौरान घटनाएँ

वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण ने विभिन्न ऋषियों के आश्रमों में निवास किया और अनेक राक्षसों का वध किया। उन्होंने ताड़का, मारीच और सुबाहु जैसे राक्षसों का संहार किया। वनवास के अंतिम वर्ष में रावण ने सीता माता का अपहरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। इस घटना ने रामायण की कथा को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया।

हनुमान का लंका गमन

सीता माता के अपहरण के बाद राम और लक्ष्मण सीता की खोज में वन-वन भटकने लगे। इस दौरान उनकी भेंट हनुमान से हुई, जो कि वानरराज सुग्रीव के मंत्री थे। हनुमान ने राम को सुग्रीव से मिलवाया और उनके बीच मित्रता स्थापित हुई। सुग्रीव ने वचन दिया कि वह सीता की खोज में मदद करेगा। हनुमान ने लंका जाकर सीता माता को खोज निकाला और राम का संदेश उन्हें दिया।

राम-रावण युद्ध

राम ने वानर सेना के सहयोग से लंका पर चढ़ाई की। हनुमान, सुग्रीव, जाम्बवंत और अन्य वानर योद्धाओं ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रावण के साथ हुए इस महान युद्ध में राम ने अपनी वीरता और धैर्य का परिचय दिया। अनेक युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने रावण और उसकी सेना का विनाश किया। अंततः राम ने रावण का वध कर सीता माता को मुक्त कराया।

अयोध्या वापसी

14 वर्षों का वनवास समाप्त होने के बाद राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे। अयोध्या लौटने पर उनका भव्य स्वागत हुआ और राम का राजतिलक हुआ। यह दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है, जो कि प्रकाश का पर्व है। अयोध्या की प्रजा ने अपने प्रिय राजा राम का स्वागत दीप जलाकर किया और पूरी नगरी को प्रकाशमय बना दिया।

रामराज्य

राम के शासन को रामराज्य कहा जाता है, जो न्याय, धर्म और समृद्धि का प्रतीक है। रामराज्य में सभी प्रजा सुखी और संतुष्ट थी। राम ने अपने राज्य में धर्म और न्याय का पालन किया। उन्होंने प्रजा के कल्याण के लिए अनेक नीतियां बनाईं और उन्हें पालन करने में कभी कोताही नहीं बरती। रामराज्य को भारतीय समाज में एक आदर्श शासन व्यवस्था के रूप में माना जाता है।

भगवान राम की कथा का महत्व

भगवान राम की कथा भारतीय संस्कृति और धर्म में विशेष स्थान रखती है। उनके आदर्श और मूल्य आज भी प्रेरणादायक हैं। रामायण महाकाव्य में उल्लिखित उनकी कथा हमें सिखाती है कि धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते हुए जीवन के सभी संकटों का सामना किया जा सकता है। राम का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि परिवार, मित्रता और सामाजिक संबंधों का महत्व क्या है।

भगवान राम के आदर्शों का पालन करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा है। उनके जीवन की कथा हमें यह संदेश देती है कि कठिनाइयों और विपत्तियों के बावजूद, हमें धैर्य, संयम और साहस से काम लेना चाहिए। उनके द्वारा स्थापित आदर्श और मूल्य सदैव हमें प्रेरणा देते रहेंगे।

रामायण की यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता के नैतिक और सामाजिक मूल्यों का भी प्रतीक है। इस महाकाव्य के माध्यम से हम भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को समझ सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकते हैं। इस प्रकार, भगवान राम की कथा और रामायण महाकाव्य भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग हैं, जो सदियों से लोगों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करते आ रहे हैं।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार