मायावती के ट्वीट पर अखिलेश का तीखा पलटवार, वंचित समाज की अगुवाई को लेकर दोनों नेता आमने-सामने
मायावती ने अपने ट्वीट में कांग्रेस और सपा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "1995 में जब समाजवादी पार्टी ने मुझ पर हमला कराया था, उस समय कांग्रेस की केंद्र सरकार ने क्यों अपना दायित्व नहीं निभाया?
मायावती के ट्वीट पर अखिलेश का तीखा पलटवार, वंचित समाज की अगुवाई को लेकर दोनों नेता आमने-सामने
उत्तर प्रदेश की राजनीति में उपचुनाव से पहले बवाल मच गया है। बसपा प्रमुख मायावती और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। मायावती ने हाल ही में एक ट्वीट के माध्यम से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने 1995 के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया। इसके जवाब में अखिलेश यादव ने भी ट्वीट के जरिए पलटवार किया और वंचित समाज की अगुवाई को लेकर सपा की रणनीति का खुलासा किया।
मायावती का पुराना दर्द और नई चेतावनी
मायावती ने अपने ट्वीट में कांग्रेस और सपा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "1995 में जब समाजवादी पार्टी ने मुझ पर हमला कराया था, उस समय कांग्रेस की केंद्र सरकार ने क्यों अपना दायित्व नहीं निभाया?" उन्होंने आगे कहा कि सपा के आपराधिक तत्वों से उन्हें भाजपा और विपक्ष ने बचाया था, लेकिन कांग्रेस को इस पर तकलीफ क्यों होती है?
इसके साथ ही मायावती ने वंचित समाज के लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उपचुनाव से पहले वह इस वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं।
अखिलेश का जवाब: पीडीए की एकता का नया संदेश
मायावती के आरोपों का जवाब देते हुए अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में कहा, "सच तो यह है कि यह आभार उन लोगों का है जो पिछले दो दिनों से अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर अपना सक्रिय विरोध दर्शा रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा कि सदियों से शोषित-वंचित समाज की एकता अब नई चेतना के साथ जाग उठी है और यह पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज का भविष्य है।
अखिलेश ने इशारों में मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग भले ही मजबूरी में कुछ भी कहने-लिखने पर मजबूर हो गए हों, लेकिन वे मन से हमारे ही साथ हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अब उन राजनीतिक शक्तियों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं, जो अपने स्वार्थ के लिए दमित समाज से हस्ताक्षर करवाने पर मजबूर करती हैं।
सियासी जंग का असर
लखनऊ में सियासी गर्मी बढ़ती जा रही है। मायावती और अखिलेश के बीच की यह जुबानी जंग न सिर्फ उपचुनाव को प्रभावित कर सकती है, बल्कि वंचित समाज के वोटरों पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। जहां एक ओर मायावती वंचित समाज को कांग्रेस और सपा से सावधान रहने की नसीहत दे रही हैं, वहीं अखिलेश यादव पीडीए की एकता को मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं।
उपचुनाव के इस महौल में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है और वंचित समाज किसे अपना नेता मानता है।
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