शायरी

वो था मेरा मित्र वो है मेरा मित्र

वो मेरी भागती सी दुनिया है, इसमें ठहराव लाता है। जब हैरानी में डूबा मेरा अतिचिंत...

वो कॉलेज जहां पहली बार मिले थे

जहां एक पूरी रात  हमने सपनों की खेती की थी

कुछ नहीं का अर्थ

कविता माध्यम है विचारो की उत्पत्ति का 

पेड़ों के नीचे कुछ तो है कोई बुद्ध बन जाता है तो कोई न्...

मेरे घर के आंगन में एक पेड़ खड़ा है नीम का

प्रत्येक वो व्यक्ति

जो आपको प्रेम से हृदय से लगा सके

कंद मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे

मन मंदिर में बसने वाला शाकाहारी "राम" था।।

श्री राम की विनती

तुम्हारा दर्शन हूँ, तुम्हाराआदर्श  हूँ , दुखों का संबल हूँ और प्रेम स्पर्श हूँ।

भगवान श्री राम जी श्री चरणों में श्रद्धामय नमन

क्या ये सब सेवा के बदले मिला राम के मन को  आदर्शों पर चल कर ही तो पाया इस पीड़ा को।

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