ज्ञानवापी को लोग दुर्भाग्य से मस्जिद कहते हैं, वह साक्षात शिव हैं

उप्र के मुख्यमंत्री ने आदि शंकराचार्य से जुड़े काशी के प्रसंग को सुनाकर अपने बयान को किया पुष्ट कहा-संत परंपरा ने समाज में छुआछूत को कभी महत्व नहीं दिया, नाथपंथ की भी यही परंपरा संत-ऋषि परंपरा समाज और देश को जोडता है, इस परंपरा को आने वाली पीढी को समझना चाहिए

Sep 15, 2024 - 20:30
Sep 15, 2024 - 20:31
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ज्ञानवापी को लोग दुर्भाग्य से मस्जिद कहते हैं, वह साक्षात शिव हैं

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं हिन्दुस्तानी एकेडमी उ. प्र. प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतररष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में संबोधित करते करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज्ञानवापी को लोग दुर्भाग्य से मस्जिद कहते हैं, दरअसल वह साक्षात शिव हैं। अपने इस बयान की पुष्टि उन्होंने आदि शंकराचार्य के एक प्रसंग से की, जिसमें स्वयं भगवान विश्वनाथ अपने आप को ज्ञानवापी बताते हैं।


योगी आदित्यनाथ दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, देश के चार कोनों पर आध्यात्मिक पीठ की स्थापना करने वाले आदि शंकराचार्य जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए केरल से चलकर वाराणसी पहुंचे तो स्वयं भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली। भगवान ने चांडाल भेष में उनका रास्ता रोकने की कोशिश की।

शंकराचार्य ने रास्ते से हटने के लिए कहा तो चांडाल ने उनके अद्वैत सिद्धांत की याद दिलाई, जिसमें वह ब्रह्म के अतिरिक्त सारे संसार को माया बताते हैं। यह सुनकर आदि शंकर जब पूछते हैं कि आखिर वह कौन है, जो उनके अद्वैत सिद्धांत के बारे में जानता है, तो चांडाल ने स्पष्ट किया कि जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए आप काशी आए हैं, वह ज्ञानवापी मैं ही हूं, अर्थात मैं भगवान विश्वनाथ हूं। योगी ने संत-ऋषि परंपरा को समाज और देश को जोड़ने वाला बताया।

कहा, इस परंपरा ने प्राचीन काल से ही समतामूलक समरस समाज को महत्व दिया है। हमारे संत-ऋषि इस बात की और जोर देते हैं कि भौतिक अस्पृश्यता, साधना के साथ राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए बाधक है। अस्पृश्यता को दूर करने पर ध्यान दिया गया होता तो देश कभी कभी गुलाम नहीं होता। संत परंपरा ने समाज में छुआछूत को कभी महत्व नहीं दिया। नाथपंथ की भी यही परंपरा है।


मुख्यमंत्री ने हिंदी दिवस पर बधाई देते हुए कहा, हिंदी देश को जोड़ने की एक व्यावहारिक भाषा है। इससे पहले ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि पर गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन में यह अक्षुण्ण मान्यता है कि धर्म केवल उपासना विधि नहीं है।

पूजा पद्धति धर्म का हिस्सा हो सकती है, लेकिन संपूर्ण धर्म नहीं। इसीलिए सच्चा हिंदू किसी एक पूजा पद्धति पर लकीर का फकीर नहीं रहा है। उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी परिसर में करवाए गए सर्वे रिपोर्ट में बहुत से हिंदू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिले हैं।

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