शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार नहीं…वक्फ बिल पर बोले मौलाना अरशद मदनी

वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य धार्मिक संगठन विरोध प्रदर्शन करेंगे. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इसका समर्थन किया है. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि मुसलमानों को अपने अधिकारों की बहाली के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है

Mar 9, 2025 - 21:39
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शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार नहीं…वक्फ बिल पर बोले मौलाना अरशद मदनी
शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार नहीं…वक्फ बिल पर बोले मौलाना अरशद मदनी

वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य धार्मिक संगठन विरोध प्रदर्शन करेंगे. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसका समर्थन किया है. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि मुसलमानों को अपने अधिकारों की बहाली के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

मदनी ने कहा कि पिछले 12 सालों से मुसलमान धैर्य और संयम का परिचय दे रहे हैं, लेकिन अब जब वक्फ संपत्तियों के संबंध में मुसलमानों की चिंताओं और आपत्तियों को नजरअंदाज कर जबरन असंवैधानिक कानून लाया जा रहा है, तो फिर विरोध प्रदर्शन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता. उन्होंने कहा कि अपने धार्मिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना देश के हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है.

‘सरकारी दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं’

उन्होंने कहा कि जब से यह वक्फ संशोधन विधेयक लाया गया है, हमने लोकतांत्रिक तरीके से सरकार को यह समझाने की हरसंभव कोशिश की है कि वक्फ पूरी तरह से एक धार्मिक मामला है. मदनी ने कहा कि वक्फ संपत्तियां वो दान हैं, जो हमारे बुजुर्गों ने कौम की भलाई और कल्याण के लिए वक्फ की हैं, इसलिए हम इसमें किसी भी तरह की सरकारी दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं कर सकते.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का दिखावा किया गया, लेकिन विपक्षी दलों के सुझावों और सिफारिशों को खारिज कर दिया गया. उन्होंने कहा कि जो 14 संशोधन किए गए, उनमें भी चालाकी से ऐसी धाराएं जोड़ दी गईं, जिनसे वक्फ संपत्तियों पर सरकार के कब्जे का रास्ता आसान हो जाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमान ऐसे किसी भी कानून को स्वीकार नहीं कर सकते, जिससे वक्फ की मूल प्रकृति और वाकिफ (वक्फ करने वाले) की मंशा बदल जाए, क्योंकि वक्फ कुरआन और हदीस से प्रमाणित धार्मिक व्यवस्था है.

‘हमारे लिए अदालतें ही अंतिम सहारा हैं’

मदनी ने कहा कि 13 फरवरी 2025 को जमीयत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि यदि नया वक्फ कानून पास हो जाता है, तो जमीयत उलमा-ए-हिंद की सभी प्रांतीय इकाइयां इसे अपने-अपने राज्यों के हाईकोर्ट में चुनौती देंगी,साथ ही हम सुप्रीम कोर्ट का भी रुख करेंगे. उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि हमें न्याय अवश्य मिलेगा, क्योंकि हमारे लिए अदालतें ही अंतिम सहारा हैं.

‘शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार नहीं’

उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कानून स्वीकार नहीं करेंगे, जो शरीयत के खिलाफ हो. मुसलमान हर चीज से समझौता कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत से नहीं. मदनी ने कहा किल यह मुसलमानों के अस्तित्व का नहीं, बल्कि उनके अधिकारों का सवाल है. मौजूदा सरकार नए वक्फ संशोधन कानून के जरिए मुसलमानों से वे अधिकार छीन लेना चाहती है, जो उन्हें देश के संविधान ने दिए हैं. उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद कानूनी लड़ाई के साथ-साथ मुसलमानों, अन्य अल्पसंख्यकों और न्यायप्रिय नागरिकों के साथ मिलकर सभी लोकतांत्रिक और संवैधानिक उपायों का उपयोग करेगी.

‘नागरिकों को विरोध करने का अधिकार है’

वहीं प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन के समर्थन में मौलाना मदनी ने कहा कि जब न्याय के सभी दरवाजे बंद कर दिए जाएं तो विरोध प्रदर्शन के अलावा और क्या रास्ता बचता है. उन्होंने आगे कहा कि इस देश में संविधान के दायरे में रहकर नागरिकों को विरोध करने का अधिकार प्राप्त है. हम यह विरोध प्रदर्शन अपने उन अधिकारों और शक्तियों की बहाली के लिए कर रहे हैं, जो हमें संविधान ने दिए हैं. उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक जैसे कानून बनाकर हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला करने की योजना बनाई जा रही है.

मौलाना मदनी ने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों का मुद्दा नहीं, बल्कि देश के सभी न्यायप्रिय नागरिकों का मुद्दा है. अब यह तय करना होगा कि देश संविधान और कानून से चलेगा या किसी व्यक्ति, समूह या पार्टी की मर्जी से. उन्होंने कहा कि संसद में बहुमत का अर्थ यह नहीं हो सकता कि सरकार मनमाने कानून बनाकर किसी धार्मिक अल्पसंख्यक से उसके जीने का अधिकार भी छीन ले, या उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर दें.

मौलाना मदनी ने कहा कि सरकार में शामिल खुद को सेक्युलर कहने वाली उन पार्टियों को, जिनकी जीत में मुसलमानों का भी योगदान है, हमने जगह-जगह “संविधान बचाओ कॉन्फ्रेंस” आयोजित कर आगाह किया कि जो कुछ हो रहा है, वह बहुत गलत हो रहा है. लेकिन अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी इस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि इन पार्टियों ने इस बिल को खुला समर्थन दिया है. मदनी ने कहा कि यह मुसलमानों के साथ धोखा है और देश के संविधान और कानून के साथ भी खिलवाड़ है. इन पार्टियों को देश के सेक्युलर संविधान और मुसलमानों से ज्यादा अपना राजनीतिक स्वार्थ प्रिय है. उन्होंने कहा कि आज देश में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें ये सेक्युलर पार्टियां भी समान रूप से दोषी हैं.

लोगों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील

मौलाना मदनी ने लोगों से अपील की कि वो इस विरोध प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इसे सफल बनाएं और अपनी जागरूकता और एकजुटता का परिचय दें. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने के कारण देश की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, लेकिन हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मदनी ने कहा कि सकारात्मक बात यह है कि तमाम साजिशों के बावजूद देश की बहुसंख्यक आबादी सांप्रदायिकता के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि हम एक जिंदा कौम हैं, और जिंदा कौमें हालात के रहमो-करम पर नहीं रहतीं, बल्कि अपने कार्यों और चरित्र से परिस्थितियों की दिशा बदल देती हैं.

इसके साथ ही उन्होंने कहा यह हमारे धैर्य, ईमान और संघर्ष की परीक्षा की घड़ी है. हमें अपने धर्म, संयम, आशा और दृढ़ता को कभी नहीं छोड़ना चाहिए. मदनी ने कहा कि समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता. मुसलमान दुनिया से मिटने के लिए नहीं आया है. वह 1400 सालों से इन्हीं परिस्थितियों में जिंदा है और कयामत तक जिंदा रहेगा. मौलाना ने कहा कि हम अंग्रेजों के जुल्म और अत्याचार के आगे नहीं झुके, तो अब हमें कोई ताकत नहीं झुका सकती. मुसलमान सिर्फ अल्लाह के सामने सिर झुकाता है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,