भगवान को राजनीति से रखें दूर सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू के तिरुपति लड्डू में मिलावटी घी के प्रयोग के दावे पर उठाया सवाल  सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति बालाजी के प्रसाद के लड्डू में मिलावटी घी के इस्तेमाल के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के दावे पर सोमवार को सवाल उठाया। कोर्ट ने मिलावट के सुबूत मांगते हुए पूछा कि उन्होंने किस आधार पर कह दिया कि लड्डुओं में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ है।

Oct 1, 2024 - 19:13
Oct 1, 2024 - 19:15
 0
भगवान को राजनीति से रखें दूर सुप्रीम कोर्ट

भगवान को राजनीति से रखें दूर सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू के तिरुपति लड्डू में मिलावटी घी के प्रयोग के दावे पर उठाया सवाल कहा, लड्डू बनाने में मिलावटी घी के प्रयोग का अभी कोई सुबूत नहीं उच्च संवैधानिक पदाधिकारी को जांच पूरी होने से पहले प्रेस में बयान नहीं देना चाहिए था 18 सितंबर को चंद्रबाबू नायडू ने कहा था जगन के कार्यकाल में प्रसाद वाले लड्डू में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ

 सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति बालाजी के प्रसाद के लड्डू में मिलावटी घी के इस्तेमाल के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के दावे पर सोमवार को सवाल उठाया। कोर्ट ने मिलावट के सुबूत मांगते हुए पूछा कि उन्होंने किस आधार पर कह दिया कि लड्डुओं में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ है। प्रथमदृष्टया अभी तक लड्डू में मिलावट का कोई ठोस सुबूत नहीं है। मुख्यमंत्री के मीडिया में दिए गए बयान पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कोर्ट ने कहा, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है, उन्हें बिना पुष्टि के सार्वजनिक तौर पर ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था जो करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित करे। अदालत ने कहा, कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। मामले में तीन अक्टूबर को फिर सुनवाई होगी।


चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को प्रेस में बयान दिया था कि जगन मोहन रेड्डी की पिछली सरकार के कार्यकाल में तिरुपति के प्रसाद के लड्डुओं में पशु चर्बी युक्त मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने घी में मिलावट की जांच रिपोर्ट भी सार्वजनिक की थी। नायडू के बयान के बाद से हिंदुओं की आस्था के केंद्र भगवान तिरुपति बालाजी के प्रसाद के लड्डुओं को लेकर तरह  तरह के सवाल उठ रहे हैं। सुब्रमण्यम स्वामी सहित कुल पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं हैं, जिनमें कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। हालांकि इस बीच मंदिर बोर्ड ने बयान जारी कर कहा था कि मिलावटी घी का प्रयोग प्रसाद के लड्डुओं में नहीं हुआ है।

पीठ ने लगाई सवालों की झड़ी: सोमवार को जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने लड्डुओं में मिलावटी घी के प्रयोग के ठोस सुबूत के बगैर इस तरह के बयान दिए जाने पर कड़ा एतराज जताया। पीठ ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की पैरोकारी कर रहे वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और आंध्र प्रदेश सरकार के वकील मुकुल रोहतगी से सवालों की झड़ी लगा दी। पूछा, किस आधार पर कहा गया कि लड्डुओं में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ है। इस बात का क्या सुबूत है कि मिलावटी घी लड्डुओं में प्रयोग हुआ था, जबकि मंदिर बोर्ड प्रशासन ने बयान जारी कर कहा है कि जो घी मिलावटी पाया गया उसका प्रयोग लड्डुओं में नहीं किया गया। आपने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जांच हो रही है। जांच पूरी होने से पहले आपको प्रेस में जाकर बयान देने  की क्या जरूरत थी।

कोर्ट ने मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब घी में मिलावट की रिपोर्ट जुलाई में आ गई थी तो बयान 18 सितंबर को क्यों दिया गया। कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मीडिया में बयान पहले दे दिया, जबकि एफआइआर 25 सितंबर को दर्ज हुई और जांच के लिए एसआइटी का गठन 26 सितंबर को बाद में हुआ। आपको पता है कि इस कदम से एक-दो लाख नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं पर असर हुआ है। 

सालिसिटर जनरल ने कहा, यहां आस्था का सवाल है  कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से जब इस बारे में पूछा तो मेहता ने कहा, यहां आस्था का सवाल है और अगर मिलावटी घी का प्रयोग हुआ है तो यह अस्वीकार्य है। इसकी जांच की जरूरत है। जस्टिस गवई ने उनसे सहमति जताते हुए कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। लेकिन राज्य सरकार द्वारा गठित एसआइटी की जांच काफी है या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी से नए सिरे से जांच कराई जानी चाहिए। इस पर सालिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार का रुख अगली सुनवाई पर बताएंगे। पीठ ने उनसे इस मामले में अदालत की मदद करने का आग्रह किया

याचिकाकर्ताओं ने यह कहा था याचिकाकर्ताओं के वकीलों का कहना था कि एक ओर मुख्यमंत्री का लड्डुओं में मिलावटी घी के इस्तेमाल का बयान है और दूसरी ओर मंदिर बोर्ड का कहना है कि मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं हुआ है। यह महत्वपूर्ण मामला है और कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई अब तीन अक्टूबर को होगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

सम्पादक देश विदेश भर में लाखों भारतीयों और भारतीय प्रवासियों लोगो तक पहुंचने के लिए भारत का प्रमुख हिंदी अंग्रेजी ऑनलाइन समाचार पोर्टल है जो अपने देश के संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं। https://bharatiya.news/ आपको अपनी आवाज उठाने की आजादी देता है आप यहां सीधे ईमेल के जरिए लॉग इन करके अपने लेख लिख समाचार दे सकते हैं. अगर आप अपनी किसी विषय पर खबर देना चाहते हें तो E-mail कर सकते हें newsbhartiy@gmail.com