बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के लिए अवामी लीग फासिस्ट, मगर इस्कॉन भक्तों को मारने की धमकी देने वाले संगठन आजाद

बांग्लादेश में धीरे-धीरे मोहम्मद यूनुस का असली चेहरा सामने आने लगा है। हाल ही में कई फैसले बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने लिए हैं और ये फैसले कम से कम लोकतंत्र के हित में नहीं कहे जा सकते हैं। ऐसा लगता है जैसे शेख हसीना की या कहें शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत से पूरी तरह […]

Nov 11, 2024 - 08:35
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बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के लिए अवामी लीग फासिस्ट, मगर इस्कॉन भक्तों को मारने की धमकी देने वाले संगठन आजाद

बांग्लादेश में धीरे-धीरे मोहम्मद यूनुस का असली चेहरा सामने आने लगा है। हाल ही में कई फैसले बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने लिए हैं और ये फैसले कम से कम लोकतंत्र के हित में नहीं कहे जा सकते हैं। ऐसा लगता है जैसे शेख हसीना की या कहें शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत से पूरी तरह से पीछा छुड़ाने की लड़ाई अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में लड़ी जा रही है।

इस्कॉन के भक्तों को मारने की धमकी पर कोई कार्यवाही नहीं

बांग्लादेश में जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र चटगाँव में पिछले दिनों हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में हिंदू संगठनों की ओर से एक रैली का आयोजन किया गया था। उसमें इस्कॉन के पुजारियों और इस्कॉन के भक्तों की भी बड़ी भूमिका रही थी। उन्होनें अपने पर हो रहे अत्याचारों का प्रतिरोध किया था और उन्होनें यह कहा था कि हिंदुओं के साथ बांग्लादेश में न्याय होना चाहिए। मगर हिंदुओं के इस प्रतिरोध को मोहम्मद यूनुस की सरकार सहन नहीं कर सकी थी और न ही नया बांग्लादेश, हिंदुओं की इस पहचान को सहन कर सका।

कट्टरपंथी संगठन द्वारा इस्कॉन के भक्तों को मारने को लेकर धमकियाँ 

बांग्लादेश में चटगांव में कट्टर इस्लामिक संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने शुक्रवार की नमाज के बाद इस्कॉन के विरोध में रैली निकाली और उसमें इस्कॉन भक्तों को पकड़ने और उनका कत्ल करने के नारे लगाए गए। इस्कॉन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने यह भी धमकी दी कि यदि इस्कॉन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो वे लोग आंदोलन करेंगे। इससे पहले एक मुस्लिम व्यापारी ने फ़ेसबुक पोस्ट पर इस्कॉन को आतंकी संगठन लिखा था। जिसके कारण हिंदू नाराज हो गए थे। चटगांव के हजारी लेन इलाके में उस्मान नामक दुकानदार की दुकान के सामने विरोध प्रदर्शन किया था। इसी विरोध प्रदर्शन के बाद रात में अचानक से  पुलिस और सेना हजारी लेन पहुंची और स्थानीय हिंदुओं को खूब पीटा। हजारी गली इलाके में करीब 25,000 लोग रहते हैं, इनमें 90% संख्या हिंदुओं की है।

ऐसा सोशल मीडिया के माध्यम से दावा किया गया कि बांग्लादेश में सेना हिंदुओं के घरों पर हमला कर रही है। मीडिया में वीडियोज़ आए कि कैसे फौज ने हिंदुओं को घरों से निकालकर मारा और सीसीटीवी भी तोड़े। यह तो फौज की बात थी। इस्कॉन पर प्रतिबंध को लेकर केवल कट्टर मुस्लिम संगठन ही नहीं बल्कि कथित पत्रकार भी हिंसक भाषा बोल रहे हैं।

ऐसे में प्रश्न उठता है कि मोहम्मद यूनुस और नया बांग्लादेश बनाने वालों की शत्रुता शेख हसीना या शेख मुजीबुर्रहमान से है या फिर हिंदुओं से? नया बांग्लादेश बनाने वाले क्या बनाना चाहते हैं? हिंदुओं पर इस प्रकार हमले क्यों? हिंदुओं की हत्याएं क्यों? क्या नए बांग्लादेश का निर्माण हिंदुओं की लाशों पर होगा? यह एक सबसे बड़ा प्रश्न है और इसका उत्तर नया बांग्लादेश बनाने वालों और मोहम्मद यूनुस को देना ही होगा। यह भी प्रश्न है कि आखिर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार देश में लोकतंत्र बहाली के लिए क्या कर रही है? एक ही दिन पहले उसने शेख हसीना की या फिर कहें शेख मुजीबुर्रहमान की अवामी लीग को फासिस्ट पार्टी घोषित करते हुए उसकी रैली पर प्रतिबंध लगाया। मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफ़ीकुल आलन ने 10 नवंबर को एक फ़ेसबुक पोस्ट में यह कहा कि अवामी लीग वर्तमान में एक फासिस्ट पार्टी है और उस पार्टी को बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

दरअसल अवामी लीग के एक वेरिफाइड फ़ेसबुक पेज से समर्थकों से मौजूदा सरकार के कुशासन के खिलाफ विरोध करने के लिए शहीद नूर हुसैन स्क्वेर पर इकट्ठा होने की अपील की गई थी। अवामी लीग ने अपने पार्टी के सदस्यों से यह भी अनुरोध किया था कि वे अपने स्थानीय स्तर पर जहां भी हैं, वहाँ पर रैली करें। शहीद नूर हुसैन स्क्वेर अवामी लीग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि वहीं पर अवामी लीग के युवा नेता नूर हुसैन की हत्या 10 नवंबर 1987 को हुई थी, जब वे सैन्य तानाशाह जनरल एचएम इरशाद के तानाशाही शासन का विरोध कर रहे हैं। अवामी लीग के नेता इसी दिन को मनाने के लिए इकट्ठा होना चाहते थे। मगर इस रैली को छात्र संगठनों ने विफल कर दिया।

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छात्र संगठन जो बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर मौन रहते हैं और हिंदुओं की हत्याओं पर कुछ नहीं कहते हैं, वे अवामी लीग की इस रैली का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए। इतना ही नहीं खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने भी अवामी लीग की इस रैली का विरोध किया और उसके विरोध स्वरूप नूर हुसैन स्क्वेर पर सुबह 10.30 पर जुलूस निकाला। डेली स्टार के अनुसार बीएनपी कार्यकर्ताओं ने नूर हुसैन स्क्वायर पर तीन लोगों की पहचान अवामी लीग कार्यकर्ताओं के रूप में की और उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। अवामी लीग के खिलाफ प्रदर्शन प्राथमिकता, मगर हिंदुओं का कत्ल करने वालों के खिलाफ चुप्पी?

जो दो-तीन दिनों में घटनाएं हुई हैं, उनसे यह तो स्पष्ट होता है कि आखिर बांग्लादेश में सरकार हो या फिर देश में जल्दी चुनाव करवाने के लिए विरोध प्रदर्शन करने वाली बीएनपी, इनका विरोध अवामी लीग को सीमित करने तक ही क्यों है? जबकि उनके ही देश के अल्पसंख्यक समुदाय पर लगातार हर दिशा से हमले हो रहे हैं। आखिर उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं? आखिर वे चाहते क्या हैं? हिंदुओं पर हो रहे तमाम अत्याचारों को लेकर छात्र संगठन, या बीएनपी क्यों नहीं सड़कों पर उतर रही है? क्या उनकी प्राथमिकता भी हिंदुओं की हत्याओं का जारी रहना है? ये तमाम प्रश्न हैं, जिनके उत्तर आज पूरा विश्व जानना चाह रहा है कि आखिर नए बांग्लादेश की प्राथमिकता क्या है?

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और जो घटनाएं इन दिनों बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ घट रही हैं, उनसे यह भी प्रमाणित होता जा रहा है कि फासिस्ट दरअसल कौन है?

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