केरल में वक्फ बोर्ड के खिलाफ 1000 से ज्यादा चर्चों का ऐतिहासिक विरोध

केरल में पहली बार सिरो-मालाबार चर्च के नेतृत्व में 1000 से अधिक चर्च खुलकर वक्फ बोर्ड का विरोध कर रहे हैं। उनका विरोध केवल क्षेत्रीय या आस्थागत मुद्दा नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड की कार्य प्रणाली, अधिकारों और इसके नियंत्रण को लेकर नागरिक समाज की गहरी चिंताओं का प्रतीक भी है, जो सिर्फ केरल तक […]

Nov 18, 2024 - 05:21
Nov 18, 2024 - 06:15
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केरल में वक्फ बोर्ड के खिलाफ 1000 से ज्यादा चर्चों का ऐतिहासिक विरोध

केरल में वक्फ बोर्ड के खिलाफ 1000 से ज्यादा चर्चों का ऐतिहासिक विरोध

केरल में सिरो-मालाबार चर्च के नेतृत्व में 1000 से अधिक चर्चों ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ खुलकर विरोध जताया है। यह विरोध केवल संपत्ति से जुड़े मसले तक सीमित नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली, अधिकार और नियंत्रण को लेकर नागरिक समाज में गहरी चिंताओं को उजागर कर रहा है।

वक्फ बोर्ड, जिसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था, पर आरोप है कि वह अपनी कानूनी ताकत का दुरुपयोग कर रहा है। हाल के वर्षों में, बोर्ड ने कई बार ऐसी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया है, जिनके असली मालिकों से सहमति नहीं ली गई। इसने हिंदू मंदिरों, मठों और चर्चों के साथ-साथ व्यक्तिगत संपत्तियों को भी अपने दावे में शामिल कर विवाद खड़ा कर दिया है।

देशभर में उठ रहा जनाक्रोश

केरल में शुरू हुआ यह विरोध अब पूरे देश में चर्च, हिंदू मंदिर और नागरिक समाज के बीच चिंता का विषय बन गया है। दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों में वक्फ बोर्ड द्वारा हिंदू गांवों और मंदिरों पर दावा करने के मामलों ने हालात और गंभीर कर दिए हैं।

विरोध कर रहे समुदायों का कहना है कि वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन है। सिरो-मालाबार चर्च और हिंदू समाज ने वक्फ बोर्ड की कार्यशैली को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताते हुए इसे पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की मांग की है।

वक्फ अधिनियम में सुधार की मांग

विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में 1995 और 2013 के संशोधनों के बावजूद कई खामियां हैं। वक्फ बोर्ड को बिना सहमति किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है, जो विवादों का मुख्य कारण बनता है।

समाधान की ओर

सार्वजनिक संपत्तियों पर अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नागरिक समाज वक्फ बोर्ड पर निगरानी और नियंत्रण की मांग कर रहा है। न्यायिक प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने, संपत्ति मालिकों को अपनी बात रखने का अवसर देने, और वक्फ बोर्ड की गतिविधियों में पारदर्शिता बढ़ाने की अपील जोर पकड़ रही है।

जेपीसी ने की पहल

इस मामले पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने जांच शुरू की है। यदि निष्पक्ष निर्णय लिया जाता है, तो यह न केवल विविधता का सम्मान करेगा, बल्कि वक्फ बोर्ड की हठधर्मिता पर अंकुश लगाने का भी काम करेगा।

वक्फ बोर्ड के खिलाफ छिड़ा यह ऐतिहासिक आंदोलन न केवल केरल बल्कि पूरे देश में धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए नई दिशा तय कर सकता है।

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