जानिए कैसे बनता है बकरी के दूध से साबुन

बकरी के दूध से साबुन बनाना एक प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक प्रक्रिया है। यह साबुन त्वचा को नमी प्रदान करता है, उसे मुलायम बनाता है और त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। आइए जानें इसे बनाने की विधि। जानिए कैसे बनता है बकरी के दूध से साबुन बकरी के दूध से साबुन कैसे बनता है

Jan 20, 2025 - 12:25
Jan 20, 2025 - 12:30
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जानिए कैसे बनता है बकरी के दूध से साबुन

जानिए कैसे बनता है बकरी के दूध से साबुन 

बकरी के पौष्टिक दूध से बना साबुन मचा रहा धमाल

बकरी के दूध से बन रहा है यह साबुन पहले तो लोग सुन रहे थे तो हम लोगों का मजाक उड़ा रहे थे लोग जब लगाने लगे तो धीरे-धीरे पसंद आने लगा उन लोगों को पर पीस  देते हैं पहला हमारा ऑर्डर है जो पहली बार इकट्ठा 5000 का आया है ढ़ लाख का हो गया हां खासतौर हम इसमें मिल्क रहता है ग्रेसलिन रहता है नारियल का तेल रहता है वेश होता है कितनी इससे आप लोग को आमदनी हो जाती है कम सेम 8 10 तक हो जाता है विदेशों तक भी चर्चा है मतलब गया है सब जर्मनी तक गयाहै सोनभद्र के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं इन दिनों बकरी के दूध से साबुनतैयार कर रही हैं खास बात यह कि इनका तैयार किया हुआ यह साबुन सिर्फ अन्य राज्यों तक नहीं बल्कि अब विदेशों तक भीपहुंचना शुरू हो चुका है हम इस समय मौजूद हैं

सोनभद्र के एक स्वयं सहायता समूह के पास जहां पर यह महिलाएं आप जो देख रहे हैंजो इस साबुन को तैयार करने का काम कर रहीहै इस समय भी यहां पर आप देख सकते हैं किजो साबुन की पैकिंग का काम है वह किया जारहा है और आप देख सकते हैं यह कुछ साबुन यहां पैक भी पड़े हैं इस पर देखिए साफ-साफ लिखा हुआ है सन गोट मिल्क सोप और नीचे जो समूह है उसका नाम दिया हुआ है बजंग बलीस्वयं सहायता समूह 100 ग्राम की यह पैकिंग है तो आइए अब इन महिलाओं से बात करते हैं क्योंकि इस उत्पाद ने इनको आमदनी का एकनया जरिया भी दिया है बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाते हैं इन्हीं लोगों के साथ मेंऔर जानते हैं कि आखिर कहां से आईडिया आया बकरी के दूध से साबुन तैयार करने का क्या नाम है आपका मेरा नाम संजू कुशवाहा है मझगांव की रहने वाली हूं मेरे समूह कानाम है बजरंग बली आजीविका महिला स्वयंसहायता समूह जितनी हमारी दीदियों यहां पर बैठी हैं

यह बजरंगबली समूह से हैं और हम लोग साबुन बनाने का काम कर रहे हैं यहांपे ये बताइएगा ये कब आप लोगों ने शुरू किया कब से बना रहे हैं बकरी के साब हमलोग तो शुरू किए थे 2 साल हो गया हम लोगों को शुरू किए हुए लेकिन स्टार्टिंग में जो हम लोगों को समस्याएं आई बहुत दिक्कत होर ही थी क्योंकि बकरी के दूध से बन रहा है यह साबुन पहले तो लोग सुन रहे थे तो हम लोगों का मजाक उड़ा रहे थे लोग जब लगाने लगे तो धीरे-धीरे पसंद आने लगा उन लोगोंको तो वो एक दूस अपने लगाए फिर अगल-बगल के लोगों को बताए जितने लोगों से मिलते गए सबसे यह बताते गए तो हमारा प्रचार ऐसे हुआथा एक साल लग गया इसको प्रचार करने में इतने समय में कितना साबुन अब तक बना केबेच चुके हैं अभी तो लगभग 255000 हम लोगोंका साबुन बिक गया है और 5000 साबुन काऑर्डर आया है बनारस से वही पैक हो रहा हैहां वही पैकिंग हो रहा है हमारी दीदियोंजो है वही काम कर रही है पैकिंग कर रहीहैं बना रही हैं और पैकिंग कर रही है 5000साबुन का ऑर्डर एक जगह से 5000 का पहलाहमारा ऑर्डर है जो पहली बार इकट्ठा 5000का आया है कितने का हुआ ये ऑर्डर यह ऑर्डर हमारा हम लोग के पर पीस देते हैं 5लाख का हो हो गया हां तो उन्होंने पहलेहमें एडवांस दिया है आधा पैसा एडवांस देदिया है और आधा जब हम उनको साबुन दे देंगेतब वो पैसा दे देंगे आईडिया कहां से आयाकि बकरी के दूध से साबुन तैयार करना है हमारे सोनभद्र में बकरी पालन बहुत ज्यादाहोता है जो बीएमएम है डीएमएम सर लोग हैंउन लोगों ने सोचा कि उनका उनके दूध का कैसे और उपयोग हम कर सकते हैं तो फिर सरलोग जो है अपना जानकारी लिए जानकारी लेनेके बाद हम लोगों को ट्रेनिंग दिवाने काकाम कि तो हम लोग इसका ट्रेनिंग लिए ट्रेनिंग लेकर के इस काम को स्टार्ट कियातो यह आईडिया हम लोगों को नालम की तरफ सेही मिला है 5000 जो यह साबुन है कितने दिनलगेंगे तैयार होने में इसको हम लोग चारचार से छ दिन में 5000 साबुन तैयार करलेंगे क्या नाम है

 आपका सुनीता सुनीता जीआप कहां से हम मजगांव से हैं सुनीता जी आपकब से जुड़े हम भी दो साल से स जुड़े हैं इसमें साथ में ही हा साथ में ही काम करतेहैं ये बताइए कि ये जो बकरी के दूध से साबुन बनता है इसमें क्याक मिलाते कैसेतैयार सर इसमें खास तौर हम इसमें मिल्क रहता है और इसमें जो होता है ग्रेसलिन रहता है नारियल का तेल रहता है और उसमेंजो वेस होता है उसको मिक्स करके हम पहले भगना रखेंगे गैस प उस पानी गर्म करेंगेफिर स्टील का जो भगना होता है सिल्वर कान हीं स्टील का भगना हो होता है उसमें अपना बेस्ट डाल देंगे उसमें समग्री जो ग्रेसलिन हो गया और झाक के लिए उसमें जो अपना शपडालेंगे और ग्रेसलिन नारियल का तेल और उसमें डाल के अपना बस तैयार कर आपका नाम कुसुम देवे जी आप कहा के रहने वाले डालाके कुसम जी आप बताए आप कब से इस काम से जुड़े हु सब साथ में दो साल से सबने साथमें मिल जी सरस जी बताइएगा कि ये जो साबुनहै अभी आप लोग का कितनी इससे आप लोग कोआमदनी हो जाती होग लसम आठ 10 तक हो जाता है आ हज ये महीने की जीसर इससे पहले भी कुछ करते थे नहीं सर  उसके पहले कुछ नहीं करते थे यह बताइए कि अभी कहां कहा आप लोग इसको भेज रहे हैं इसको हम लोग मतलब स्टोल के माध्यम से दिल्ली में भी मतलब लगाए थे तो और विदेशों तक भी चर्चा है मतलब गया हैसाब भी गया जी सर जर्मनी तक जर्मनी तक गयाहै जर्मनी तक जा जी सर अभी क्या आगे और भीभेजने की तैयारी है कहीं बाहर जी सर आगेभी भेजने की तैयारी है हम लोगों की आपने देखा कि इनका तैयार किया जो ये साबुन है जर्मनी तक यहां से जा चुका है और आगे अभीऔर भेजने की तैयारी चल रही है कि कितना इसको विस्तार दिया जा सकता है जी क्या नामजी मेरा नाम धर्मशील है मैं भी मजगांव से ही हूं मुझे भी दो साल जड़ इसमें जुड़ काम जितने साबुन 5000 देने हैं कितने तैयार करलिए अभी हम लोग सर 00 तैयार कर चुके हैं अच्छा जी बस बचे हैं उसको भी कोशिश है किदो दिन में हम लोग लग के फाइनल कर देना हैहम लोग को जी हम लोग ऑनलाइन भी व्यवस्थाकि है इसका जाता है हम लोग का ऑनलाइन भीजी कैसे व मो है सर मो हम लोग का है बनाउसी पर हम लोग ऑनलाइन इसको मतलब भेजते रतेहैं डर देते हैं

लोग नला फुटकर कोई एक दोपीस ले तो र का एक पीस हो गया सर मेरा नामहै सुनीता गांव मझगांव से हैं हम जदा लोगहम दिख रहे समूह के मझगांव वाले जी सरक्योंकि हम लोग समूह के माध्यम से है सबहम जो भी दीद है यहां पे समूह के माध्यम से ही जुड़े हैं हम लोग तो सर पहले तो हमलोग घर से जब समूह में नहीं थे तो घर सेबाहर तो नहीं निकलते थे हम लोग जब बाहर निकले कुछ करे तो यही साबुन का जब रोजगार हम लोग को मिला तो यही रोजगार करना शुरूकिए जो इसमें से प्रॉफिट आता है तो घर मेंअब बच्चे लोग को पढ़ाई और लिखाई के लिए फीस किताब कॉपी मैनेज हो जाता है पहले नहीं होता था लेकिन अब सर हो रहा है गंगाजीय पूरा साबुन आप बना लेते हैं या पैकिंगमें आपकी भूमिका आपका क्या काम ता है हम इसमें पैकिंग करते हैं बनाना भी आता है बनाना आता है लेकिन हम पैकिंग का काम करतेसबका काम अलग अलग बटा हुआ है हा हमारा पैकिंग का काम है हम भी समूह से हम इन सालसे मतलब ट्रेनिंग लिए हैं जुड़े हैं बनानेके लिए पूरा इसकी प्रशिक्षण कहा से मिलाहमको वही संजू द प्र संजू जी के पास एकबार फिर से चलते हैं जिन्होने इसका प्रशिक्षण भी यहां पर दिया है संजू जीय बताइए आपने कैसे सीखा था इसको बनाना हमको भी प्रशिक्षण ही मिला था जिसमें हमारी 50 दीदी थी उसमें प्रशिक्षण मिला तो सभी दीदी तो काम स्टार्ट नहीं कर पाई लेकिन हमको लगा कि मुझे करना चाहिए क्योंकि प्रशिक्षण मिला है तो किसी को तो आगे निकलना पड़ेगा अच्छा एक चीज ये बताइएजो अभी बता रहे थे यहां प आपके साथ के लोगकि जर्मनी तक आपके यहां से साबुन गया हांसर जमनी तक कैसे भेज दिया जर्मनी तक हमारी एक दीदी है इंदू दीदी जो समूह की दी दियों का सामान वो लेती हैं वो दीदी क्या करती कि हम लोगों की समूह का सामान अपना विदेशों में भी ले जाती हैं वह जब भीआएंगी टावर्स गंज में तो हम लोगों सेमिलती हैं और सामान हमारा खरीदती है और विदेशों में ले जाती है तो अलग-अलग जगहोंपर व ले जाकर के हमारे सामान का प्रचार करती हैं और उनको देती हैं फिर वहां से जब ऑर्डर आता है तो नंबर इस पर हम लोगों कानंबर है तो हम लोग ट्रांसपोर्ट के माध्यम से वहां पर साबुन भेजने का काम करते हैं क्या आगे सोचा है कहां तक इस काम को और लेजाना है हम लोगों का सपना है कि हमारे सोनभद्र का सान हमारे सोनभद्र का सामान हम लोगों के हाथों से बनाया हुआ सामान हम यही चाहेंगे कि विदेशों में भी जाए और जर्मनी के अलावा और जगहों पर जाए जैसे अमेरिका हो गया अलग-अलग जगहों पर जाए दिल्ली नोएडाभोपाल केरला यहां तक तो हम लोगों ने खुद पहुंचाया है लेकिन लोगों के माध्यम से जोसाबुन हमारी जा रही हैं

 तो और दूर दूर तकजाए तो और अच्छी बात है एकल इसका फायदा भीबता दीजिए इसके फायदे हैं स्किन हमारा एकदम मुलायम होता है नहाने के बाद स्किन हमारा एकदम मुलायम रहता है दाग धब्बे इससे दूर होते हैं और जो हमारे रोम छिद्र होते हैं यह जो रोम छिद्र होते हैं इसको खोलने का काम करता है स्वयं सहायता समूह की महिलाएं किस तरह से इन उत्पादों को तैयारकर रही है कैसे गोट मिल्क से साबुन बनाया जा रहा है अन उत्पाद बन रहे अन्य राज्यों में जा रहे हैं विदेशों तक जा रहे हैं इसे लेकिन आगे और कैसे बढ़ावा मिले इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से क्या प्रयास है यहआज हम जानेंगे सोनभद्र के सीडीओ सौरभ गंगवार जी से लाइवली हुड बढ़ाने के लिए एक प्रयास किया गया था जो मुझे लगता है

कि काफी सफल र रहा है और इसको फर्द हम कैसे और सक्सेसफुल बना सकते हैं तो इसमें हमसी एसआर के माध्यम से से भी इसमें एक इनकाप्लांट लगवा रहे हैं अडानी ग्रुप इजप्रमोटिंग फॉर दैट साथ ही साथ में चूंकियह खनिज बाहुल्य फंड जिला खनिज निधि उससे भी हमनेप्र यास किया है एंड द वर्क इज ऑलरेडी अंडर प्रोसेस एंड आई थिंक विदन ए मंथ इट विल बीडन साथ ही साथ में नेशनल लेवल पर भी हमारेबहुत सारे जो ऑनलाइन साइट्स हैं लाइक amazononline.in सबसे पहला फोकस उस पर हैऔर इसको बढ़ाने के लिए कई संस्थाओं से भीबात की जा रही है शैलेश रोरा गांव जंक्शन

बकरी के दूध से साबुन कैसे बनता है?

बकरी के दूध से साबुन बनाना एक प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक प्रक्रिया है। यह साबुन त्वचा को नमी प्रदान करता है, उसे मुलायम बनाता है और त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। आइए जानें इसे बनाने की विधि।


आवश्यक सामग्री:

  1. बकरी का दूध: ताज़ा या फ्रीज किया हुआ।
  2. तेल: जैतून का तेल, नारियल का तेल, या बादाम का तेल।
  3. लाय (सोडियम हाइड्रॉक्साइड): साबुन बनाने का मुख्य रसायन।
  4. आवश्यक तेल (Essential Oils): सुगंध और त्वचा लाभ के लिए (जैसे, लैवेंडर या टी-ट्री ऑयल)।
  5. ऐडिटिव्स: जड़ी-बूटियाँ, शहद, या प्राकृतिक रंग (वैकल्पिक)।
  6. सांचा (मोल्ड): साबुन का आकार देने के लिए।
  7. सुरक्षा उपकरण: दस्ताने, चश्मा, और एप्रन।

प्रक्रिया:

1. तैयारी:

  • बकरी के दूध को फ्रीज करें ताकि यह पिघलने पर जल न जाए।
  • सभी सामग्री और उपकरण तैयार रखें।

2. लाय तैयार करें:

  • एक कांच के कटोरे में बर्फीले दूध डालें। धीरे-धीरे उसमें लाय (सोडियम हाइड्रॉक्साइड) मिलाएं। इसे धीरे-धीरे हिलाते रहें। यह मिश्रण गर्म हो सकता है, इसलिए सावधानी बरतें।

3. तेल गरम करें:

  • जैतून का तेल, नारियल का तेल, और अन्य तेलों को मिलाकर हल्का गरम करें।

4. दूध और लाय मिश्रण मिलाएं:

  • तेल और लाय-दूध मिश्रण को एक साथ मिलाएं। धीरे-धीरे हिलाएं जब तक मिश्रण गाढ़ा न हो जाए।

5. सुगंध और ऐडिटिव्स डालें:

  • मिश्रण में आवश्यक तेल, जड़ी-बूटियाँ, शहद, या प्राकृतिक रंग डालें। इसे अच्छी तरह मिलाएं।

6. सांचे में डालें:

  • तैयार मिश्रण को साबुन के सांचे में डालें। इसे 24-48 घंटों तक सेट होने दें।

7. काटें और सुखाएं:

  • जब साबुन ठोस हो जाए, तो इसे सांचे से निकालें और मनचाहे आकार में काटें। साबुन को 4-6 सप्ताह तक सूखने दें ताकि यह उपयोग के लिए तैयार हो सके।

सावधानियां:

  • लाय के साथ काम करते समय सुरक्षा उपकरण पहनें।
  • यह मिश्रण बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
  • सभी उपकरण अलग रखें ताकि उन्हें खाने के लिए उपयोग न किया जाए।

बकरी के दूध से बना साबुन न केवल त्वचा के लिए अच्छा है, बल्कि इसे घर पर बनाना एक रचनात्मक और संतोषजनक प्रक्रिया भी है। आप इसे अपनी जरूरतों के हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं।

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