यह इंदौर का किरदार जहां स्वच्छता है 17वां संस्कार

संस्कार और भी...यहां कचरे का 100 प्रतिशत निस्तारण होता है गीले कचरे से खाद, बायोगैस बनती है, गैस से सिटी बसें चलती हैं सूखे कचरे से प्लास्टिक, लोहा अलग कर बेचा जाता है, शेष कचरा ईंधन के रूप में सीमेंट फैक्ट्री को बेचा जाता है स्वच्छता संस्कार,  इंदौर स्वच्छता मॉडल, स्वच्छता मित्र,  कचरा प्रबंधन, गीला और सूखा कचरा,  सार्वजनिक शौचालय,  स्वच्छता अभियान,  सामाजिक बदलाव,  यूरोपीय शहरों जैसी सफाई, पर्यावरणीय जागरूकता,   कचरा निस्तारण,  स्वच्छता क्रांति,  नागरिक भागीदारी,  शहरी स्वच्छता,  लिटरबिन,  सामुदायिक सहयोग, बायोगैस उत्पादन,  पुनर्चक्रण,  सार्वजनिक जागरूकता, स्वच्छता संकल्प,

Oct 1, 2024 - 19:20
Oct 1, 2024 - 19:35
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यह इंदौर का किरदार जहां स्वच्छता है 17वां संस्कार

यह इंदौर का किरदार जहां स्वच्छता है 17वां संस्कार

इंदौरः यह बात पुरानी हुई कि इंदौर भारत का सबसे स्वच्छ शहर है। नया यह है कि इस शहर की स्वच्छता क्रांति में जितना योगदान 'सरकार' का है, उससे कहीं अधिक 'संस्कार' का है। व्यक्ति के जीवन में जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कार होते हैं, लेकिन इंदौर में स्वच्छता 17वां संस्कार है। यहां जोड़े विवाह के संकल्पों में एक संकल्प स्वच्छता का भी लेते हैं। यहां कारों में डस्टबिन मिलेंगे, सड़क पर सार्वजनिक लिटरबिन । यहां दूसरे शहर से आए सरकारी दलों को सफाई देखने का शुल्क चुकाना पड़ता है। वे खुशी-खुशी चुकाते भी हैं, क्योंकि सफाई यूरोपीय शहर में होने का अहसास देती है। सफाई यहां धर्म बन चुकी है, कचरा फैलाना पाप मान लिया गया है। 

सफाई यहां ऐसे बनी संस्कारः कचरा बुहारो, फिर प्रभु को पुकारो स्वच्छता संस्कार का पहला प्रमाण घरों से मिलता है। लोग कचरा  गीला, सूखा, प्लास्टिक, कांच और जैविक (सेनिटरी पैड या डाइपर) जैसी श्रेणियों में अलग-अलग रखते हैं और कचरा गाड़ी में बने बाक्स में अलग-अलग कचरा डालते हैं। इसके बाद ही लोग स्नान, ध्यान और भगवान का पूजन करते हैं। सफाईकर्मी नौकर नहीं, मित्र स्वच्छता क्रांति ने सामाजिक खाई पाट दी है। सरकारी दस्तावेज से नागरिक तक इन्हें सेवक या नौकर नहीं, स्वच्छता मित्र कहते हैं। कारों में बैठे लोग भी सफाई मित्र को नमस्ते करते हैं। 

 

शहर में हर 200 मीटर पर सार्वजनिक शौचालय अन्य शहरों में मूत्रालय या शौचालय ढूंढना मुश्किल भरा होता है, लेकिन इंदौर में प्रत्येक 200 मीटर पर साफ-सुथरा, जल-सुविधा से युक्त और फिनाइल की खुशबू वाला सार्वजनिक शौचालय मिल जाएगा। 

जिसने किया गंदा, उसे किया शर्मिंदा जिन रसूखदारों ने नियम का पालन नहीं करना अपनी शान समझा, उन्हें इंदौर ने सबक सिखाया, जुर्माना वसूला, उनके कृत्य की खबरें छपवाई, होर्डिंग पर उनके नाम लिखे। इससे वे शर्मिंदा हुए। कचरा निगम की गाड़ी को देने लगे। 

दीवारों पर लिख दिया गर्व शहर की दीवारों पर स्वच्छता को गर्व और कचरा फैलाने को शर्म बताती हजारों पेंटिंग बनाई गई हैं। इससे माहौल बना। चिप्स खाकर किसी ने रैपर फेंका नहीं कि बगल के लोग टोक देंगे या रैपर उठाकर थमा देंगे। अब तो गुटखा खाने वाले तब तक नहीं थूकते, जब तक लिटरबिन न दिख जाए।

संस्कार और भी...यहां कचरे का 100 प्रतिशत निस्तारण होता है गीले कचरे से खाद, बायोगैस बनती है, गैस से सिटी बसें चलती हैं सूखे कचरे से प्लास्टिक, लोहा अलग कर बेचा जाता है, शेष कचरा ईंधन के रूप में सीमेंट फैक्ट्री को बेचा जाता है
यहां चौबीसों घंटे सफाई चलती है रेत, गिट्टी, बजरी, सब्जी, फल वाले वाहनों पर तिरपाल अनिवार्य है, अन्यथा वाहन जब्त 

संस्कार और भी...यहां कचरे का 100 प्रतिशत निस्तारण होता है गीले कचरे से खाद, बायोगैस बनती है, गैस से सिटी बसें चलती हैं सूखे कचरे से प्लास्टिक, लोहा अलग कर बेचा जाता है, शेष कचरा ईंधन के रूप में सीमेंट फैक्ट्री को बेचा जाता है स्वच्छता संस्कार,  इंदौर स्वच्छता मॉडल, स्वच्छता मित्र,  कचरा प्रबंधन, गीला और सूखा कचरा,  सार्वजनिक शौचालय,  स्वच्छता अभियान,  सामाजिक बदलाव,  यूरोपीय शहरों जैसी सफाई, पर्यावरणीय जागरूकता, 
 कचरा निस्तारण,  स्वच्छता क्रांति,  नागरिक भागीदारी,  शहरी स्वच्छता,  लिटरबिन,  सामुदायिक सहयोग,
बायोगैस उत्पादन,  पुनर्चक्रण,  सार्वजनिक जागरूकता, स्वच्छता संकल्प,

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