यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ फिर से नियंत्रण में, बीजेपी और आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व के साथ चार महत्वपूर्ण बैठकें
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ फिर से नियंत्रण में, बीजेपी और आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व के साथ चार महत्वपूर्ण बैठकें
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिनके बारे में लोकसभा चुनावों में बीजेपी की खराब स्थिति के बाद अटकलें चल रही थीं, अब पूरी ताकत के साथ फिर से सक्रिय हो गए हैं। बीजेपी की सीटें घटकर 36 रह गई थीं, जिससे अंदरूनी कलह और विपक्ष द्वारा आरक्षण पर उठाए गए सवालों की चर्चा थी।
हालांकि, पिछले पखवाड़े में योगी ने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शीर्ष नेताओं के साथ चार महत्वपूर्ण बैठकें की हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अब पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। उन्होंने झारखंड में प्रचार शुरू कर दिया है और अपने नारे ‘बatenge toh katenge’ के साथ चुनावी माहौल तैयार कर रहे हैं।
चार महत्वपूर्ण बैठकें
इन चार बैठकें में पहली बैठक 22 अक्टूबर को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मथुरा में हुई। इस बैठक में भागवत ने योगी को दो घंटे से अधिक समय दिया। हालांकि बैठक के दौरान क्या हुआ, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह बैठक अच्छी रही। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसाबाले ने दो दिन बाद योगी के नारे को दोहराते हुए हिंदू एकता पर जोर दिया।
इसके बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 नवंबर को दिल्ली में योगी से एक घंटे की बैठक की। यह दोनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद पहली व्यक्तिगत बैठक थी। योगी ने उस दिन गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भी लंबी बैठकें कीं। हालांकि योगी कैंप का कहना है कि इन बैठकों में महाकुंभ के लिए निमंत्रण देने की चर्चा हुई, लेकिन इनकी महत्ता और समय इस बात की ओर इशारा करते हैं कि इनका उद्देश्य कुछ और भी है।
इन चार महत्वपूर्ण बैठकों से पहले, योगी ने पिछले चार महीनों में यूपी में हर सांसद और विधायक के साथ व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी, जिससे यह संदेश गया कि वह विभिन्न रायों को सुनने के लिए सचेत हैं।
आगे की रणनीति
योगी आदित्यनाथ का यह सक्रियता आगामी 20 नवंबर को होने वाले नौ विधानसभा उपचुनावों से पहले है, जो उनकी स्थिति को मजबूत कर सकता है यदि बीजेपी अच्छे प्रदर्शन करती है। उन्होंने इस दौरान जेल में बंद कांग्रेस मंत्री आलमगीर आलम को ‘औरंगजेब’ से जोड़ते हुए कहा, “यह समय बंटने का नहीं है।”
योगी की ये बैठकें और प्रचार गतिविधियाँ यह संकेत देती हैं कि वह अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं, और आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका प्रभाव बढ़ सकता है।
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