बर्फीले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए बनेंगे स्वदेशी कैंपन बूट
ताइवान से आयात होते थे विशेष तकनीक वाले बूट, अब कानपुर में बनेंगे, सेना के जवान बिना दिक्कत के बर्फ वाले स्थानों पर कर सकेंगे पेट्रोलिंग
बर्फीले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए बनेंगे स्वदेशी कैंपन बूट
कानपुर : बर्फीले इलाकों में तैनात सैनिक अब अपने देश में बने आर्मी कैंपन बूट पहनकर पेट्रोलिंग कर सकेंगे। इसे बूट के नीचे के हिस्से में लगाकर बांधा जाता है। इसकी विशेष डिजाइन के कारण बर्फ में फिसलने का डर नहीं होता और चलने में आसानी होती है। ये बूट ताइवान से मंगाए जाते थे, लेकिन अब कानपुर में आयुध उपस्कर निर्माणी (ओईएफ) में बनेंगे। रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम टूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) की उत्पादन इकाई ओईएफ ने क्रैंपन बूट बनाने में दक्षता हासिल कर ली है। रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा किए गए तकनीकी परीक्षण में ये बूट मानक अनुरूप पाए गए हैं।
अब जल्द ही ओईएफ को 75 हजार से अधिक बूट बनाने का आर्डर मिलने का रास्ता साफ हो गया है। ओईएफ के अधिकारियों के अनुसार सरकार ने सैन्य रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया है, इसी क्रम में ओईएफ ने खुद इन्हें बनाने का निर्णय किया। एक साल चले प्रयास के बाद सफलता मिल गई है। बूट में लगने वाला विशेष डिजाइन का हुक वाला क्रैंपन बूट हल्के वजन के स्टील से निर्मित है। इसे पहनकर आसानी से जवान बर्फ वाले दुर्गम क्षेत्रों में चल फिर सकते हैं। बूट पहनने के बाद सैनिकों को बर्फीले पहाड़ों पर चढ़ने के दौरान फिसलने, हिमस्खलन के दौरान हादसे का डर नहीं रहेगा।
मुंबई में पिछले दिनों लगी प्रदर्शनी में आए लोगों को क्रैपन बूट के बारे में जानकारी देते ओईएफ के अधिकारी।
ओईएफ ने आर्मी बूट कैपन बनाने में दक्षता ह हासिल कर ली है। रक्षा उत्पादन विभाग ने परीक्षण में इसे मानक अनुरूप पाया है। अब उम्मीद है कि जल्द ही स्वदेशी क्रैपन बूट बनाने का आर्डर मिल सकता है। इस उपलब्धि से ताइवान पर निर्भरता खत्म होगी। - डा. अनिल रंगा, महाप्रबंधक, ओईएफ।
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