शिवाजी की समाधि पर मोहन भागवत का बयान: ऐतिहासिक सत्य या राजनीतिक विवाद?

कार्यक्रम में कहा छत्रपति शिवाजी महाराज के समाधि की खोज बालगंगाधर तिलक ने की थी. इतिहास ने छत्रपति शिवाजी महाराज को भुला दिया था. महात्मा ज्योतिबा फुले ने शिवाजी महाराज की समाधि खोजा. खोजने का पूरा श्रेय महात्मा ज्योतिबा फुले को जाता है.

Sep 21, 2024 - 10:46
Sep 21, 2024 - 10:49
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शिवाजी की समाधि पर मोहन भागवत का बयान: ऐतिहासिक सत्य या राजनीतिक विवाद?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि की खोज की थी। यह बयान महाराष्ट्र में सामाजिक और राजनीतिक हलकों में व्यापक आलोचना का कारण बना। विशेष रूप से, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेताओं ने इस बयान पर आपत्ति जताई, जिसमें तिलक को समाधि की खोज का श्रेय दिया गया, जबकि इतिहास बताता है कि इस कार्य का श्रेय समाज सुधारक ज्योतिराव फुले को जाता है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि "यह दावा इतिहास को विकृत करने का एक प्रयास है। ज्योतिराव फुले ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले शिवाजी महाराज की समाधि की खोज की और शिव जयंती समारोह शुरू किया।" भुजबल ने आरोप लगाया कि यह बयान इतिहास को फिर से लिखने की एक हिंदुत्व साजिश का हिस्सा है, जिससे ओबीसी समुदाय के योगदान को कम किया जा रहा है।

इतिहासकारों का भी मानना है कि तिलक ने समाधि की खोज नहीं की थी, बल्कि उन्होंने 1895 में स्मारक के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस आंदोलन का उद्देश्य स्मारक की मरम्मत और उसके ऊपर छतरी का निर्माण करना था। हालांकि, तिलक द्वारा जुटाई गई राशि उस बैंक में जमा की गई थी, जो बाद में दिवालिया हो गया, जिससे यह आंदोलन समाप्त हो गया।

ज्योतिराव फुले ने 1869 में रायगढ़ किले का दौरा किया और शिवाजी महाराज की समाधि की उपेक्षित स्थिति को सार्वजनिक किया। उन्होंने शिवाजी को किसानों और आम जनता के नायक के रूप में चित्रित किया, न कि केवल ब्राह्मणों के लिए समर्पित राजा के रूप में। फुले का यह कदम सामाजिक न्याय और ओबीसी समुदाय के लिए उनकी प्रतिबद्धता का हिस्सा था।

भागवत का यह बयान इतिहास के पुनर्लेखन के गहरे संघर्ष को उजागर करता है, जहां सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व के मुद्दों पर बहस जारी है।

KraantiKumar ने x पर लिखा है 

मोहन भागवत पर इतिहास बदलने का आरोप, छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि की खोज पर उठे सवाल

कल पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भागवत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि की खोज लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने की थी। इस बयान को लेकर 'x' (पूर्व में ट्विटर) पर भारी प्रतिक्रिया आई है, जिसमें क्रांतिकुमार नामक एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने भागवत पर इतिहास बदलने का आरोप लगाया है।

क्रांतिकुमार ने लिखा, "इतिहास इस बात का साक्षी है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि की खोज महात्मा ज्योतिबा फुले ने की थी, न कि बालगंगाधर तिलक ने। इसका प्रमाण और ठोस सबूत मौजूद है।" उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा फुले को समाधि की खोज का पूरा श्रेय जाता है, क्योंकि उस समय शिवाजी महाराज को इतिहास में भुला दिया गया था, और फुले ने ही उनके सम्मान को पुनः स्थापित किया।

क्रांतिकुमार ने मोहन भागवत के बयान पर तीखा हमला करते हुए इसे "ब्राह्मण आधिपत्य" स्थापित करने का प्रयास बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि बालगंगाधर तिलक और मोहन भागवत, दोनों ब्राह्मण होने के कारण, भागवत ने इस श्रेय तिलक को दिया। उन्होंने इसे "हेजेमनी" (वर्चस्व) की एक प्रकार की नीति कहा, जिसमें हर चीज को ब्राह्मणों से जोड़कर ब्राह्मणों के वर्चस्व को स्थापित करने की कोशिश की जाती है।

क्रांतिकुमार ने जोर देते हुए कहा कि आरएसएस महात्मा फुले के योगदान को नकार नहीं सकता, क्योंकि फुले ने न केवल पिछड़े वर्गों के लिए बल्कि ब्राह्मण समाज के सुधार के लिए भी काम किया था। वहीं, बालगंगाधर तिलक पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने केवल अपनी जाति के वर्चस्व को बढ़ावा देने के लिए काम किया।

भागवत के इस बयान पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक हलकों से प्रतिक्रिया आना अभी बाकी है, लेकिन यह विवाद निश्चित रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज और महात्मा फुले के योगदान को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकता है।

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