समय का सदुपयोग
खोया हुआ धन स्वास्थ्य, भूली हुई विद्या तथा छिना हुआ साम्राज्य फिर आ सकता है, परंतु चोता हुआ समय कदापि नहीं लौट सकता। समय : अनमोल संपदा
समय का सदुपयोग
साता है। समय कभी मूढ़ा नहीं होत) संमार के सब कामों को काल ने सीमा में चौंध रखा है। परमात्मा, आत्मा और प्रकृति की छोड़कर सभी वस्तुएँ काल के बंधन में बंधों हुई हैं। काल समस्त प्राणियों के प्रति समान है। वह केवल अक्सर की प्रतीक्षा करता है। जिसकी आयु समाप्त हो जाती है, उसी प्राणी का वह संहार करता है।
जब फाल से आक्रांत होकर शरीर जरावस्या से जर्जर हो जाता है, तब कोई भी काम करने के योग्य नहीं रह जाता। तब देहधारी जीवन त्यागकर चल देता है। जब सारा संसार सोता है, काल जामता रहता है। समय की शक्ति अद्भुत और महान् है। खोया हुआ धन स्वास्थ्य, भूली हुई विद्या तथा छिना हुआ साम्राज्य फिर आ सकता है, परंतु चोता हुआ समय कदापि नहीं लौट सकता।
समय : अनमोल संपदा
समय की संपदा धन से भी महत्वपूर्ण है, इसलिए समय को व्यर्थ र जहने दीजिए। से वर्तमान काल का लाभ उठाता है, वह अपने भविष्य का निर्माण करता है। ईश्वर ने समय रूपी धन में कोई पक्षपात नहीं किया है। यह धन सबके लिए समान है। संसार की सभी वस्तुओं का मूल्य है, परंतु समय अमूल्य है और सभी गुणों की खान माना गया है। धन महत्त्वपूर्ण ती है, परंतु समय की संपदा बहुमूल्य है।
संसार की प्राकृतिक व्यवस्था हमें समय पालन का उपदेश देती है। सूर्य, चंद्रमा स पृथ्यों की गति तथा ऋतुओं का परिवर्तन-ये सभी हमें समय-फालन और नियमबद्धता की ओर संकेत करते हैं। हमारे जीवन का आधार समय है, न कि धन। इसलिए निरंतर गतिमान इस समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में ही मानव जीवन की सार्थकता है। समय ही जीवन है, समय ही उत्कर्ष है, समय जी महानता के
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