सौरमंडल में मिला 'नरक' जैसा नया ग्रह !

यूर्निवर्सिटी ऑफ जेनेवा के वैज्ञानिकों ने ऐसा नारकीय ग्रह खोजा है, जिसकी कल्पना भी उन्होंने नहीं की थी. इस ग्रह का नाम है WASP-76B. यहां का मौसम अत्यधिक खराब है. हवा है लेकिन बहुत तेज गति में चलती हुई. हवा में लोहे के सूक्ष्म कणों की मात्रा बहुत ज्यादा है. दिन का तापमान 2000 डिग्री सेल्सियस रहता है. यानी गए और पिघले.

Sep 11, 2024 - 16:40
Sep 17, 2024 - 19:19
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सौरमंडल में मिला 'नरक' जैसा नया ग्रह !

WASP-76B: नरक जैसा ग्रह जहां तापमान है 2000°C, हवाओं में पिघला हुआ लोहा बरसता है


नई दिल्ली - यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ग्रह खोजा है, जिसे धरती पर नरक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इस ग्रह का नाम WASP-76B है, और इसके वातावरण में इतनी खतरनाक परिस्थितियाँ हैं, जिनकी कल्पना भी मुश्किल है। इस ग्रह पर दिन का तापमान लगभग 2000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, और हवाओं में पिघले हुए लोहे के कण शामिल होते हैं, जो सतह पर बरसते हैं।

 
हैरानी इस बात की है ये ग्रह अपने तारे से टाइडली लॉक्ड है. यानी जुड़ा हुआ है. जैसे हमारा चांद. इसलिए इसके चारों तरफ तेज हवाएं चलती रहती हैं. इनमें लोहे के कणों की मात्रा भी ज्यादा है. ये लगातार वायुमंडल में कभी ऊपर तो कभी नीचे होती रहती हैं. यानी यहां लोहे के कणों की परतें हैं. जो ज्यादा तापमान की वजह से दिन में पिघल-पिघल कर इस ग्रह की सतह पर गिरते रहते हैं. 

अद्वितीय ग्रह, अद्वितीय परिस्थितियाँ

WASP-76B एक विशाल गैस ग्रह है जो अपने तारे से 'टाइडली लॉक्ड' है, जिसका मतलब है कि यह ग्रह अपने तारे के साथ एक ही तरफ स्थिर रूप से जुड़ा हुआ है, ठीक उसी तरह जैसे हमारा चांद पृथ्वी से जुड़ा हुआ है। इस कारण ग्रह का एक हिस्सा हमेशा अपने तारे की ओर रहता है, जबकि दूसरा हिस्सा हमेशा अंधेरे में रहता है।

यह टाइडल लॉकिंग ग्रह के वायुमंडल में तेज हवाओं का कारण बनती है, जो लगभग 18,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती हैं। इन हवाओं में लोहे के सूक्ष्म कण होते हैं जो ग्रह के वायुमंडल में ऊपर-नीचे होते रहते हैं। दिन की ओर वाले हिस्से में, अत्यधिक तापमान के कारण यह लोहा पिघल जाता है और ग्रह की सतह पर बरसता है, जिससे यह ग्रह वास्तव में एक नरक के समान प्रतीत होता है।

वैज्ञानिक अध्ययन और निष्कर्ष

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की चरम परिस्थितियाँ हमें यह समझने में मदद करती हैं कि हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रह कैसे विकसित होते हैं और उनके वायुमंडल में कौन-कौन सी प्रक्रियाएँ चल रही होती हैं। इस खोज ने यह भी साबित किया है कि हमारे ब्रह्मांड में ऐसे ग्रह भी मौजूद हैं, जिनकी परिस्थितियाँ हमसे पूरी तरह से परे हैं।

इस ग्रह की खोज ने खगोलविदों के लिए नए सवाल खड़े किए हैं। अगर ऐसा ग्रह हमारे सौर मंडल में होता, तो क्या पृथ्वी पर जीवन संभव होता? इस ग्रह का अध्ययन हमें उन ग्रहों के बारे में भी जानकारी दे सकता है, जो हमारे सौर मंडल के बाहर जीवन को समर्थन दे सकते हैं, भले ही उनकी परिस्थितियाँ हमारे लिए नरकीय प्रतीत होती हों।

WASP-76B की खोज वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो हमें ब्रह्मांड के अजीब और अनजाने पहलुओं के बारे में बताती है। यह खोज न केवल खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोलती है, बल्कि यह हमें हमारे ब्रह्मांड के गहरे रहस्यों को समझने में भी मदद करती है। वैज्ञानिक इस ग्रह पर और अधिक अध्ययन कर रहे हैं ताकि इसके वातावरण और अन्य पहलुओं के बारे में और जानकारी प्राप्त की जा सके।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,