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वो मेरी भागती सी दुनिया है, इसमें ठहराव लाता है। जब हैरानी में डूबा मेरा अतिचिंत...
तुम्हारा दर्शन हूँ, तुम्हाराआदर्श हूँ , दुखों का संबल हूँ और प्रेम स्पर्श हूँ।
क्या ये सब सेवा के बदले मिला राम के मन को आदर्शों पर चल कर ही तो पाया इस पीड़ा को।