चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्र जप करना चाहिए धार्मिक महत्व और सावधानियों के बारे में जानें

चंद्र ग्रहण के धार्मिक महत्व और सावधानियों के बारे में जानें। भारतीय समयानुसार सुबह 06:12 बजे से 10:17 बजे तक चलने वाला यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, लेकिन शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के दौरान विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए। जानिए ग्रहण के दौरान क्या करना और क्या न करना चाहिए, जैसे पूजा-पाठ से परहेज करना और बाद में स्नान-ध्यान के साथ दान करना।

Sep 13, 2024 - 19:21
Sep 13, 2024 - 19:27
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चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्र जप करना चाहिए धार्मिक महत्व और सावधानियों के बारे में जानें

चंद्र ग्रहण 2024: धार्मिक महत्व, सावधानियाँ और अनुशासन

चंद्र ग्रहण 2024: 18 सितंबर को होने वाले ग्रहण का धार्मिक महत्व, सावधानियाँ और अनुशासन

चंद्र ग्रहण 2024 में 18 सितंबर को होने जा रहा है। यह खगोलीय घटना विशेष रूप से विज्ञान और ज्योतिष दोनों में महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालाँकि, यह चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 06:12 बजे से 10:17 बजे तक चलेगा, लेकिन यह भारत में दृश्य नहीं होगा। फिर भी भारतीय शास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण का आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है। चंद्र ग्रहण के समय कुछ सावधानियाँ बरतना अनिवार्य माना गया है, ताकि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और नकारात्मकता से बचा जा सके।

चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों को अशुभ समय के रूप में देखा जाता है। इसे एक ऐसी अवधि माना जाता है जब धरती पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण काल के दौरान देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, यह समय ध्यान, प्रार्थना, और भक्ति में बिताना श्रेयस्कर होता है। इसके पीछे यह विश्वास है कि ग्रहण के समय आसुरी शक्तियाँ प्रबल होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित हो जाती है।

ग्रहण के समय चंद्रमा पर राहु का प्रभाव माना जाता है, जिसे ज्योतिष में अशुभ समय कहा गया है। इसलिए इस समय को "सूतक काल" भी कहा जाता है, जो ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान-ध्यान कर अपने शरीर और वातावरण को शुद्ध करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के दौरान बरतने वाली सावधानियाँ

  1. सूतक काल: सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस अवधि में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं, और घर में भी पूजा-पाठ वर्जित होता है। ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इस समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  2. खाने-पीने पर प्रतिबंध: ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों का सेवन करना अशुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस समय में भोजन को ढककर रखना चाहिए।

  3. गर्भवती महिलाएँ: गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। उन्हें इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए, नुकीली चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और आराम से रहना चाहिए। कहा जाता है कि इस दौरान बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है।

  4. पूजा और मंत्रोच्चार से बचें: ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इस समय देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी ढक दिया जाता है, ताकि उन पर ग्रहण का कोई बुरा प्रभाव न पड़े। हालाँकि, शास्त्रों में ध्यान और भक्ति करने की बात कही गई है, जिससे मन को शांति मिले और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो।

  5. स्नान और दान: चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना और अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध करना आवश्यक माना गया है। ग्रहण के बाद जरूरतमंदों को दान करने से ग्रहण के दौरान हुए नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह शुभ माना जाता है और सकारात्मक ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने का माध्यम है।

क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • ध्यान और प्रार्थना: ग्रहण काल के दौरान, ध्यान और प्रार्थना करना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

  • स्नान और शुद्धिकरण: ग्रहण समाप्त होते ही स्नान करना चाहिए। यह शरीर और आत्मा दोनों को शुद्ध करने का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, घर के आसपास का वातावरण भी शुद्ध करना चाहिए।

  • दान: ग्रहण के बाद दान करना अत्यंत फलदायक होता है। इसे पुण्य कर्म कहा गया है, जो ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करता है। अन्न, वस्त्र, या अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान करना लाभकारी होता है।

क्या न करें:

  • भोजन का सेवन: ग्रहण के दौरान भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल के पहले ही भोजन कर लेना चाहिए और बचे हुए भोजन को ढक कर रखना चाहिए।

  • मंदिर जाना: सूतक काल और ग्रहण के दौरान मंदिरों में प्रवेश नहीं करना चाहिए। इस समय में पूजा-पाठ करना भी वर्जित माना गया है। भगवान की मूर्तियों को ढक देना चाहिए, ताकि वे ग्रहण के प्रभाव से बच सकें।

  • गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान: गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, इस समय में बाहर निकलने से भी परहेज करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुँच पातीं। यह घटना सामान्य खगोलीय प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे वैज्ञानिक तौर पर अध्ययन किया जाता है। हालाँकि, भारतीय ज्योतिष में ग्रहण को काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण किसी न किसी ग्रह के अशुभ प्रभाव को दर्शाता है, और इस समय को अशुभ माना जाता है।

चंद्र ग्रहण के बाद शुद्धिकरण और दान

ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और शुद्धिकरण का कार्य अनिवार्य होता है। इससे शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध किया जाता है। इसके अलावा, घर के आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध किया जाता है। ग्रहण के बाद दान करना बहुत ही पुण्यकारी होता है। दान के लिए अन्न, वस्त्र, और धन का उपयोग किया जा सकता है। इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से विशेष लाभ मिलता है।

18 सितंबर 2024 को होने वाले चंद्र ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह खगोलीय घटना न केवल हमारे जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं पर प्रभाव डालती है, बल्कि इसे ध्यान और आत्मशुद्धि का समय भी माना जाता है। ग्रहण के दौरान और बाद में सावधानियाँ बरतना आवश्यक होता है, ताकि नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सके और जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे।

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