सीमांत जिला पिथौरागढ़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ की बैठक

बैठक में जिले के प्रतिष्ठित समाजसेवी और विभिन्न संगठनों के प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे। बैठक का समन्वय श्री जगदीश कॉलोनी, डॉ. किशोर पंत और उमेश बोरा द्वारा किया गया, जिनका उद्देश्य सीमांत जिले के विकास के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना था।

Sep 11, 2024 - 16:58
Sep 11, 2024 - 16:59
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सीमांत जिला पिथौरागढ़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ की बैठक
सीमांत जिला पिथौरागढ़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ की बैठक: विकास और पर्यटन के नए आयामों पर चर्चा
दिनांक 8 सितंबर को पिथौरागढ़ में सीमांत जिले के सर्वांगीण विकास पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में जिले के प्रतिष्ठित समाजसेवी और विभिन्न संगठनों के प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे। बैठक का समन्वय श्री जगदीश कॉलोनी, डॉ. किशोर पंत और उमेश बोरा द्वारा किया गया, जिनका उद्देश्य सीमांत जिले के विकास के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना था।
इस बैठक में श्री कैलाश कुमार (नाट्य अकादमी), श्री बसंत भट्ट (हिमालय फाउंडेशन), श्री धीरज (सौर ऊर्जा), बसु पांडे (आई.ई.), श्रीमती लक्ष्मी मेहता (आत्मनिर्भर फाउंडेशन धारचूला), लेफ्टिनेंट मोहित सिंह, श्री लक्ष्मण बोहरा, डॉ. किशोर कुमार पंत (अभिलाषा समिति), श्री जगदीश कॉलोनी (मुस्कान सामाजिक उत्थान समिति), उमेश बोरा (आस्था समिति), और विप्लव भट्ट (नन्ही चौपाल झुलाघाट) समेत कई अन्य प्रतिष्ठित कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इन सभी ने सीमांत क्षेत्रों में सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
बैठक में मुख्य रूप से कला और संस्कृति, सौर ऊर्जा, आत्मनिर्भरता, और समाज कल्याण के क्षेत्रों में हो रहे कार्यों को और गति देने की आवश्यकता पर चर्चा की गई। पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिलों में विकास की अपार संभावनाओं को पहचाना गया, और इन क्षेत्रों में सामूहिक रूप से काम करने के लिए नए मार्ग तलाशे गए।
श्री रमेश जोशी, संयोजक सीमा जागरण मंच उत्तराखंड प्रांत, भी इस बैठक में शामिल हुए, जबकि श्री अरविंद जी, संगठन मंत्री, सीमा जागरण मंच उत्तराखंड, ने डिजिटल माध्यम से बैठक में भाग लिया और इसे भविष्य के लिए एक सकारात्मक पहल बताया।
बैठक में पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन विकास पर भी विशेष रूप से विचार-विमर्श हुआ। उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य और होमस्टे की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, "प्रकृति दर्शन" जैसे नए पहलुओं को जोड़ने की योजना बनाई गई ताकि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।
इस बैठक में सीमा जागरण मंच का मुख पत्र "सीमा संघोष" विशेषांक का विमोचन भी किया गया, जिसमें भारत के प्रथम गांव की जानकारी प्रस्तुत की गई। यह बैठक सीमांत जिले के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है।

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