दुश्मन के ड्रोन को हवा में मार गिराएंगे स्वदेशी हंटर और किलर

दुश्मन के ड्रोन को हवा में मार गिराएंगे स्वदेशी हंटर और किलर, Indigenous hunters and killers will shoot down enemy drones in the air,

Dec 13, 2024 - 19:24
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दुश्मन के ड्रोन को हवा में मार गिराएंगे स्वदेशी हंटर और किलर
सेना की टाइगर डिवीजन के अधिकारी ने तैयार किया दुश्मन के ड्रोन को मार गिराने वाला उन्नत तकनीक का ट्विरा अटैक सिस्टम
जम्मूः सीमा पार से दुश्मन के ड्रोन हमलों से निपटने के लिए सेना अपनी स्वदेशी तकनीक के बूते पूरी तरह तैयार है। हंटर व किलर ड्रोन की जोड़ी मिलकर दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही मार गिराएगी। जग्गू में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली सेना की टाइगर डिवीजन ने इस उन्नत रक्षा प्रणाली टाइगर वायु रक्षक अटैक सिस्टम (ट्विरा) का डिजाइन तैयार किया है। यह एक किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। इसका परीक्षण सफल रहा है और नए वर्ष में सेना इसे अपने बेड़े में शामिल कर सकती है।
वर्ष 2021 में जम्मू में टाइगर डिवीजन मुख्यालय के पास एयरफोर्स स्टेशन पर दो ड्रोन से हमला किया गया था, जिसमें दो वायुसैनिक घायल हुए थे। उसके बाद सेना ने एंटी ड्रोन प्रणाली पर काम शुरू किया। सेना की रायजिंग स्टार कोर की टाइगर डिवीजन के मेजर अनमोल टंडन ने इसका डिजाइन तैयार किया। दिल्ली में नवाचार योद्धा कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित इस प्रणाली में सेना ने बड़ी दिलचस्पी दिखाई थी, जिसके बाद इसको सेना की जरूरतों के अनुसार बड़ी संख्या में तैयार करने के विकल्पों पर विचार हो रहा है। अनुमान है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख जैसे सीमांत प्रदेशों में इस प्रणाली का इस्तेमाल सीमा पार से उत्पन्न चुनौतियों के लिए होगा। संभावना है कि सर्व प्रथम पश्चिमी सीमा पर इसे तैनात किया जाए। सेना इसके उत्पादन के लिए विधिन्न एजेंसियों से संपर्क कर रही है।
ड्रोन के स्वार्म अटैक से निपटने को हो सकता तैयारः भविष्य में इसका इस्तेमाल ड्रोन के स्वार्म (झुंड) अटैक को नाकाम करने के लिए भी हो सकता है। स्वार्म अटैक में ड्रोन का झुंड एक साथ हमला करता है। विश्व के कई हिस्सों में ड्रोन के समूह का इस्तेमाल स्वार्म अटैक के लिए किया जा चुका है।
ऐसे करता है कामः टिवरा एक अत्याधुनिक मानव-मानव रहितर तकनीक पर आधारित है। इसे डिजाइन किया गया है। इस तकनीक में हंटर व किलर ड्रोन मिलकर दुश्मन के ड्रोन का पता लगाने के साथ उसे मार गिराने के लिए त्वरित प्रहार करते हैं। इंटर ड्रोन हवा में दुश्मन के ड्रोन की तलाश की लाइव फुटेज स्ट्रीम करता है। उसके संभावित लक्ष्य की पहचान कर लेने के बाद आपरेटर तय लक्ष्य पर हमला करने के लिए किलर ड्रोन को भेजता है। किलर ड्रोन अपने लक्ष्य को लाक कर हरकत में आ जाता है। एक किलो विस्फोटक के साथ दुश्मन के ड्रोन से टकराकर उसे तबाह कर देता है। दुनिया के विभिन्न देशों में जिस तरह बुद्ध हो रहे हैं, उसमें यह रक्षा प्रणाली बहुत कारगर होगी।
एआइ आधारित होगी प्रणाली
यह प्रणाली एआइ से लैस होगी और ऐसे में स्वयं आसपास में इसे दुश्मन के हमले से पहले भी सक्रिय किया जा सकता है और खतरा देख तुस्त किलर को सक्रिय कर देख देगा। यह स्वयं लक्ष्य तलाशने, वास्तविक समय पर त्वरित निर्णय लेने में भी सहयोग करेगा और अपने स्तर पर भी दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। सैन्य सूत्रो के अनुसार, थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई इस अटैक सिस्टम से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने नवाचार योद्धा कार्यक्रम के दौरान इस तैयार करने वाले मेजर अनमोल टडन से सिस्टम के बारे में सारी जानकारी हासिल करने के साथ भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने के लिए इस अहम नवाचार की सराहना की है।
यह नवाचार युद्ध के दौरान की चुनौतियों का सामना करने में काफी कारगर होगा।
- भविष्य की योजनाओं मे इस अटैक ड्रोन शिस्टग को और बेहतर बनाकर इसे स्वार्म (झुड) अटैक का सामना करने के लिए भी तैयार किया जा सकता है। ड्रोन के रवार्म आधारित माडल में विस्तार से युद्धक्षेत्र की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल, रक्षा प्रवक्ता

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,