दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार करने गई पुलिस को मिलिट्री ने रोका

दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार करने की कोशिशें कर रही दक्षिण कोरियाई पुलिस राष्ट्रपति के आवास पर पहुंच गई है। लेकिन, मिलिट्री ने अधिकारियों को उनके आवास के बाहर ही रोक दिया है। इसके अलावा राष्ट्रपति के आवास के बाहर उनके समर्थक भी उनकी गिरफ्तारी वारंट का विरोध कर रहे […]

Jan 3, 2025 - 06:30
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दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार करने गई पुलिस को मिलिट्री ने रोका
South Korea president yoon Suk yol

दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार करने की कोशिशें कर रही दक्षिण कोरियाई पुलिस राष्ट्रपति के आवास पर पहुंच गई है। लेकिन, मिलिट्री ने अधिकारियों को उनके आवास के बाहर ही रोक दिया है। इसके अलावा राष्ट्रपति के आवास के बाहर उनके समर्थक भी उनकी गिरफ्तारी वारंट का विरोध कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि राष्ट्रपति यून सुक योल ने 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था। इसके बाद से देश में सैन्य शासन की वापसी हो गई। इस बीच दक्षिण कोरियाई सांसदों ने 14 दिसंबर को महाभियोग लाये। हालांकि, यून महाभियोग से बच गए। इसके बाद यून के खिलाफ जांच शुरू हो गई। मंगलवार को ही सियोल की एक अदालत ने राष्ट्रपति यून के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करते हुए करप्शन इंन्वेस्टिगेशन ऑफिस (CIO) इसकी जांच का आदेश दिया।

अधिकारियों ने राष्ट्रपति को बार-बार पेश होकर जांच में सहयोग करने के लिए नोटिस जारी किया, लेकिन वे पेश नहीं हुए। इसके बाद अब अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिशें कर रहे हैं। हालांकि, जैसे ही सीआईओ के अधिकारी राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने के लिए राष्ट्रपति के आवास पर पहुंचे तो उनकी सुरक्षा में तैनात मिलिट्री यूनिट ने अधिकारियों को रोक दिया। लेकिन, बाद में वारंट देने के लिए अधिकारियों को आगे जाने दिया गया।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा मिलिट्री जवान, जो कि अभी भी देश के वर्तमान राष्ट्रपति की सुरक्षा कर रहे हैं, जांचकर्ताओं के वारंट को मानेंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।

इस बीच यून की लीगल टीम ने गिरफ्तारी वारंट का विरोध करते हुए इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है। यून के वकील यून कप क्यूं ने राष्ट्रपति के खिलाफ जारी किए गए वारंट को अवैध करार दिया है।

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