मुद्रण तकनीक और समाचार पत्र एक विस्तृत दृष्टिकोण

मुद्रण तकनीक और समाचार पत्र एक विस्तृत दृष्टिकोण, Printing Technology and Newspapers A Detailed View

Dec 2, 2024 - 20:59
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मुद्रण तकनीक और समाचार पत्र: एक विस्तृत दृष्टिकोण

मुद्रण तकनीक ने मानव समाज के ज्ञान और सूचनाओं के प्रसार में अभूतपूर्व क्रांति लाई। किताबों के युग से लेकर समाचार पत्रों तक की यात्रा में, मुद्रण और कागज़ के विकास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लेख में हम मुद्रण तकनीक के विकास, कागज़ निर्माण, और समाचार पत्रों के इतिहास पर प्रकाश डालेंगे।


मुद्रण तकनीक का आरंभ और कागज़ निर्माण

मुद्रण तकनीक का सटीक आविष्कार कब हुआ, यह तय कर पाना कठिन है।

  • चीन का योगदान:

    • दूसरी शताब्दी: चीन में कागज़ का निर्माण शुरू हुआ।
    • पाँचवीं-छठी शताब्दी: लकड़ी के ठप्पों से छपाई का कार्य आरंभ हुआ।
    • गुप्त तकनीक: सातवीं शताब्दी तक कागज़ निर्माण की विधि को गुप्त रखा गया।
    • 11वीं सदी: पत्थर के टाइपों का निर्माण, जिससे अधिक प्रतियों की छपाई संभव हुई।
    • 13वीं-14वीं सदी: संकेत चिन्हों और धातु टाइपों का प्रयोग।
  • यूरोप में विस्तार:

    • 1409 ई.: पहली धातु टाइप से छपी पुस्तक का प्रमाण।
    • 1500 तक यूरोप में सैकड़ों छापेखानों की स्थापना हुई, जिससे पुस्तकों और समाचार पत्रों का प्रचलन बढ़ा।

भारत में मुद्रण का आगमन

भारत में मुद्रण तकनीक और समाचार पत्रों का इतिहास पुर्तगाली मिशनरियों के साथ शुरू हुआ।

  • प्रारंभिक प्रेस:

    • 1556: गोवा में पहली प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना।
    • 1674: ब्रिटिश भारत में बंबई में अंग्रेजी प्रेस की स्थापना।
    • 18वीं शताब्दी के अंत तक भारत के कई शहरों में प्रेस स्थापित हो गए थे।
  • महत्वपूर्ण प्रकाशन:

    • पुर्तगाली प्रेस: धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन।
    • तमिलनाडु (1558) और मालाबार (1602): स्थानीय भाषाओं में प्रिंटिंग प्रेस।
    • बिचुर (1679): तमिल-पुर्तगाली शब्दकोष का प्रकाशन।

समाचार पत्रों का उद्भव और विकास

समाचार पत्रों की शुरुआत संवाद लेखकों से हुई, जो खबरें लिखकर पहुंचाते थे।

  • प्रारंभिक समाचार पत्र:

    • 1526: नीदरलैंड से "न्यू जाइटुंग" का प्रकाशन।
    • एक सदी बाद दैनिक समाचार पत्रों का प्रचलन।
  • प्रमुख उदाहरण:

    • 1665: ऑक्सफोर्ड गजट (बाद में लंदन गजट)।
    • 1709: पहला अंग्रेजी दैनिक "डेली करंट"।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,