एक दिन में डेढ़ लाख मामलों का निपटारा, क्या ट्रैफिक जुर्माने को सस्ते में निपटाने का जरिया है 'लोक अदालत'?

दिल्ली की लोक अदालतों में शनिवार को डेढ़ लाख से ज्यादा ट्रैफिक चालानों का निपटान हुआ। चालान में भारी छूट के कारण वाहन चालकों की भारी भीड़ उमड़ी। SMS के बजाय बेहतर नोटिफिकेशन और ऑनलाइन पेमेंट प्रणाली सुधार की मांग उठी।

Mar 9, 2025 - 09:32
 0
एक दिन में डेढ़ लाख मामलों का निपटारा, क्या ट्रैफिक जुर्माने को सस्ते में निपटाने का जरिया है 'लोक अदालत'?
नई दिल्ली: दिल्ली की लोक अदालतों में शनिवार को वाहन चालकों की भीड़ उमड़ पड़ी। एक ही दिन में डेढ़ लाख से ज्यादा चालानों का निपटारा हुआ। कोर्ट के बाहर लोग ट्रैफिक चालान में छूट पाने के लिए कतारों में खड़े थे। कई लोगों ने जानबूझकर जुर्माना भरने में देरी की, क्योंकि उन्हें पता था कि लोक अदालत में उन्हें भारी छूट मिलेगी। इस वजह से, दिल्ली में अनगिनत ट्रैफिक चालान लंबित हैं। इस व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह नियमों को तोड़ने को बढ़ावा दे रही है। कई लोगों को SMS के जरिए चालान की सूचना नहीं मिली, जबकि कुछ का कहना था कि ऑनलाइन पेमेंट लिंक काम नहीं करता। पुलिस इस समस्या से निपटने के लिए लोक अदालतों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही है।कोर्ट के बाहर लोगों की लंबी लाइनेंशनिवार को दिल्ली की जिला अदालतों में गाड़ियों की लंबी कतारें नहीं, बल्कि चालान की पर्चियां पकड़े लोगों की भीड़ देखी गई। ये लोग ट्रैफिक नियम तोड़ने के जुर्माने से बचने के लिए नहीं, बल्कि उसमें कमी करवाने के लिए लोक अदालत पहुंचे थे। पटियाला हाउस कोर्ट में, जज के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों में 42 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर मुन्ना भी शामिल थे। उन पर तेज रफ्तार और गलत पार्किंग के लिए लगभग 7 हजार रुपये का जुर्माना था। ऑनलाइन भुगतान करने के बजाय, वह भारी छूट की उम्मीद में वहां आए थे। उन्होंने कहा, "आज तो सस्ते में निपट जाएगा।" दोपहर तक, उनका जुर्माना घटकर 500 रुपये रह गया यानी 92% की भारी छूट!ट्रैफिक 'क्लियरेंस सेल' में बदल जाती है लोक अदालतेंहर कुछ महीनों में, दिल्ली की लोक अदालतें ट्रैफिक 'क्लियरेंस सेल' में बदल जाती हैं। हजारों ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले, जो जानबूझकर जुर्माना भरने में देरी करते हैं, यहां कम कीमत पर अपना चालान निपटा लेते हैं। मुन्ना ने स्वीकार किया, "मेरे ऊपर 90 बुकिंग हैं और मैं धीरे-धीरे जुर्माना भर रहा हूं।" उन्होंने आगे कहा, "आधे समय मुझे पता ही नहीं चलता कि स्पीड कैमरे कहां लगे हैं। जागरूकता एक समस्या है, लेकिन सच कहूं तो – जब लोक अदालत में इतनी छूट मिलती है, तो मैं पूरा जुर्माना क्यों भरूं?"लोग लोक अदालतों का करते हैं इंतजार'लोक अदालत का इंतजार' करने की मानसिकता साफ दिखाई दे रही थी। लेकिन इससे एक सवाल उठता है- क्या यह विशेष सुविधा शहर में लंबित चालानों के विशाल ढेर को और बढ़ावा दे रही है? साकेत कोर्ट के बाहर, 29 वर्षीय स्वदेश ने कहा कि उन्होंने कभी ऑनलाइन भुगतान करने के बारे में सोचा भी नहीं। उन्होंने कहा, "मैं ऐसा क्यों करूं? यहां हमेशा सस्ता पड़ता है।" राम कृष्ण ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा, "ऑनलाइन पागल थोड़ी है कोई भरेगा? लोक अदालत का वेट करना बेस्ट है, आधा तो वैसे ही माफ हो जाता है।"'लोक अदालत ही हमारा एकमात्र उपाय'इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ऑटोरिक्शा चालक सुरेश यादव, जो अपने साथी ऑटोवाला प्रदीप यादव के साथ थे, दोनों के पास 25 से ज्यादा चालान थे। उन्होंने कहा, "हम एक साथ 20,000-30,000 रुपये नहीं भर सकते। लोक अदालत ही हमारा एकमात्र उपाय है।" कुछ लोगों ने अपने जुर्माने पर बहस भी की। तीन पहिया मालवाहक वाहन चलाने वाले मंगल ने कहा, "ज्यादातर लोग सड़क नियमों का उल्लंघन करते हैं, लेकिन हम जैसे ड्राइवरों को निजी कार मालिकों से ज्यादा परेशानी होती है।"'कई लोगों को पता ही नहीं कि कटा है चालान'जिन लोगों ने रणनीतिक रूप से भुगतान में देरी की, उनके अलावा कुछ ऐसे भी थे जिन्हें पता ही नहीं था कि उनका चालान कटा है। रॉउज एवेन्यू कोर्ट में ऑटो चालक सुरेंद्र कुमार ने कहा, "मुझे नहीं पता था कि मेरा चालान लंबित है, जब तक किसी ने मेरे लिए चेक नहीं किया। अगर मुझे SMS के बजाय WhatsApp नोटिफिकेशन मिलता, तो मैं शायद पहले ही भुगतान कर देता।" जगदीश झा ने भी कहा, "SMS नोटिफिकेशन काम नहीं करते। कोई उन्हें चेक नहीं करता। सोशल मीडिया के माध्यम से अलर्ट क्यों नहीं भेजे जाते?"लोक अदालत में पुरानी कारों के डीलर भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। एक ऐसे ही डीलर गुरबिंदर सिंह ने बताया, "लोग अपनी गाड़ियां बेचने से पहले चालान चेक करने की जहमत नहीं उठाते। हमें गाड़ी का मालिकाना हक ट्रांसफर करने के लिए सभी लंबित चालानों का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन पूरा जुर्माना क्यों दें? लोक अदालत ही हमारा सबसे अच्छा विकल्प है।"'लोक अदालतों को बढ़ाने पर कर रहे काम'स्पेशल सीपी (ट्रैफिक) अजय चौधरी ने कहा, "हां, बकाया बहुत ज्यादा है और लोक अदालत का इंतजार करने वाले लोग इसे और बढ़ा देते हैं। इसलिए, हम लोक अदालतों को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं या, अगर संभव हो तो, प्रत्येक कोर्ट परिसर में एक अलग ट्रैफिक कोर्ट बनाने पर विचार कर रहे हैं। फिलहाल 2021 से पहले के बकाया को निपटाने के लिए शाम की अदालतें भी चल रही हैं। बार-बार नियम तोड़ने वाले व्यावसायिक वाहन चालकों के साथ नरमी नहीं बरती जानी चाहिए क्योंकि इस नरमी का कभी-कभी दुरुपयोग किया जाता है।"एक ड्राइवर ने यह भी कहा, "समस्या चालान भरने की नहीं है। पेमेंट लिंक कभी खुलता ही नहीं है. यह रीडायरेक्ट तो होता रहता है लेकिन खुलता नहीं है। इसलिए दो या तीन प्रयासों के बाद, लोग ऑनलाइन भुगतान करना छोड़ देते हैं।"एक दिन में डेढ़ लाख से ज्यादा मामलों का निपटाराबता दें कि शनिवार को लगी नेशनल लोक अदालत में दिल्ली में एक लाख 53 हजार से ज्यादा मामलों का निपटा किया गया। जिसमें सेटलमेंट की रकम 400 करोड़ से ज्यादा रही। नैशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी(NALSA) के मुताबिक, इस मौके पर पूरे देश में लगभग 1 करोड़ 57 लाख 55 हजार 783 मामले निपटाए गए।NALSA की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 1 करोड़ 34 लाख 93 हजार 613 मामले लिटिगेशन में जाने से पहले वाले रहे और 22 लाख 62 हजार 170 लंबित मामले थे। इनमें टोटल सेटलमेंट अमाउंट 5,473 करोड़ रुपये था। वहीं, दिल्ली में कुल 1 लाख 53 हजार 437 मामले समझौते के साथ निपटाए गए। इनमें निपटान राशि 405.18 करोड़ रुपये थी। इसमें जिला अदालतों का योगदान 1,52,019 मामले निपटाने में रहा। पूरी दिल्ली में 1 लाख 22 हजार 064 ट्रैफिक चालानों का निपटारा भी इस लोक अदालत में किया गया। जिसमें जुर्माना राशि के तौर पर 1.65 करोड़ की वसूली की गई।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,