आपदा का इशारा

शुक्रवार को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद लगातार झटकों ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को हिला दिया। इस भूकंप के झटके भारत, बांग्लादेश, चीन और थाईलैंड तक महसूस किए गए। म्यांमार में आपातकाल घोषित कर दिया गया है, जबकि बैंकॉक में एक निर्माणाधीन इमारत ढहने से कई लोग मलबे में फंस गए। यह आपदा भूकंपरोधी संरचनाओं और आपदा प्रबंधन की गंभीर आवश्यकता की ओर इशारा करती है।

Mar 29, 2025 - 06:31
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आपदा का इशारा

आपदा का इशारा 

विज्ञान बेशक कितनी ही तरक्की कर ले, शुक्रवार को म्यांमार में एक के बाद एक आए भूकंपों-जिनके झटके म्यांमार और थाईलैंड के अलावा भारत, बांग्लादेश और चीन तक महसूस किए गए-ने एक बार फिर हमें प्रकृति की अप्रत्याशित शक्ति और मानवीय तैयारियों की सीमाओं की याद दिलाई है। पहला भूकंप 7.7 तीव्रता का था, जो बेहद घातक भी था, म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम में भूकंप का केंद्र था, जो केवल दस किलोमीटर की गहराई में स्थित था, जिसके बाद लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए।

म्यांमार के बड़े हिस्से में आपातकाल की घोषणा  की गई है, जहां अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, मरने वालों की संख्या सैकड़ों में भी हो सकती है। भूकंप की तीव्रता इससे समझी जा सकती है कि म्यांमार के भूकंप केंद्र की जगह से करीब एक हजार किलोमीटर दूर बैंकॉक में इतना जोरदार झटका महसूस किया गया कि एक 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत ढह गई, जिसमें अब तक तीन लोगों के मरने और 80 से ज्यादा लोगों के मलबे में फंसे होने की खबरें हैं। दरअसल, थाईलैंड की अपेक्षया म्यांमार में भूकंपीय घटनाओं को ज्यादा सामान्य माना जाता है, तो इसकी वजह भौगोलिक है।

1930 से 1956 के बीच यहां छह बड़े भूकंप आए थे। दूसरी ओर, थाईलैंड भूकंप प्रवण क्षेत्र नहीं है। इसीलिए, बैंकॉक में इमारतों की संरचना भी भूकप के खतरे को ध्यान में रखते हुए तैयार नहीं की गई है और इसी वजह से यहां खतरे की आशंका ज्यादा है। म्यांमार, जो 2021 में सेना द्वारा तख्तापलट के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता, सशस्त्र विद्रोह और आर्थिक संकट से जूझ रहा है, अब इस आपदा के कारण और अधिक संकट में घिर सकता है। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के अधिकांश शहर बढ़ती आबादी और अव्यवस्थित शहरीकरण की समस्याओं से जूझ रहे हैं, जहां इमारतों का निर्माण करते वक्त कई दफे सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है।

बैंकॉक जैसे अत्याधुनिक शहर में इमारत का गिरना दर्शाता है कि भूकंपरोधी सरंचनाओं के निर्माण को अब ज्यादा गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। भूकंप एक ऐसी आपदा है, जिस पर इन्सान का कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन इस आपदा ने एक बार फिर यह इशारा तो किया ही है कि आपदा प्रबंधन को लेकर अब और अधिक सतर्क एवं तैयार रहने की जरूरत है।

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