मोदी के Confidence को पश्चिम बंगाल के नतीजों ने तोड़ा!
30 सीट की उम्मीद की थी पिछली बार वाली 18 भी नहीं मिल रही है..बंगाल में क्या हुआ?
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मोदी तीसरी बार सरकार जिस कांफिडेंस से बनाने जा रहे थे और जो बन तो रही है लेकिन वो विश्वास नहीं है..मोदी के उस कांफिडेंस को पश्चिम बंगाल के नतीजों ने भी तोड़ दिया है..30 सीट की उम्मीद की थी पिछली बार वाली 18 भी नहीं मिल रही है..बंगाल में क्या हुआ आइये जानते हैं।
जोर का झटका..बंगाल ने पटका !
कमी नंबर-1
बंगाली सेंटीमेंट जीतने में मोदी पीछे रह गए
कोलकाता हाईकोर्ट के 25 हजार शिक्षकों की भर्ती कैंसिल को दीदी ने एंटी बंगाली सेंटीमेंट से जोड़ा।
कमी नंबर-2
संदेशखाली से जितना मिला नहीं उससे ज्यादा मोदी सरकार ने हाइप किया गया, बंगाल की जनता ने इसे सियासी दांव से ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
कमी नंबर-3
1. दीदी के खिलाफ एंटी हिंदू और मुस्लिम तुष्टिकरण वाला दांव काम नहीं आया।
2. बंगाल का हिंदू वोट बीजेपी खींच नहीं पाई जबकि 27 %मुस्लिमों को एकजुट जरुर कर दिया।
कमी नंबर-4
1. ममता के सामने चेहरे की कमी बीजेपी में साफ दिखाई।
2. सुवेंदु अधिकारी ने माहौल तो बनाया लेकिन वोट नहीं दिला पाए।
3. सुवेंदु टीएमसी से आए थे लेकिन बीजेपी का कैडर मजबूत नहीं कर पाए।
4. सिर्फ मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन स्थानीय दीदी पर भरोसा ज्यादा किया।
कमी नंबर-5
1. मोदी की योजना पर भारी दीदी की लक्ष्मीर भंडार योजना।
2. दीदी की लक्ष्मीर भंडार योजना पर भरोसा ज्यादा किया।
3. लक्ष्मीर भंडार योजना की राशि बढ़ा कर महिलाओं को बांधने में कामयाब रही।
4. दीदी के साथ आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग और मजबूती से जुड़ गया।
कमी नंबर-6
10 साल का मोदी सरकार का एंटी इनकंबेसी फैक्टर भी बीजेपी के खिलाफ गया।
नतीजों के बाद बीजेपी के ओवरकांफिडेंस को भी इस हाल के लिए बडी़ वजह बताया जा रहा है, रिजिनल पार्टी की ताकत वो आंकने में चूक कर बैठी..वो बात अलग है कि बीजेपी ने ओडिशा में जबरदस्त रिजल्ट दिया है।
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